ETV Bharat / city

IFS अफसर का प्रकृति प्रेम: हमीरपुर के प्रदीप ठाकुर ने किचन गार्डन को बोटैनिकल गार्डन में किया तब्दील - hamirpur latest news

हमीरपुर के रहने वाले प्रदीप ठाकुर चीफ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट के पद पर तैनात हैं. उन्होंने अपने किचन गार्डन को बोटैनिकल गार्डन में तब्दील कर दिया है. साल 2007 में शुरू किए गए इस गार्डन में तकरीबन 250 पौधे मौजूद हैं. इनमें फल से लेकर कई औषधीय पौधे भी मौजूद हैं. इतना ही नहीं प्रदीप ठाकुर ने ठंडे इलाकों में पाए जाने वाले देवदार और सेब के पौधों को भी यहां पर उगाया है.

ifs-officer-pradeep-thakur-converted-the-kitchen-garden-into-a-botanical-garden-in-hamirpur
फोटो.
author img

By

Published : Sep 25, 2021, 3:51 PM IST

Updated : Jan 4, 2022, 7:17 PM IST

हमीरपुर: जिले में एक आईएफएस अफसर का शौक लोगों के लिए नजीर बन गया है. आईएफएस अफसर ने किचन गार्डन को ही बोटैनिकल गार्डन बना दिया है. घर के आसपास के जिस जमीन को हम गार्डन अथवा किचन गार्डन तक ही विकसित कर पाते हैं, लेकिन हमीरपुर के रहने वाले चीफ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट प्रदीप ठाकुर ने उसे बोटैनिकल गार्डन में तब्दील कर दिया है.

बोटैनिकल गार्डन में 200 से 250 तक पेड़ पौधे मौजूद हैं. इतना ही नहीं प्रदीप ठाकुर ने ठंडे इलाकों में पाए जाने वाले देवदार और सेब के पौधों को भी यहां पर उगाया है. 250 से पेड़ पौधों की गिनती में औषधीय, फलदार सजावटी तथा कई तरह के फूल शामिल हैं. बात चाहे बिना कांटों वाले गुलाब की हो या फिर जापानी फल की. हिमाचल में उगाए जाने वाले हर तरह के पौधे इस बोटैनिकल गार्डन में मिल जाएंगे.

वीडियो.

प्रदीप ठाकुर के बोटैनिकल गार्डन में आपको सेब, आडू, नाशपाती, अंजीर, जापानी फल, नींबू, पपीता, पलम गलगल, खुमानी, आम और कई तरह के फल आपको देखने को मिलेंगे. इसके साथ ही झाड़ियों के रूप में हिमाचल में पाए जाने वाले गरने कि आधुनिक और ग्राफ्टेड झाड़ भी इस बोटैनिकल गार्डन की शोभा बढ़ा रही है. इस गरने का साइज भी पारंपरिक गरने से कई गुना बड़ा है. मतलब साल के 12 महीने यहां पर आपको कोई ना कोई फल पेड़ों पर लगा हुआ नजर आएगा.


इस गार्डन में औषधीय पौधों की भी भरमार है. यहां पर रुद्राक्ष हरड़ भेड़ा, कपूर लेमन ग्रास ककड़सिंगी चंदन समेत कई ऐसे पौधे मौजूद हैं, जो निचले हिमाचल में देखने को नहीं मिलते हैं. गार्डन में कई ऐसे पौधे में मिल जाएंगे. जिनकी पहचान करना आपके लिए मुश्किल होगा या फिर हो सकता है कि आपने पहले इन पौधों को नहीं देखा हो.

अक्सर आपने सुना होगा कि गुलाब हमेशा कांटों में ही खिलता है, लेकिन इस गार्डन में आपको बिना कांटे वाला गुलाब ही नजर आएगा. इसके हवा के प्यूरीफायर का काम करने वाले कई तरह के पाम भी आपको यहां पर नजर आएंगे. बात चाहे साइकस पाम की हो या फिर अन्य तरह के फूलों की प्रजातियों की. कई ऐसे फूल है जिनका हिंदू परंपरा में देवी देवताओं के पूजन में अपना एक विशेष महत्व है. यह फूल भी इस गार्डन में आपको भरपूर मात्रा में देखेंगे.

गार्डन में आपको सागवान, चाइनीज बैम्बू और कई सजावटी पौधे भी हर कोने में देखने को मिलेंगे. सजावटी पौधों में कैक्टस की कई प्रजातियां इस गार्डन में मौजूद हैं. आईएफएस अफसर प्रदीप ठाकुर कहते हैं कि साल 2007 के बाद से ही उन्होंने घर के समीप यह कार्य शुरू किया. कई तरह के पेड़ पौधों को घर के आंगन में लगाना शुरू किया और बाद में गार्डन को बोटैनिकल गार्डन का रूप देना शुरू किया. धीरे-धीरे जो भी नए पेड़ पौधे उन्हें मिलते थे वह अपने गार्डन में इन्हें लगाते थे. जिससे अब 200 से 250 पौधे अब इस गार्डन में मौजूद हैं.

उन्होंने कहा कि देवदार का पौधा घर में लाकर में पैदा करना थोड़ा मुश्किल है. लगातार पौधे का ध्यान रखना पड़ता है और बार-बार इससे पानी भी देना पड़ता है, जिससे अब कई पौधे इस गार्डन में तैयार हो गए हैं. इसके अलावा चंदन को तैयार करने के लिए ध्यान रखना पड़ता है. शुरुआती चरण में जब पौधा छोटा होता है तो यह दूसरे पौधों की जड़ों से अपना पोषण लेता है. अब गार्डन में 10 से 12 फीट के चंदन के पौधे तैयार हो गए हैं, इसके अलावा कई छोटे पौधे भी हैं.

