हमीरपुर: पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने शराब कांड मामले में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से सीबीआई जांच करवाने की बात कही है तो दूसरी ओर अपने पदाधिकारी को निष्कासित करने वाले कांग्रेस संगठन के नेता सरकार की जांच से संतुष्ट है.
ऐसे में बहुचर्चित शराब कांड मामले (Mandi illegal liquor case) में विपक्ष की भूमिका और भाजपा के ही वरिष्ठतम नेता प्रेम कुमार धूमल द्वारा उठाए जा रहे सवालों पर चिंतन जरूरी है. आखिर क्यों हिमाचल भाजपा के वरिष्ठतम नेता प्रेम कुमार धूमल सीबीआई जांच की सलाह दे रहे हैं और कांग्रेसी नेता विपक्ष में होने के बावजूद भी सरकारी दावों और 72 घंटे की पड़ताल से संतुष्ट हैं? 72 घंटे में प्रदेश पुलिस के एसआईटी ने अवैध शराब बनाने वाली फैक्ट्रियों का भी भंडाफोड़ कर दिया, लेकिन कई सवालों के जवाब अभी बाकी हैं.
इन सवालों को लेकर विपक्ष तो मौन है, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल इन सवालों को बखूबी उठा रहे हैं. यह कारोबार कब से और किस की शह पर चल रहा था यह सवाल हाईटेक जांच और पकड़ी गई शराब के बड़े-बड़े आंकड़ों के बीच गौण हो गया है.
पिछले दिनों एक जनसभा को संबोधित करते (illegal liquor in hamirpur) हुए पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने सुजानपुर में कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर हमीरपुर जिले के दौरे पर आए थे तब उन्होंने इस मामले में सीबीआई जांच करवाने की बात कही थी. उसके अगले ही दिन कांग्रेस हमीरपुर के जिला अध्यक्ष राजेंद्र जार ने प्रेस वार्ता कर प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के हमीरपुर जिले के दौरे पर तो सवाल उठाए, लेकिन शराब कांड मामले में सरकार की जांच से वह संतुष्ट नजर आए.
विपक्ष सरकार की नाकाम व्यवस्था पर क्यों नहीं कर पाया चोट: हमीरपुर जिले में जिला कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारी को मामले में संलिप्त पाए जाने पर जिला अध्यक्ष राजेंद्र जार ने तुरंत आरोपी नेता को पद मुक्त कर पार्टी से निष्कासित करने की सिफारिश प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष से कर दी. यह कार्रवाई इतनी जल्दी की गई थी कि अभी आरोपी कांग्रेसी नेता को हमीरपुर जिला पुलिस ने एसआईटी के हवाले तक नहीं किया था.
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कांग्रेस की तरफ से डैमेज कंट्रोल करने का भरसक प्रयास किया गया. शराब कांड में संगठन पर लगी चोट से उभरने के लिए कांग्रेसी नेता तुरंत एक्शन मोड में आगे आए, लेकिन एक मजबूत विपक्ष के नाते सरकार की व्यवस्था पर चोट नहीं कर पाए. हालांकि जब प्रेस वार्ता कर सरकार और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के हमीरपुर दौरे पर सवाल उठा रहे हमीरपुर कांग्रेस के अध्यक्ष राजेंद्र जार से यह सीधे शब्दों में पूछा गया कि क्या वह सरकार की जांच से संतुष्ट हैं तो वह बोले कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पहले ही इस मामले में न्यायिक जांच की मांग कर चुके हैं. सरकार इस मामले में जो प्रयास कर रही है उससे यह प्रतीत होता है कि जांच को लेकर सरकार गंभीर है.
शुरू से ही बैकफुट पर नजर आई जिला कांग्रेस: शराब कांड मामले में कांग्रेस हमीरपुर जिले में बैकफुट पर ही नजर आई है. बात चाहे जिले की हो या फिर कांग्रेसी विधायक राजेंद्र राणा के सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र की. कथित तौर पर सुजानपुर में भी एक कांग्रेसी नेता से अवैध शराब पकड़ी गई थी. जिसके बाद भाजपा मंडल सुजानपुर की तरफ से बाकायदा इस व्यक्ति के फोटो कांग्रेसी नेताओं और पदाधिकारियों और ऑनलाइन बैठकों के फोटो मीडिया में जारी किए गए थे.
यहां पर भाजपा और कांग्रेस नेताओं में खूब जुबानी जंग देखने को मिली थी. शुरू से ही शराब कांड मामले में कांग्रेस बैकफुट पर नजर आई. सुजानपुर में जहां कांग्रेसी विधायक राजेंद्र राणा लगभग हर घटना पर मीडिया में नजर आते हैं उनको भी भाजपा मंडल सुजानपुर में शराब कांड मामले में खूब घेरा.
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इन सवालों के जवाब हैं जरूरी: इन सवालों के जवाब बेहद जरूरी हैं कि मौत का यह काला कारोबार कब से हमीरपुर जिले में चल रहा था. आखिर कौन इस काले कारोबार के करने वाले लोगों के पैरोकार थे जिनके शह पर यह धंधा हो रहा था. कई रिपोर्ट ऐसे सामने आ चुके हैं जिसमें यह कहा गया है कि लॉकडाउन के दौरान प्रदेश भर में शराब ठेके बंद होने पर अवैध रूप से शराब की बिक्री का धंधा खूब फला-फूला था.
क्या उस दौर में ही यह काला कारोबार विकसित हुआ. इन सवालों के जवाब न तो आबकारी विभाग के पास है और न ही प्रदेश पुलिस के पास. आबकारी विभाग की परेड तो पुलिस की कार्रवाई के पीछे ही चल रही है और कई सवालों पर तो पुलिस आबकारी विभाग की औपचारिकता बता कर पल्ला झाड़ लेती है. ऐसे में क्या सत्तासीन सरकार काले कारोबार में जुटे लोगों के संरक्षकों के चेहरे से नकाब हटा पाएगी यह बड़ा सवाल है.
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