ज्वालामुखी: भारत को कई संस्कृतियों का संगम कहा जाता है. उसी में से एक त्योहार है भाई-बहन के प्यार का प्रतीक रक्षा बंधन का. रक्षाबंधन पर बहन भाई की कलाई पर राखी बांधती है और भाई हमेशा बहन की रक्षा का वचन देता है.
राखी के पवित्र अवसर पर इस बार भाइयों की कलाइयों पर चीन में निर्मित राखी नहीं बहनों ने अपने हाथों से बनी राखियां बांधने का फैसला लिया है. पहले कोरोना व बाद में गलवान घाटी में सैनिकों की शहादत की घटना के बाद उपमंडल ज्वालामुखी की अधबानी ग्राम पंचायत के 13 ग्राम महिला सहायता समूह लोकल को वोकल बनाने के लिए दिन रात अपने हाथों से राखियां बनाने में जुटी हुई हैं.
इस कार्य में लगी महिलाएं न केवल खुद के लिए बल्कि बाजार में भी इन राखियों को उपलब्ध करवाने के लिए बड़े स्तर पर निर्माण कर रही हैं. क्षेत्र की अन्य महिलाओं को भी इस कार्य के लिए प्रोत्साहित करने के लिए ज्वालामुखी के वोहन भाटी में पंचायती राज विभाग के हिम मीरा विक्रय केंद्र में प्रदर्शनी लगाई जाएगी.
महिलाओं ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत पंचायत में इस समय महिलाओं के 13 ग्रुप राखियां बनाने के लिए दिन-रात जुटी हुई हैं. दस से पंद्रह स्वयं सहायता समूहों से एक ग्राम संगठन बनाया जा रहा है जिनके लिए टारगेट सेट किये गए हैं. हर महिला दिन में 100 के करीब राखी बना रही है. सरकार की स्टार्ट अप योजना के तहत एक समूह के लिए 2500 रुपये का फंड निश्चित किया गया है जिससे महिलाएं राखी बनाने के लिए मेटेरियल खरीद सकती हैं.
इसके साथ ही प्रति समूह के लिए 15000 रुपये परिक्रमा राशि का प्रावधान रखा गया है जिसे महिलाएं राखी बनाने के लिए खर्च सकती हैं. यह पैसा बिना ब्याज के महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए दिया जा रहा है. महिलाएं अपनी क्षमता अनुसार जितनी भी राखियां बनायेंगी उनको बेचकर जो भी मुनाफा होगा वो उन्हीं का होगा.
महिलाओं को स्वावलंबी बनाने व प्रधानमंत्री के लोकल को वोकल बनाने के आह्वान को मूर्त रूप देने के लिए विकास खंड देहरा ने राखियां बनाने के लिए 10 महिला सहायता समूहों को प्रशिक्षण दिया है. हर महिला सहायता समूह में 10 महिलाएं शामिल की गईं हैं. महिलाओं की राखियों को बाजार उपलब्ध करवाने के लिए प्रयास जारी है.
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