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दावों पर सवाल! शिलान्यास के 3 साल बाद भी मेडिकल कॉलेज हमीरपुर को नहीं मिला अपना भवन

पिछले 3 साल से मेडिकल कॉलेज जिला अस्पताल हमीरपुर में चल रहा है. हालात ऐसे हैं कि मेडिकल कॉलेज हमीरपुर का न तो अपना भवन है और न ही अभी तक मशीनरी यहां पर मेडिकल कॉलेज के स्तर के उपलब्ध हो पाई है. जयराम सरकार ने सत्ता में आते ही कुछ माह बाद ही मेडिकल कॉलेज के भवन का शिलान्यास तो कर दिया, लेकिन अभी तक भवन का निर्माण नहीं हो पाया है. सरकार का डेढ़ साल का कार्यकाल बचा है. ऐसे में जयराम सरकार में नए भवन का उद्घाटन हो पाएगा या नहीं, यह भविष्य के गर्भ में छिपा है.

मेडिकल कॉलेज हमीरपुर
मेडिकल कॉलेज हमीरपुर
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Published : Jul 27, 2021, 2:52 PM IST

हमीरपुर: जिला के सर्वोच्च स्वास्थ्य संस्थान मेडिकल कॉलेज हमीरपुर को शिलान्यास के लगभग 3 साल बाद भी अपना भवन नसीब नहीं हो पाया है. साल 2022 में मेडिकल कॉलेज हमीरपुर के निर्माणाधीन भवन के कार्य को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन निर्माण कार्य फिलहाल शुरुआती चरण में ही है. जिस वजह से 2022 तक इस कार्य को पूरा कर पाना मुश्किल नजर आ रहा है.

पिछले 3 साल से मेडिकल कॉलेज जिला अस्पताल हमीरपुर में चल रहा है. हालात ऐसे हैं कि मेडिकल कॉलेज हमीरपुर का न तो अपना भवन है और न ही अभी तक मशीनरी यहां पर मेडिकल कॉलेज के स्तर के उपलब्ध हो पाई है. जयराम सरकार ने सत्ता में आते ही कुछ माह बाद मेडिकल कॉलेज के भवन का शिलान्यास तो कर दिया, लेकिन अभी तक भवन का निर्माण नहीं हो पाया है. सरकार का डेढ़ साल का कार्यकाल बचा है. ऐसे में जयराम सरकार में नए भवन का उद्घाटन हो पाएगा या नहीं, यह भविष्य के गर्भ में छिपा है.

ईटीवी भारत हिमाचल प्रदेश की टीम ने इन तमाम कमियों को लेकर मेडिकल कॉलेज हमीरपुर की प्रिंसिपल डॉक्टर सुमन यादव से बात करनी चाही, लेकिन जवाब देने के बजाय हर बार प्रिंसिपल सवालों से बचते ही नजर आए. हालात ऐसे हैं कि मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में आउटडेटेड हो चुके उपकरण अब रिपेयर करने लायक ही नहीं बचे हैं. नए उपकरणों की खरीद नहीं हो पा रही है. ऐसे में मरीजों को उपचार के लिए अन्य जिलों का रुख करना पड़ रहा है.

वीडियो

इन तमाम कमियों में सुधार करने के बजाय मेडिकल कॉलेज प्रबंधन हमेशा ही सवालों को टालता हुआ नजर आया है. मेडिकल कॉलेज हमीरपुर के प्रबंधन के इस रवैया के कारण मरीजों का मर्ज कम होने के बजाय बढ़ता जा रहा है. एक एक्स-रे से लेकर सिटी स्कैन तक के लिए निजी लैब का रुख करना पड़ रहा है. इस वजह से हजारों रुपये लोगों को खर्च करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.

