हमीरपुर: चुनावी साल में सियासी किस्से और फैसले खूब चर्चा पकड़ते हैं. ऐसे ही एक सियासी फैसले का जिक्र पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल (Former Chief Minister Prem Kumar Dhumal) ने सोमवार को हमीरपुर में किया. दो दशक पुराने इस फैसले को एक्स सीएम धूमल ने याद किया. इस खबर में आपको इस किस्से से जुड़े प्रदेश की दिग्गज राजनीतिक हस्तियों वीरभद्र सिंह और पंडित सुखराम के कनेक्शन भी बताएंगे. चलिए आपको दो दशक पीछे लेकर लिए चलते हैं. साल 1998 का सियासी घटनाक्रम हिमाचल की राजनीति का बड़ा उलटफेर था.
भाजपा ने इस साल कांग्रेस के मुंह से सत्ता का निवाला छीन कर प्रदेश में सरकार बनाई थी. दिवंगत नेता पूर्व संचार मंत्री पंडित सुखराम और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की रार के चलते और हिमाचल की राजनीति के उगते सूरज धूमल के मास्टरस्ट्रोक ने हिमाचल राजनीति के समीकरण ही बदल दिए थे. पहली दफा प्रेम कुमार धूमल गठबंधन वाली सरकार के मुख्यमंत्री बने. हिमाचल विकास कांग्रेस पार्टी के पांच विधायकों के साथ मिलकर भाजपा ने गठबंधन की सरकार बनाई थी. प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व में सरकार बनाई और पांच साल तक चलाई भी.
इस सरकार को बनाने से कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण इसे पांच साल तक चलाना था. सरकार के समीकरण ऐसी थे कि अगर एक भी विधायक छिटकता तो सरकार गिरना तय था. 68 सीट वाले हिमाचल विधानसभा में सरकार 34 और 35 के नाजुक फेर में थी. पांच साल तक धूमल ने सरकार को बचाने के लिए कईं ऐसे भी फैसले जो शायद वह लेना नहीं चाहते थे. दो दशक बाद धूमल ने तकनीकी शिक्षा से जुड़े एक ऐसे फैसले का खुलासा सोमवार को हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय हमीरपुर के स्थापना समारोह (Himachal Pradesh Technical University Hamirpur) में किया.
समारोह में संबोधन के दौरान धूमल ने कहा कि पहली दफा मुख्यमंत्री बनने के बाद कैबिनेट में फैसला लिया कि जिन विधानसभा क्षेत्रों में आईटीआई नहीं है, वहां पर आईटीआई खोले जाएंगे. आठ आईटीआई खोलने की घोषणा कर दी गई थी और उन्होंने अपने गृह क्षेत्र बमसन के लिए एक आईटीआई (Prem Kumar Dhumal on bamsan iti ) बचा कर रखी थी. इस बीच करसोग दौरे पर गए तो सहयोगी हिमाचल विकास कांग्रेस पार्टी के विधायक मनसा राम आईटीआई खोलने की घोषणा करने के लिए अड़ गए. धूमल ने कहा कि गठबंधन की सरकार में एक विधायक भी बेहद महत्वपूर्ण था. ऐसे में उन्होंने करसोग में आईटीआई (ITI in Karsog) खोलने का फैसला लिया. इस फैसले से करसोग में आईटीआई भी खुलवाई और सरकार को भी बचाया. धूमल ने कहा कि बाद में एक प्राइवेट आईटीआई बमसन में खुलवाई गई थी.
जब मुख्यमंत्री बना तो बमसन से पहले रोहड़ू गया: धूमल ने कहा कि हिमाचल छोटा सा प्रदेश है और इसके लिए जरूरत है समग्र विकास दृष्टिकोण की. उन्होंने अपने कार्यकाल में प्रदेशभर में कई संस्थान खोले और क्षेत्रवाद की राजनीति को दरकिनार किया. प्रदेशभर में विभिन्न संस्थान और कार्यलय खोले और क्षेत्र देख कर कभी विकास नहीं किया. कभी सेब वाले और बिना सेब वाले का भेद नहीं किया. उन्होंने कहा कि पहली दफा मुख्यमंत्री बनने पर जब शिमला में रोहड़ू के लोग मिलने के आए तो उन्होंने कहा कि आप हमारे क्षेत्र में भी आएंगे क्या? लोगों के कहने पर वह मुख्यमंत्री बनने के बाद गृहक्षेत्र बमसन में आने से पहले रोहड़ू गए. अपने कार्याकाल में इस तरह के फैसले लेकर लोगों को दिल जीतने का प्रयास किया. धूमल ने सवाल छोड़ते हुए कहा कि 70 लाख की आबादी वाले प्रदेश में क्षेत्रवाद में बंट जाएंगे तो बनेगा क्या?
जयराम सरकार में विपक्ष क्षेत्रवाद के लगातार रहा है आरोप: वर्तमान भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर विकास के मामले में क्षेत्रवाद के आरोपों को लेकर विपक्ष के निशाने पर रहे हैं. उन्हें विपक्ष के नेताओं ने सिराज के मुख्यमंत्री तक की संज्ञा दे डाली. कांग्रेस नेता अकसर यह आरोप लगाते हैं कि वर्तमान सरकार सराज और धर्मपुर विस क्षेत्र से बाहर नहीं निकल पाई है. विशेष तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के गृह हमीरपुर जिले की अनदेखी के आरोप विपक्ष लगाता रहा है. विपक्ष के दावों और आरोपों के जवाब में सीएम जयराम ठाकुर अकसर यह दावा करते हैं कि उन्होंने क्षेत्रवाद और टोपियों के रंग की राजनीति कभी नहीं की.
ऐसे में जयराम ठाकुर कांग्रेस के साथ धूमल पर परोक्ष रूप से टोपियों की राजनीति के मुद्दे पर सियासी निशाना कई बार साध चुके हैं. वहीं, चुनावों से ठीक पहले (Himachal assembly elections 2022) धूमल ने क्षेत्रवाद के विषय पर बयान देकर कई चर्चाओं को जन्म दे दिया है. धूमल टोपियों की राजनीति पर पूर्व में यह बयान दे चुके हैं कि पहले हरी और मैरून की रंग की टोपी चलती थी, लेकिन अब तो भाजपा की बैठकों पर कमल के फूल वाली टोपी दिखती है.
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