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हमीरपुर हत्याकांड: गृह मंत्री तक को लिखे पत्र, 6 महीने बाद मिला बेटी का कंकाल

हिमाचल के हमीरपुर जिला में एक लाचार पिता को अपनी बेटी छह महीने बाद कंकाल के रूप में मिली. यह कंकाल हासिल करने में भी एक पिता को गृह मंत्री तक को पत्र लिखना पड़ा. छह महीने तक पुलिस सिर्फ मिस

hamirpur murder case follow up
hamirpur murder case follow up
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Published : Oct 1, 2020, 7:34 PM IST

हमीरपुरः हाथरस की घटना ने जहां पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है वहीं, हिमाचल के हमीरपुर जिला में एक लाचार पिता को अपनी बेटी छह महीने बाद कंकाल के रूप में मिली. यह कंकाल हासिल करने में भी एक पिता को गृह मंत्री तक को पत्र लिखना पड़ा. घटना हमीरपुर जिला के शेर बलोनी पंचायत की है. यहां एक युवती का कत्ल कर नाले में दफना दिया गया, लेकिन पुलिस केस को महज एक मिसिंग रिपोर्ट मानकर करीब 6 महीनों तक जांच करती रही.

मामले में परिजनों ने पहले ही साथ लगते गांव के युवक पर शक जाहिर किया था. इसके बावजूद कार्रवाई में देरी की गई. यहां तक की लड़की के पिता ने डीसी और एसपी कार्यालय के कई बार चक्कर काटे, लेकिन उन्हें हर बार आश्वासन ही मिले. थक हार कर आखिर गृह मंत्री को इस मामले में पत्र लिखकर लाचार पिता ने न्याय की गुहार लगाई तब कहीं जाकर बेटी का कंकाल बरामद हुआ.

वीडियो.

मृतिका के पिता का कहना है कि वह डीसी और एसपी कार्यालय में भी गए थे. इसके अलावा उन्होंने गृह मंत्री को पत्र लिखा तब कहीं जाकर मामले में कार्रवाई हुई. अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या अगर पुलिस मामले की संजीदगी को समझते हुए गंभीरता से जांच करती तो क्या इस बेटी की जान बच सकती थी. अब अगर 6 महीने बाद परिजनों को कलेजे का टुकड़ा कंकाल के रूप में मिला है तो इसके लिए दोषी कौन है. अभी तक पुलिस की जांच भी कई पहलुओं में उल्झी हुई है.

उधर, जांच में देरी के सवाल पर पुलिस अधीक्षक हमीरपुर का कहना है कि परिजनों ने जब उनसे मुलाकात की तो उन्होंने संबंधित थाना प्रभारी को त्वरित कार्रवाई करने के आदेश दिए थे. इसके बाद इस मामले में पुलिस को सफलता हाथ लगी है.

अधीक्षक हमीरपुर कार्तिकेयन गोकुलचंद्रन का कहना है कि उन्होंने उनसे भी मुलाकात की है. मिसिंग रिपोर्ट दर्ज करने के बाद मामले में छानबीन की गई और जब परिजनों ने उनसे मुलाकात की तो उसके बाद भी दिशा-निर्देश जारी किए गए थे. इसके बाद ही इस मामले में सफलता हाथ लगी.

पुलिस अधीक्षक का तर्क है कि जांच में किसी भी तरह की कोई देरी नहीं हुई है और पुलिस ने कानूनी राय लेने के बाद ही इस मामले में कार्रवाई की है. पुलिस के इस तर्क पर सवाल यह है कि कानूनी राय लेने और कार्रवाई करने में आखिर पुलिस को 6 महीने का वक्त कैसे लगा. जिस आरोपी ने पिछले मंगलवार को अपना जुर्म कबूल किया. उस पर मृतका युवती के परिजन पहले भी कई बार शक जाहिर कर चुके थे. इसके बावजूद जांच दिशा नहीं पकड़ पाई और पुलिस की तफ्तीश लंबे समय तक नाकाम ही रही.