कोरोना काल में मेडिकल कॉलेज हमीरपुर एवं जिला अस्पताल में इमरजेंसी वार्ड में ही कोविड वार्ड बनाया गया है. इमरजेंसी वार्ड को तोड़कर यह व्यवस्था यहां पर की गई है. भवन की कमी के कारण जिला अस्पताल में बहुत से कार्य प्रभावित हो रहे हैं. हालात ऐसे हैं कि कोरोना की दूसरी लहर में जिला कोविड केअर सेंटर आयुर्वेदिक अस्पताल को बनाना पड़ा था. कोरोना की तीसरी लहर का खतरा लगातार बना हुआ है. ऐसे में अब इन कमियों की वजह से मरीजों को आने वाले दिनों में दिक्कतें में दिक्कतें भी पेश आ सकती हैं.

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के गृह जिला हमीरपुर में मेडिकल कॉलेज में सुविधाओं का अभाव लोगों के लिए बड़ी समस्या बन गया है. खुद केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर अपने पिछले दौरे के दौरान मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में पेश आ रही इन समस्याओं के प्रति चिंता व्यक्त कर चुके हैं. उन्होंने प्रदेश सरकार से मेडिकल कॉलेज में नई सिटी स्कैन मशीन स्थापित करने की भी सलाह दी थी. उन्होंने सार्वजनिक तौर पर मंच से कहा था कि अत्याधुनिक मशीनों के जमाने में मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में चलन से बाहर हो चुके मशीनों का इस्तेमाल हो रहा है. जो कि अभी मरम्मत योग्य भी नहीं है.

हाल ही में हुई कैबिनेट बैठक में मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में अत्याधुनिक सीटी स्कैन मशीन लगाने को मंजूरी दी गई है, लेकिन यह मशीन कब तक मेडिकल कॉलेज हमीरपुर को मिल पाएगी, यह अपने आप में अभी तक बड़ा सवाल है. इसके अलावा मेडिकल कॉलेज में अन्य व्यवस्थाओं में सुधार को लेकर भी यहां पर लंबे समय से लोग परेशान हो रहे हैं. प्रदेश सरकार के दावों के विपरीत, यहां पर लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए जूझना पड़ रहा है.

मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में 100 से अधिक डॉक्टर वर्तमान समय में कार्यरत हैं, लेकिन ओपीडी में जगह की कमी की वजह से इन डॉक्टरों को भी दिक्कतें पेश आ रही हैं. हालात ऐसे हैं कि उपकरणों की कमी के चलते डॉक्टर मरीजों का सही ढंग से इलाज भी नहीं कर पा रहे हैं. जगह और उपकरण की कमी उपचार में बड़ी बाधा बनी हुई है.

ये भी पढ़ें: मुख्य सचेतक विक्रम जरयाल ने संभाला पदभार, बोले: ईमानदारी से करूंगा काम

हमीरपुर: जिला के सर्वोच्च स्वास्थ्य संस्थान मेडिकल कॉलेज हमीरपुर को शिलान्यास के लगभग 3 साल बाद भी अपना भवन नसीब नहीं हो पाया है. साल 2022 में मेडिकल कॉलेज हमीरपुर के निर्माणाधीन भवन के कार्य को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन निर्माण कार्य फिलहाल शुरुआती चरण में ही है. जिस वजह से 2022 तक इस कार्य को पूरा कर पाना मुश्किल नजर आ रहा है.

पिछले 3 साल से मेडिकल कॉलेज जिला अस्पताल हमीरपुर में चल रहा है. हालात ऐसे हैं कि मेडिकल कॉलेज हमीरपुर का न तो अपना भवन है और न ही अभी तक मशीनरी यहां पर मेडिकल कॉलेज के स्तर के उपलब्ध हो पाई है. जयराम सरकार ने सत्ता में आते ही कुछ माह बाद मेडिकल कॉलेज के भवन का शिलान्यास तो कर दिया, लेकिन अभी तक भवन का निर्माण नहीं हो पाया है. सरकार का डेढ़ साल का कार्यकाल बचा है. ऐसे में जयराम सरकार में नए भवन का उद्घाटन हो पाएगा या नहीं, यह भविष्य के गर्भ में छिपा है.

