हमीरपुर: बड़सर विधानसभा क्षेत्र से मुख्यमंत्री की दूरी और नियुक्तियों की मेहरबानी सियासी गलियारों में खूब चर्चा में है. हमीरपुर जिला की अगर बात करें तो किसी समय भाजपा का मजबूत गढ़ रहे इस जिला में पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने सेंधमारी की है.
आगामी विधानसभा चुनावों में हर विधानसभा क्षेत्र में जीत हासिल करने का लक्ष्य से सरकार और संगठन कार्य कर रहा है, लेकिन अधिक फोकस बड़सर विधानसभा क्षेत्र में देखने को मिल रहा .है जहां पर भाजपा लगातार दो विधानसभा चुनावों में हार का सामना कर चुकी है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर दावा करते हैं कि उन्होंने हर विधानसभा क्षेत्र का प्रदेश में दौरा किया है, लेकिन अभी तक बड़सर विधानसभा क्षेत्र उनके आधिकारिक दौरे से अछूता रहा है. वह भी तब जब यहां से पार्टी लगातार दो विधानसभा चुनावों में हार का सामना कर चुकी है.
यहां पर भाजपा नेताओं की कोई कमी नहीं है नियुक्ति में भी सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी है जहां एक तरफ पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के करीबी बलदेव शर्मा को लगातार दो विधानसभा चुनावों में हार के बावजूद जिला भाजपा अध्यक्ष नियुक्त किया गया है तो वही यहां से संगठन और सरकार में पहुंच रखने वाले ऐसे तीन नेता भी हैं जो आगामी विधानसभा चुनावों के दृष्टिगत पूरी तरह से सक्रिय हैं.
इस विधानसभा क्षेत्र से ही कमलनयन प्राथमिक कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के अध्यक्ष हैं, जबकि हाल ही में राकेश शर्मा बबली को श्रम एवं कामगार कल्याण बोर्ड का चेयरमैन जयराम सरकार ने बनाया है. वहीं, प्रदेश प्रवक्ता विनोद ठाकुर भी क्षेत्र में पूरी तरह से सक्रिय हैं.
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के बड़सर विधानसभा क्षेत्र से दूरी सरकार बनने के बाद से लगातार बनी हुई है. हालांकि वर्तमान जिला अध्यक्ष बलदेव शर्मा कई बार मीडिया में जल्द ही मुख्यमंत्री के दौरे का दावा कर चुके हैं. साथ ही यह दावा प्रदेश प्रवक्ता विनोद ठाकुर ने भी किया है, लेकिन इन नेताओं के दावों के बावजूद अभी तक बड़सर विधानसभा क्षेत्र से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की दूरी बनी हुई है.
हाल ही में श्रम एवं कामगार कल्याण बोर्ड के चेयरमैन बने राकेश शर्मा ने भी अब मुख्यमंत्री के क्षेत्र में दौरे का दावा किया है. साथ ही उन्होंने एकजुटता से चुनाव लड़े जाने की भी बात कही है और पार्टी के प्रत्याशी की जीत का दावा भी किया है, लेकिन यह भी विदित है की इस विधानसभा क्षेत्र में भाजपा को कांग्रेस से ही नहीं बल्कि अपने नेताओं से भी सियासी लड़ाई लड़नी होगी.
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