हमीरपुर: 13 मार्च को सीएम जयराम ठाकुर बड़सर आएंगे. इस बार यह दावा सियासी नहीं सरकारी है. क्या मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल के साढ़े 4 सालों में पहली बार बड़सर विधानसभा क्षेत्र के दौरे पर पहुंच पाएंगे? सवालिया निशान, इसलिए क्योंकि हर बार सीएम के दौरे का सियासी दावा जमीन पर नहीं उतर सका है. ऐसे में बड़सर विधानसभा क्षेत्र के साथ हमीरपुर जिले की सियासी फिजाओं में सीएम के दौरे की सरकारी सूचना के बाद अब सबके दिमाग में यह सवाल कौंध रहा है कि क्या चुनावी साल में सीएम बड़सर की जनता के बीच पहुंच पाएंगे?
दियोटसिद्ध का दौरा करेंगे सीएम जयराम- इस साल के आखिर में प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी से टिकट के उम्मीदवारों से दूर अब सरकारी तंत्र ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के बड़सर विधानसभा क्षेत्र के दौरे की सूचना दी है. पिछले साढ़े चार वर्षों में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर बड़सर क्षेत्र के लोगों का अरमान पूरा नहीं कर पाए हैं. अब आखिरकार 13 मार्च रविवार को सीएम बिझड़ी और दियोटसिद्ध का दौरा (cm jairam barsar tour) करेंगे. इस दौरान सीएम जयराम करोड़ों रुपये के विकास परियोजनाओं के उद्घाटन व शिलान्यास करेंगे.
बड़सर से टिकट की चाह रखने वालों की लंबी लिस्ट- सियासी नजर से बड़सर विधानसभा क्षेत्र में पिछले दस वर्षों से भाजपा जीत (bjp loss barsar seat) नहीं पाई है. दस साल के अंतराल में बीजेपी से टिकट के उम्मीदवारों की सूची लंबी हो गई है. इस लंबी लिस्ट के चलते ही सीएम जयराम पिछले लंबे समय से बड़सर के दौरे से किसी न किसी बहाने से बचते ही नजर आए हैं. अब चुनावी साल में सीएम जयराम ठाकुर को बड़सर की याद आ गई है. बहरहाल, अब पांच राज्यों के नतीजे आने के बाद बीजेपी की जीत से उत्साहित सीएम जयराम बड़सर की जनता के साथ ही विधानसभा चुनाव (assembly election in himachal) में बीजेपी से टिकट पाने की चाहत रखने वालों के बीच में पहुंचने जा रहे हैं.
सीएम की दूरी से बड़सरवासियों की हर इच्छा अधूरी- कभी कोरोना की मार, तो कभी सीएम की इस क्षेत्र से दूरी का नतीजा यह रहा की बड़सरवासियों की जयराम सरकार से हर इच्छा अधूरी रही. कुछ समय में नेताओं का विकास तो खूब हुआ, जिसके चलते टिकट पाने वालों की लंबी फेहरिस्त तैयार हो गई, लेकिन क्षेत्र की जनता के लिए विकास का पहिया थमा का थमा रह गया. विकास का पहिया घूमता भी तो कैसे, क्योंकि प्रदेश के मुखिया का रथ पिछले चार सालों में यहां कभी पहुंचा ही नहीं.
मुख्यमंत्री के दौरे के बाद तेज होगी टिकट की दावेदारी- चुनाव की आहट और पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में सरकार रिपीट होने के बाद उत्साहित सीएम की गाड़ी संभवत प्रदेशभर में सरपट दौड़ेगी. चुनावी साल में सीएम के दौरे का पहला स्टेशन शायद बड़सर ही चुना गया है. ऐसा नहीं है कि इन दस वर्षों में महज टिकट के दावेदार ही पैदा हुए, बल्कि इन नेताओं का एक समान विकास भी हुआ. सरकार हमेशा पार्टी के नेताओं पर ही मेहरबान रही. सीएम के दौरे के बाद इस बात की जोर आजमाइश शुरू होगी कि कौन बड़सर से खुद को टिकट की दौड़ में अधिक स्थापित दिखा पाएगा.
