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'दूधाधारी' के रूप में भी बाबा बालक नाथ की होती है पूजा, अपने चमत्कार से तोड़ा था बाबा गोरखनाथ का अहंकार

इन दिनों दयोटसिद्ध में चक्रमास मेला चल रहा है. यहां हिमाचल प्रदेश के अलावा पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, जम्मू कश्मीर समेत अन्य उत्तर राज्यों से श्रद्धालू अपनी मनोकामना के लिए बाबा के दर्शन को पहुंचते हैं.

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Published : Mar 24, 2019, 12:57 PM IST

दयोटसिद्ध में चक्रमास मेले का आयोजन

हमीरपुर: उत्तरी भारत के प्रसिद्ध सिद्ध पीठ बाबा बालक नाथ मंदिर दयोटसिद्ध में बाबा बालक के गुरु दत्तात्रेय का मंदिर भी धौलागिरी की पहाड़ी पर स्थित है. यहां पर सदियों पहले गुरु दत्तात्रेय की चरण पादुका स्थापित की गई थी. चैत्र मास मेले के दौरान बाबा बालक नाथ की पवित्र गुफा में दर्शन करने के साथ ही श्रद्धालु उनके गुरु दत्तात्रेय के मंदिर में शीश नवाने पहुंचते हैं.

बाबा बालक नाथ के बारे में बताते मंदिर के पुजारी.

गुरु दत्तात्रेय और बाबा बालक नाथ के गुरु-चेले के रिश्ते की निष्ठा की कहानियां प्रचलित है. बताते हैं कि जब बाबा बालक नाथ शाहतलाई से धौलागिरी पर्वत के लिए मोर पर उड़े तो इस बारे में बाबा गोरखनाथ को जानकारी मिली.

किंवदंतियों के अनुसार जब बाबा गोरखनाथ को बाबा बालक नाथ के चमत्कारों के बारे में पता चला तो वह उनके परीक्षा लेने के लिए और उन्हें अपना चेला बनाने के लिए दयोटसिद्ध पहुंच गए. इसके बाद बाबा गोरखनाथ और बाबा बालक नाथ में हुए संवाद की कहानी बेहद रोचक बताई जाती है. कहा जाता है कि बाबा बालक नाथ ने बाबा गोरखनाथ का अभिमान तोड़ दिया था.

ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में पुजारी विजय शर्मा ने गुरु दत्तात्रेय और बाबा बालक नाथ के गुरु-शिष्य के रिश्ते के बारे में बताते हुए कहा कि जब शाहतलाई से बाबा बालक नाथ ने मोर पर धौलागिरी पर्वत के लिए उड़ान भरी तो क्षेत्र में उनके चमत्कार की चर्चा होने लगी. इसके बारे में जब बाबा गोरखनाथ को पता चला तो वह बाबा बालक नाथ की परीक्षा लेने और उन्हें अपना शिष्य बनाने के लिए ज़िद की. पहले तो बाबा गोरखनाथ ने अपने चेलों को बाबा बालक नाथ को अपने पास लाने के लिए भेजा. लेकिन बाद में बाबा बालक नाथ के न आने पर बाबा गोरखनाथ खुद ही उनके पास पहुंच गए.

गोरखनाथ ने अपने चेलों को बाबा बालक नाथ के कान का छेदन कर मुद्राएं डालने के आदेश दिए. लेकिन जब चेले बाबा बालक नाथ के कानों में मुद्राएं डालने लगे तो बाबा के कानों से खून के बजाय दूध की धारा बहने लगी. इसी कारण बाबा बालक नाथ को दूधाधारी के नाम से भी जाना जाता है. यह देख कर बाबा गोरखनाथ हैरान हो गए.

कहा जाता है कि चमत्कार को देखकर भी बाबा गोरखनाथ ने अपनी जिद नहीं छोड़ी और बाबा बालक से कहा कि तुम्हें मेरा शिष्य बनना पड़ेगा. बाबा बालक नाथ ने कहा कि गुरु एक ही होता है और उनकेगुरु दत्तात्रेय हैं. इस पर बाबा गोरखनाथ ने एक बार फिर उनके परीक्षा लेने की ठान ली. गोरखनाथ ने अपनी मृगशाला को आसमान में उछाला और इसे बाबा बालक नाथ से नीचे लाने की बात कही. इस पर बाबा बालक नाथ में अपने गुरु का ध्यान लगाते हुए अपना चिमटा आसमान में फेंका और बाबा गोरखनाथ की मृगशाला के टुकड़े टुकड़े कर दिए.