ये भी पढ़ें: बाहरी राज्यों के लोगों को सरकार बांट रही नौकरी, प्रदेश में हजारों युवा बेरोजगार: विक्रमादित्य

हमीरपुर: जिले में एक आईएफएस अफसर का शौक लोगों के लिए नजीर बन गया है. आईएफएस अफसर ने किचन गार्डन को ही बोटैनिकल गार्डन बना दिया है. घर के आसपास के जिस जमीन को हम गार्डन अथवा किचन गार्डन तक ही विकसित कर पाते हैं, लेकिन हमीरपुर के रहने वाले चीफ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट प्रदीप ठाकुर ने उसे बोटैनिकल गार्डन में तब्दील कर दिया है.

बोटैनिकल गार्डन में 200 से 250 तक पेड़ पौधे मौजूद हैं. इतना ही नहीं प्रदीप ठाकुर ने ठंडे इलाकों में पाए जाने वाले देवदार और सेब के पौधों को भी यहां पर उगाया है. 250 से पेड़ पौधों की गिनती में औषधीय, फलदार सजावटी तथा कई तरह के फूल शामिल हैं. बात चाहे बिना कांटों वाले गुलाब की हो या फिर जापानी फल की. हिमाचल में उगाए जाने वाले हर तरह के पौधे इस बोटैनिकल गार्डन में मिल जाएंगे.

वीडियो.

प्रदीप ठाकुर के बोटैनिकल गार्डन में आपको सेब, आडू, नाशपाती, अंजीर, जापानी फल, नींबू, पपीता, पलम गलगल, खुमानी, आम और कई तरह के फल आपको देखने को मिलेंगे. इसके साथ ही झाड़ियों के रूप में हिमाचल में पाए जाने वाले गरने कि आधुनिक और ग्राफ्टेड झाड़ भी इस बोटैनिकल गार्डन की शोभा बढ़ा रही है. इस गरने का साइज भी पारंपरिक गरने से कई गुना बड़ा है. मतलब साल के 12 महीने यहां पर आपको कोई ना कोई फल पेड़ों पर लगा हुआ नजर आएगा.


इस गार्डन में औषधीय पौधों की भी भरमार है. यहां पर रुद्राक्ष हरड़ भेड़ा, कपूर लेमन ग्रास ककड़सिंगी चंदन समेत कई ऐसे पौधे मौजूद हैं, जो निचले हिमाचल में देखने को नहीं मिलते हैं. गार्डन में कई ऐसे पौधे में मिल जाएंगे. जिनकी पहचान करना आपके लिए मुश्किल होगा या फिर हो सकता है कि आपने पहले इन पौधों को नहीं देखा हो.

अक्सर आपने सुना होगा कि गुलाब हमेशा कांटों में ही खिलता है, लेकिन इस गार्डन में आपको बिना कांटे वाला गुलाब ही नजर आएगा. इसके हवा के प्यूरीफायर का काम करने वाले कई तरह के पाम भी आपको यहां पर नजर आएंगे. बात चाहे साइकस पाम की हो या फिर अन्य तरह के फूलों की प्रजातियों की. कई ऐसे फूल है जिनका हिंदू परंपरा में देवी देवताओं के पूजन में अपना एक विशेष महत्व है. यह फूल भी इस गार्डन में आपको भरपूर मात्रा में देखेंगे.

गार्डन में आपको सागवान, चाइनीज बैम्बू और कई सजावटी पौधे भी हर कोने में देखने को मिलेंगे. सजावटी पौधों में कैक्टस की कई प्रजातियां इस गार्डन में मौजूद हैं. आईएफएस अफसर प्रदीप ठाकुर कहते हैं कि साल 2007 के बाद से ही उन्होंने घर के समीप यह कार्य शुरू किया. कई तरह के पेड़ पौधों को घर के आंगन में लगाना शुरू किया और बाद में गार्डन को बोटैनिकल गार्डन का रूप देना शुरू किया. धीरे-धीरे जो भी नए पेड़ पौधे उन्हें मिलते थे वह अपने गार्डन में इन्हें लगाते थे. जिससे अब 200 से 250 पौधे अब इस गार्डन में मौजूद हैं.

उन्होंने कहा कि देवदार का पौधा घर में लाकर में पैदा करना थोड़ा मुश्किल है. लगातार पौधे का ध्यान रखना पड़ता है और बार-बार इससे पानी भी देना पड़ता है, जिससे अब कई पौधे इस गार्डन में तैयार हो गए हैं. इसके अलावा चंदन को तैयार करने के लिए ध्यान रखना पड़ता है. शुरुआती चरण में जब पौधा छोटा होता है तो यह दूसरे पौधों की जड़ों से अपना पोषण लेता है. अब गार्डन में 10 से 12 फीट के चंदन के पौधे तैयार हो गए हैं, इसके अलावा कई छोटे पौधे भी हैं.

ये भी पढ़ें: बाहरी राज्यों के लोगों को सरकार बांट रही नौकरी, प्रदेश में हजारों युवा बेरोजगार: विक्रमादित्य

Last Updated : Jan 4, 2022, 7:17 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.