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संगठन समर्पण और बूथ प्रबंधन में फिर दिखा भाजपा का लोहा, पालकी में सम्मेलन तक पहुंचाए गए वरिष्ठ कार्यकर्ता

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Published : Jun 21, 2022, 12:53 PM IST

चुनावों में लगभग हर पहलू को चुनौती मानकर रण में उतरने वाली भाजपा के सोमवार को हमीरपुर में आयोजित त्रिदेव सम्मेलन (BJP Tridev Conference in Hamirpur) में संगठन के प्रति सर्मपण के कई जीवंत उदाहरण देखने को मिले. त्रिदेवों में से एक 86 बर्षीय बुजूर्ग बूथ पालक रमेश भडोलिया को जब चलने में दिक्कत हुई तो उन्हें सम्मेलन पंडाल तक युवा कार्यकर्ताओं ने कंधे पर उठाकर पालकी से पहुंचाया. पढ़ें पूरी खबर..

BJP Tridev Conference in Hamirpur
BJP Tridev Conference in Hamirpur

हमीरपुर: चुनावों में लगभग हर पहलू को चुनौती मानकर रण में उतरने वाली भाजपा के सोमवार को हमीरपुर में आयोजित त्रिदेव सम्मेलन (BJP Tridev Conference in Hamirpur) में संगठन के प्रति सर्मपण के कई जीवंत उदाहरण देखने को मिले. त्रिदेवों में से एक 86 बर्षीय बुजूर्ग बूथ पालक रमेश भडोलिया को जब चलने में दिक्कत हुई तो उन्हें सम्मेलन पंडाल तक युवा कार्यकर्ताओं ने कंधे पर उठाकर पालकी से पहुंचाया.

वरिष्ठ कार्यकर्ता भाजपा ऊना मंडल के पूर्व मंडल अध्यक्ष भी रहे है और वर्तमान में बूथ पालक के रूप में सेवाएं दे रहे है. जब वह गाड़ी से दोसडका में उतरे तो सम्मलेन स्थल तक पहुंचने के लिए पैदल चलना पड़ा. वह चलने में सहज नहीं थे तो युवा भाजपा कार्यकर्ताओं ने उन्हें पालकी में बैठाकर सम्मेलन स्थल तक पहुंचाया. संगठन के प्रति भाजपा कार्यकर्ताओं के सर्मपण का यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल भी हो रहा है. आयोजकों के मुताबिक पंडाल में 6247 कुर्सियां लगाई गई थी और इतने ही त्रिदेव इस सम्मेलन में आपेक्षित थे. आपेक्षित कार्यकर्ताओं 6247 में से 6134 कार्यकर्ता यानि 98.8 प्रतिशत उपस्थिति सम्मेलन में दर्ज हुई.

पालकी में सम्मेलन तक पहुंचाए गए वरिष्ठ कार्यकर्ता.

हर काउंटर पर क्यू आर कोड से एंट्री: संगठन में बूथ प्रबंधन के प्रति भाजपा नेताओं की संजीदगी को आप ऐसे समझ सकते है कि भाजपा के त्रिदेव सम्मेलन में कार्यकर्ताओं की एंट्री के लिए हाईटेक व्यवस्था की गई थी. हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के हर मंडल के लिए अलग से काउंटर लगाया गया था, जहां पर कार्यकर्ताओं की एंट्री हो रही थी. क्यू आर कोड तकनीक से सबकी हाजिरी यहां पर सुनिश्चित की जा रही थी.

बूथ प्रबंधन में सबसे आगे भाजपा: आगामी विधानसभा चुनावों के दृष्टिगत भाजपा की बूथ प्रबंधन की हाईटेक रणनीति उसे विपक्षी दलों से कहीं आगे खड़ा करती है. बूथ प्रबंधन की दृष्टि से प्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर में कोई भी राजनीतिक दल भाजपा के इर्द-गिर्द से नजर नहीं आता है. यही वजह है कि भाजपा किसी भी चुनाव में स्थानीय चेहरों और प्रत्याशियों पर अधिक निर्भर रहने की बजाए संगठन के दम पर ही अधिकांश चुनाव लड़ने की रणनीति पर काम करती है.

ये भी पढ़ें: शिमला से लौटे सिरमौर के कांग्रेसी आपस में भिड़े, पूर्व विधायक पर मारपीट का आरोप, मामला दर्ज

हमीरपुर: चुनावों में लगभग हर पहलू को चुनौती मानकर रण में उतरने वाली भाजपा के सोमवार को हमीरपुर में आयोजित त्रिदेव सम्मेलन (BJP Tridev Conference in Hamirpur) में संगठन के प्रति सर्मपण के कई जीवंत उदाहरण देखने को मिले. त्रिदेवों में से एक 86 बर्षीय बुजूर्ग बूथ पालक रमेश भडोलिया को जब चलने में दिक्कत हुई तो उन्हें सम्मेलन पंडाल तक युवा कार्यकर्ताओं ने कंधे पर उठाकर पालकी से पहुंचाया.

वरिष्ठ कार्यकर्ता भाजपा ऊना मंडल के पूर्व मंडल अध्यक्ष भी रहे है और वर्तमान में बूथ पालक के रूप में सेवाएं दे रहे है. जब वह गाड़ी से दोसडका में उतरे तो सम्मलेन स्थल तक पहुंचने के लिए पैदल चलना पड़ा. वह चलने में सहज नहीं थे तो युवा भाजपा कार्यकर्ताओं ने उन्हें पालकी में बैठाकर सम्मेलन स्थल तक पहुंचाया. संगठन के प्रति भाजपा कार्यकर्ताओं के सर्मपण का यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल भी हो रहा है. आयोजकों के मुताबिक पंडाल में 6247 कुर्सियां लगाई गई थी और इतने ही त्रिदेव इस सम्मेलन में आपेक्षित थे. आपेक्षित कार्यकर्ताओं 6247 में से 6134 कार्यकर्ता यानि 98.8 प्रतिशत उपस्थिति सम्मेलन में दर्ज हुई.

पालकी में सम्मेलन तक पहुंचाए गए वरिष्ठ कार्यकर्ता.

हर काउंटर पर क्यू आर कोड से एंट्री: संगठन में बूथ प्रबंधन के प्रति भाजपा नेताओं की संजीदगी को आप ऐसे समझ सकते है कि भाजपा के त्रिदेव सम्मेलन में कार्यकर्ताओं की एंट्री के लिए हाईटेक व्यवस्था की गई थी. हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के हर मंडल के लिए अलग से काउंटर लगाया गया था, जहां पर कार्यकर्ताओं की एंट्री हो रही थी. क्यू आर कोड तकनीक से सबकी हाजिरी यहां पर सुनिश्चित की जा रही थी.

बूथ प्रबंधन में सबसे आगे भाजपा: आगामी विधानसभा चुनावों के दृष्टिगत भाजपा की बूथ प्रबंधन की हाईटेक रणनीति उसे विपक्षी दलों से कहीं आगे खड़ा करती है. बूथ प्रबंधन की दृष्टि से प्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर में कोई भी राजनीतिक दल भाजपा के इर्द-गिर्द से नजर नहीं आता है. यही वजह है कि भाजपा किसी भी चुनाव में स्थानीय चेहरों और प्रत्याशियों पर अधिक निर्भर रहने की बजाए संगठन के दम पर ही अधिकांश चुनाव लड़ने की रणनीति पर काम करती है.

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