आपको बता दें कि इन दिनों दयोटसिद्ध में चक्रमास मेला चल रहा है. यह मेला 14 मार्च से शुरू हुआ है और 13 अप्रैल तक रहेगा. यहां हिमाचल प्रदेश के अलावा पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, जम्मू कश्मीर समेत अन्य उत्तर राज्यों से श्रद्धालू अपनी मनोकामना के लिए बाबा के दर्शन को पहुंचते हैं.

हमीरपुर: उत्तरी भारत के प्रसिद्ध सिद्ध पीठ बाबा बालक नाथ मंदिर दयोटसिद्ध में बाबा बालक के गुरु दत्तात्रेय का मंदिर भी धौलागिरी की पहाड़ी पर स्थित है. यहां पर सदियों पहले गुरु दत्तात्रेय की चरण पादुका स्थापित की गई थी. चैत्र मास मेले के दौरान बाबा बालक नाथ की पवित्र गुफा में दर्शन करने के साथ ही श्रद्धालु उनके गुरु दत्तात्रेय के मंदिर में शीश नवाने पहुंचते हैं.

बाबा बालक नाथ के बारे में बताते मंदिर के पुजारी.

गुरु दत्तात्रेय और बाबा बालक नाथ के गुरु-चेले के रिश्ते की निष्ठा की कहानियां प्रचलित है. बताते हैं कि जब बाबा बालक नाथ शाहतलाई से धौलागिरी पर्वत के लिए मोर पर उड़े तो इस बारे में बाबा गोरखनाथ को जानकारी मिली.

किंवदंतियों के अनुसार जब बाबा गोरखनाथ को बाबा बालक नाथ के चमत्कारों के बारे में पता चला तो वह उनके परीक्षा लेने के लिए और उन्हें अपना चेला बनाने के लिए दयोटसिद्ध पहुंच गए. इसके बाद बाबा गोरखनाथ और बाबा बालक नाथ में हुए संवाद की कहानी बेहद रोचक बताई जाती है. कहा जाता है कि बाबा बालक नाथ ने बाबा गोरखनाथ का अभिमान तोड़ दिया था.

ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में पुजारी विजय शर्मा ने गुरु दत्तात्रेय और बाबा बालक नाथ के गुरु-शिष्य के रिश्ते के बारे में बताते हुए कहा कि जब शाहतलाई से बाबा बालक नाथ ने मोर पर धौलागिरी पर्वत के लिए उड़ान भरी तो क्षेत्र में उनके चमत्कार की चर्चा होने लगी. इसके बारे में जब बाबा गोरखनाथ को पता चला तो वह बाबा बालक नाथ की परीक्षा लेने और उन्हें अपना शिष्य बनाने के लिए ज़िद की. पहले तो बाबा गोरखनाथ ने अपने चेलों को बाबा बालक नाथ को अपने पास लाने के लिए भेजा. लेकिन बाद में बाबा बालक नाथ के न आने पर बाबा गोरखनाथ खुद ही उनके पास पहुंच गए.

गोरखनाथ ने अपने चेलों को बाबा बालक नाथ के कान का छेदन कर मुद्राएं डालने के आदेश दिए. लेकिन जब चेले बाबा बालक नाथ के कानों में मुद्राएं डालने लगे तो बाबा के कानों से खून के बजाय दूध की धारा बहने लगी. इसी कारण बाबा बालक नाथ को दूधाधारी के नाम से भी जाना जाता है. यह देख कर बाबा गोरखनाथ हैरान हो गए.

कहा जाता है कि चमत्कार को देखकर भी बाबा गोरखनाथ ने अपनी जिद नहीं छोड़ी और बाबा बालक से कहा कि तुम्हें मेरा शिष्य बनना पड़ेगा. बाबा बालक नाथ ने कहा कि गुरु एक ही होता है और उनकेगुरु दत्तात्रेय हैं. इस पर बाबा गोरखनाथ ने एक बार फिर उनके परीक्षा लेने की ठान ली. गोरखनाथ ने अपनी मृगशाला को आसमान में उछाला और इसे बाबा बालक नाथ से नीचे लाने की बात कही. इस पर बाबा बालक नाथ में अपने गुरु का ध्यान लगाते हुए अपना चिमटा आसमान में फेंका और बाबा गोरखनाथ की मृगशाला के टुकड़े टुकड़े कर दिए.