विकास में कोरोना को बाधा बताया, तो विपक्ष ने सवाल उठाया- विकास में कोरोना को बाधा बताया गया, तो विपक्षी विधायक इंद्रदत लखनपाल ने बीजेपी से टिकट के उम्मीदवार से लेकर सरकार तक को घेरा. कांग्रेस विधायक लखनपाल कई बार सीएम का दौरा रद्द होने पर यह तंज कस (congress mla lakhanpal comment on jairam) चुके हैं कि अगर विधानसभा चुनाव में टिकट की चाह रखने वालों की वजह से सीएम की बड़सर से दूरी है तो ऑनलाइन ही विकास कार्यों के शिलान्यास और उद्घाटन कर दिए जाएं. लखनपाल कई बार यह बयान दे चुके हैं कि कोरोना कोई बड़ी बाधा नहीं है. दरअसल, मुख्यमंत्री टिकट की चाह रखने वालों के संभावित दंगल से बचना चाहते हैं. कोई टिकट का दावेदार नाराज न हो तो सीएम हमेशा ही दौरे को टाल देना ही उचित समझते हैं.
टिकट के लिए एक अनार, सौ बीमार वाली स्थिति- भाजपा जिलाध्यक्ष बलदेव शर्मा, प्रदेश प्रवक्ता विनोद ठाकुर, कामगार कल्याण बोर्ड चेयरमैन राकेश शर्मा बबली व ग्रामीण विकास बैंक चेयरमैन कमल नयन शर्मा, बड़सर विधानसभा क्षेत्र से ही संबंध रखते हैं. हमीरपुर जिले में बड़सर विधानसभा क्षेत्र में ही टिकट के लिए भाजपा नेताओं में अधिक मुकाबला देखने मिल रहा है. दरअसल, सीएम जयराम के दरबार में हाजिरी लगाने के लिए टिकट की चाह रखने वाले शिमला पहुंचते रहे और सीएम को बड़सर आने का भी न्यौता देते रहे. सीएम का कई बार दौरा भी तय हुआ, लेकिन किसी न किसी वजह से ऐन वक्त पर दौरा टल गया.
कहीं कटेंगे फीते तो कहीं लगेंगे नींव के पत्थर- चार करोड़ की लागत से तैयार आयुर्वेदिक अस्पताल बिझड़ी, दियोटसिद्ध में 11 करोड़ की लागत से तैयार लंगर भवन बिना उद्घाटन के क्षेत्र की जनता के तिरस्कार की गवाही दे रहे हैं. बस अड्डा बड़सर लगभग 10 साल पहले शिलान्यास के बावजूद आज तक नहीं बन सका है. पिछली भाजपा सरकार के समय बस अड्डे के लिए भूमि चयनित करने के बाद इसका शिलान्यास तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल द्वारा करवाया गया था. कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में बस स्टैंड निर्माण के लिए भूमि के कागजात खंगाले गए, तो यह निकला कि भूमि बस अड्डा के लिए पर्याप्त नहीं है. जिसके चलते लंबे अरसे से चली आ रही मांग व उम्मीद धराशाई हो गई. कांग्रेस के शासनकाल में मैहरे से बस अड्डे को शिफ्ट कर बड़सर में बनाने की योजना बनाई गई, लेकिन यह योजना अभी तक फाइलों में ही दबी पड़ी है.
चुनावी साल में नेताओं के लिए बिछेंगे रेड कारपेट- प्रदेश की जयराम सरकार कार्यकाल के अंतिम वर्ष में पहुंच चुकी है, लेकिन पहले की धूमल सरकार का दिखाया सपना अभी तक कागजों में ही अटका है. बड़सर के बड़े कस्बे मैहरे में हालात ऐसे हैं कि बसें हाईवे के किनारे खड़ी होती हैं और वहां लोगों का स्वागत कीचड़ से हो रहा है. आपको बता दें कि सत्तापक्ष व विपक्ष इस मुद्दे को लेकर एक-दूसरे पर खूब कीचड़ उछालते रहे हैं. शिलान्यास के लगभग 10 वर्ष बीत जाने के बाद भी बड़सरवासी अपने आपको छला हुआ महसूस कर रहे हैं. सबसे ज्यादा दिक्कतें बस ऑपरेटर्स, यात्रियों, यातायात कर्मियों के साथ स्थानीय दुकानदारों व राहगीरों को पेश आ रही हैं. बस स्टैंड 10 वर्षों के बाद भी नहीं बन पाया है और अब चुनावी साल में नेताओं के रेड कारपेट बिछाने की तैयारी चल रही है.
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