ये भी पढ़ें- युवती के कत्ल मामले में एक बार फिर घटनास्थल पर पहुंचे SP, परिजनों और ग्रामीणों से की बात

ये भी पढ़ें- आरोपी प्रेमी ने गर्भवती प्रेमिका का कत्ल कर नाले में दफनाया, 6 माह बाद मिला कंकाल

हमीरपुरः हाथरस की घटना ने जहां पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है वहीं, हिमाचल के हमीरपुर जिला में एक लाचार पिता को अपनी बेटी छह महीने बाद कंकाल के रूप में मिली. यह कंकाल हासिल करने में भी एक पिता को गृह मंत्री तक को पत्र लिखना पड़ा. घटना हमीरपुर जिला के शेर बलोनी पंचायत की है. यहां एक युवती का कत्ल कर नाले में दफना दिया गया, लेकिन पुलिस केस को महज एक मिसिंग रिपोर्ट मानकर करीब 6 महीनों तक जांच करती रही.

मामले में परिजनों ने पहले ही साथ लगते गांव के युवक पर शक जाहिर किया था. इसके बावजूद कार्रवाई में देरी की गई. यहां तक की लड़की के पिता ने डीसी और एसपी कार्यालय के कई बार चक्कर काटे, लेकिन उन्हें हर बार आश्वासन ही मिले. थक हार कर आखिर गृह मंत्री को इस मामले में पत्र लिखकर लाचार पिता ने न्याय की गुहार लगाई तब कहीं जाकर बेटी का कंकाल बरामद हुआ.

वीडियो.

मृतिका के पिता का कहना है कि वह डीसी और एसपी कार्यालय में भी गए थे. इसके अलावा उन्होंने गृह मंत्री को पत्र लिखा तब कहीं जाकर मामले में कार्रवाई हुई. अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या अगर पुलिस मामले की संजीदगी को समझते हुए गंभीरता से जांच करती तो क्या इस बेटी की जान बच सकती थी. अब अगर 6 महीने बाद परिजनों को कलेजे का टुकड़ा कंकाल के रूप में मिला है तो इसके लिए दोषी कौन है. अभी तक पुलिस की जांच भी कई पहलुओं में उल्झी हुई है.

उधर, जांच में देरी के सवाल पर पुलिस अधीक्षक हमीरपुर का कहना है कि परिजनों ने जब उनसे मुलाकात की तो उन्होंने संबंधित थाना प्रभारी को त्वरित कार्रवाई करने के आदेश दिए थे. इसके बाद इस मामले में पुलिस को सफलता हाथ लगी है.

अधीक्षक हमीरपुर कार्तिकेयन गोकुलचंद्रन का कहना है कि उन्होंने उनसे भी मुलाकात की है. मिसिंग रिपोर्ट दर्ज करने के बाद मामले में छानबीन की गई और जब परिजनों ने उनसे मुलाकात की तो उसके बाद भी दिशा-निर्देश जारी किए गए थे. इसके बाद ही इस मामले में सफलता हाथ लगी.

पुलिस अधीक्षक का तर्क है कि जांच में किसी भी तरह की कोई देरी नहीं हुई है और पुलिस ने कानूनी राय लेने के बाद ही इस मामले में कार्रवाई की है. पुलिस के इस तर्क पर सवाल यह है कि कानूनी राय लेने और कार्रवाई करने में आखिर पुलिस को 6 महीने का वक्त कैसे लगा. जिस आरोपी ने पिछले मंगलवार को अपना जुर्म कबूल किया. उस पर मृतका युवती के परिजन पहले भी कई बार शक जाहिर कर चुके थे. इसके बावजूद जांच दिशा नहीं पकड़ पाई और पुलिस की तफ्तीश लंबे समय तक नाकाम ही रही.

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