ईटीवी भारत हिमाचल प्रदेश की टीम ने इन तमाम कमियों को लेकर मेडिकल कॉलेज हमीरपुर की प्रिंसिपल डॉक्टर सुमन यादव से बात करनी चाही, लेकिन जवाब देने के बजाय हर बार प्रिंसिपल सवालों से बचते ही नजर आए. हालात ऐसे हैं कि मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में आउटडेटेड हो चुके उपकरण अब रिपेयर करने लायक ही नहीं बचे हैं. नए उपकरणों की खरीद नहीं हो पा रही है. ऐसे में मरीजों को उपचार के लिए अन्य जिलों का रुख करना पड़ रहा है.

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इन तमाम कमियों में सुधार करने के बजाय मेडिकल कॉलेज प्रबंधन हमेशा ही सवालों को टालता हुआ नजर आया है. मेडिकल कॉलेज हमीरपुर के प्रबंधन के इस रवैया के कारण मरीजों का मर्ज कम होने के बजाय बढ़ता जा रहा है. एक एक्स-रे से लेकर सिटी स्कैन तक के लिए निजी लैब का रुख करना पड़ रहा है. इस वजह से हजारों रुपये लोगों को खर्च करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.

कोरोना काल में मेडिकल कॉलेज हमीरपुर एवं जिला अस्पताल में इमरजेंसी वार्ड में ही कोविड वार्ड बनाया गया है. इमरजेंसी वार्ड को तोड़कर यह व्यवस्था यहां पर की गई है. भवन की कमी के कारण जिला अस्पताल में बहुत से कार्य प्रभावित हो रहे हैं. हालात ऐसे हैं कि कोरोना की दूसरी लहर में जिला कोविड केअर सेंटर आयुर्वेदिक अस्पताल को बनाना पड़ा था. कोरोना की तीसरी लहर का खतरा लगातार बना हुआ है. ऐसे में अब इन कमियों की वजह से मरीजों को आने वाले दिनों में दिक्कतें में दिक्कतें भी पेश आ सकती हैं.

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के गृह जिला हमीरपुर में मेडिकल कॉलेज में सुविधाओं का अभाव लोगों के लिए बड़ी समस्या बन गया है. खुद केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर अपने पिछले दौरे के दौरान मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में पेश आ रही इन समस्याओं के प्रति चिंता व्यक्त कर चुके हैं. उन्होंने प्रदेश सरकार से मेडिकल कॉलेज में नई सिटी स्कैन मशीन स्थापित करने की भी सलाह दी थी. उन्होंने सार्वजनिक तौर पर मंच से कहा था कि अत्याधुनिक मशीनों के जमाने में मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में चलन से बाहर हो चुके मशीनों का इस्तेमाल हो रहा है. जो कि अभी मरम्मत योग्य भी नहीं है.

हाल ही में हुई कैबिनेट बैठक में मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में अत्याधुनिक सीटी स्कैन मशीन लगाने को मंजूरी दी गई है, लेकिन यह मशीन कब तक मेडिकल कॉलेज हमीरपुर को मिल पाएगी, यह अपने आप में अभी तक बड़ा सवाल है. इसके अलावा मेडिकल कॉलेज में अन्य व्यवस्थाओं में सुधार को लेकर भी यहां पर लंबे समय से लोग परेशान हो रहे हैं. प्रदेश सरकार के दावों के विपरीत, यहां पर लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए जूझना पड़ रहा है.

मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में 100 से अधिक डॉक्टर वर्तमान समय में कार्यरत हैं, लेकिन ओपीडी में जगह की कमी की वजह से इन डॉक्टरों को भी दिक्कतें पेश आ रही हैं. हालात ऐसे हैं कि उपकरणों की कमी के चलते डॉक्टर मरीजों का सही ढंग से इलाज भी नहीं कर पा रहे हैं. जगह और उपकरण की कमी उपचार में बड़ी बाधा बनी हुई है.

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