भोरंज: वैसे तो बाजार में कई नामी कंपनियों के आमचूर उपलब्ध हैं, लेकिन अगर घर का देसी आमचूर मिल जाए तो सब्जियों में उसका स्वाद ही अलग होता है. आज कल आम का सीजन चल रहा है. आम के पेड़ों पर आम लग गए हैं और लोग आम की केरी बनाने में जुट गए हैं.
लोग कच्चे आमों को काटने के बाद सूखा कर आमचूर बना रहे हैं. हालांकि लोग मेहनत से बचते हुए बाजार में मिलने वाले आमचूर को तरजीह देते हैं, लेकिन कोरोना काल में लोग आमचूर लंबी विधि व मेहनत कर इसे तैयार करने में लगे हुए हैं.
घर में बने आमचूर और बाजार में मिलने वाले आमचूर के स्वाद में अंतर होता है, इसलिए लोग घरों में ही आमचूर बनाने में जुटे हुए हैं. लॉकडाउन में लोग समय का उपयोग कर अपने पारंपरिक व्यंजनों, मसालों इत्यादी का भंडारण करने की मेहनत में जुट गए हैं.
भोरंज उपमंडल की एक महिला ने बताया कि आमचूर बनाने की घरेलू विधि काफी लंबी है. पहले आमों को काटा जाता है और फिर 4 से 5 दिन तक धूप में सुखाया जाता है. इसके बाद आम को टुकड़ों को मिक्सी या फिर चक्की में बारीक पीसकर उसका पाउडर बनाते हैं.
इसके अलावा कुछ लोगों ने लॉकडाउन के दौरान इसे अपना व्यवसाय भी बना लिया है. लोग घरों में आमचूर तैयार कर अच्छी पैकिंग के साथ मार्किट में बेचकर मुनाफा भी कमा रहे हैं.
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