आपको बता दें कि इन दिनों दयोटसिद्ध में चक्रमास मेला चल रहा है. यह मेला 14 मार्च से शुरू हुआ है और 13 अप्रैल तक रहेगा. यहां हिमाचल प्रदेश के अलावा पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, जम्मू कश्मीर समेत अन्य उत्तर राज्यों से श्रद्धालू अपनी मनोकामना के लिए बाबा के दर्शन को पहुंचते हैं.

Intro:तो इसलिए बाबा बालक नाथ को कहा जाता है दूधाधारी, चमत्कार दिखा कर तोड़ दिया था बाबा गोरखनाथ का अभिमान
हमीरपुर.
उत्तरी भारत के प्रसिद्ध सिद्ध पीठ बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध में बाबा बालक के गुरु दत्तात्रेय का मंदिर भी धौलागिरी की पहाड़ी पर स्थित है। यहां पर सदियों पहले गुरु दत्तात्रेय की चरण पादुका स्थापित की गई थी। चैत्र मास मेलों के दौरान बाबा बालक नाथ की पवित्र गुफा में दर्शन करने के साथ ही श्रद्धालु उनके गुरु गुरु दत्तात्रेय के मंदिर में शीश नवाने पहुंचते हैं। गुरु दत्तात्रेय और बाबा बालक नाथ के गुरु चेले के रिश्ते की निष्ठा की कहानियां प्रचलित है। बताते हैं कि जब बाबा बालक नाथ शाहतलाई से धौलागिरी पर्वत के लिए मोर पर उड़े तो इस बारे में बाबा गोरखनाथ को जानकारी मिली। किंवदंतियों के अनुसार जब बाबा गोरखनाथ को बाबा बालक नाथ के चमत्कारों के बारे में पता चला तो वह उनके परीक्षा लेने के लिए और उन्हें अपना चेला बनाने के लिए दियोटसिद्ध में पहुंच गए। इसके बाद बाबा गोरखनाथ और बाबा बालक नाथ में हुए संवाद की कहानी बेहद ही रोचक बताई जाती है। कहा जाता है कि बाबा बालक नाथ ने बाबा गोरखनाथ का अभिमान चूर चूर कर दिया था।



ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में गुरु दत्तात्रेय मंदिर के पुजारी विजय शर्मा ने गुरु दत्तात्रेय और बाबा बालक नाथ के गुरु शिष्य के रिश्ते के बारे में कई रोचक बातें बताई। पुजारी विजय शर्मा ने कहा कि जब शाहतलाई से बाबा बालक नाथ ने मोर पर धौलागिरी पर्वत के लिए उड़ान भरी तो क्षेत्र में उनके चमत्कार की चर्चा होने लगी। बालक नाथ के इस चमत्कार के बारे में जब बाबा गोरखनाथ को जानकारी मिली तो वह बाबा बालक नाथ की परीक्षा लेने और उन्हें अपना शिष्य बनाने के लिए ज़िद की। पहले तो बाबा गोरखनाथ ने अपने चेलों को बाबा बालक नाथ को अपने पास लाने के लिए भेजें। लेकिन बाद में बाबा बालक नाथ के न आने पर बाबा गोरखनाथ खुद ही उनके पास पहुंच गए। गोरखनाथ ने अपने चेलों को बाबा बालक नाथ के कान का छेदन कर मुद्राएं डालने के आदेश दिए। लेकिन जब चेले बाबा बालक नाथ के कानों में मुद्राएं डालने लगे तो बाबा के कानों से खून के बजाय दूध की धारा बहने लगी। इसी कारण बाबा बालक नाथ को दूधाधारी के नाम से भी जाना जाता है। यह देख कर बाबा गोरखनाथ हैरान हो गए।




Body:चमत्कार को देखकर भी बाबा गोरखनाथ ने अपनी जिद नहीं छोड़ी और बाबा बालक से कहा कि तुम्हें मेरा शिष्य बनना पड़ेगा। बाबा बालक नाथ ने कहा कि गुरु एक ही होता है और उनके गुरु गुरु दत्तात्रेय हैं। इस पर बाबा गोरखनाथ ने एक बार फिर उनके परीक्षा लेने की ठान ली। गोरखनाथ ने अपनी मृगशाला को आसमान में उछाला और इसे बाबा बालक नाथ से नीचे लाने की बात कही। इस पर बाबा बालक नाथ में अपने गुरु का ध्यान लगाते हुए अपना चिमटा आसमान में फेंका और बाबा गोरखनाथ की मृगशाला के टुकड़े टुकड़े कर दिए। इससे बाबा बालक नाथ अभिमान चूर चूर हो गया। इस तरह से उनकी परीक्षा भी विफल हो गई।





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