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तिब्बती महिला संघ ने मनाया 38वां पुनर्स्थापन दिवस, महिलाओं के बलिदान को किया गया याद - तिब्बती महिला संघ

निर्वासन में तिब्बती महिला संघ (Tibetan Women Association) द्वारा धर्मशाल के मैकलोडगंज में आज अपना 38वां पुनर्स्थापन दिवस मनाया गया. इस मौके पर आजादी में तिब्बती महिलाओं के योगदान को भी याद किया (Tibetan women celebrated freedom struggle day) गया. पढ़ें पूरी खबर...

तिब्बती महिला संघ
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Published : Sep 10, 2022, 4:15 PM IST

धर्मशाला: निर्वासन में तिब्बती महिला संघ (Tibetan Women Association) द्वारा धर्मशाल के मैकलोडगंज में आज अपना 38वां पुनर्स्थापन दिवस मनाया गया. तिब्बती महिला संघ द्वारा पुनरुद्धार के लिए हर साल 10 सितंबर को शुभ दिन के रूप में मनाया जाता है. इस मौके पर तिब्बती महिला संघ की उपाध्यक्ष सरिंग डोलमा ने कहा कि चीन ने तिब्बत में हालातों को ओर खराब कर दिया है. निर्दोष तिबतियों को गिरफ्तार कर उन पर जुल्म किये जा रहे हैं. सरिंग डोलमा ने कहा हमारे संघर्ष का इतिहास बताता है कि 12 मार्च 1959 को लेडी कुनसांग के नेतृत्व में तिब्बत के सभी प्रांतों की साहसी और निडर स्वैच्छिक महिलाएं क्रूर और अवैध चीनी आक्रमण के विरोध में ल्हासा में एकत्रित हुईं थी.

सरिंग डोलमा ने कहा 1959 में भारत में तिब्बती शरणार्थियों की आमद के साथ, कलिम्पोंग में साहसी तिब्बती महिलाओं के एक समूह ने हमारे संघर्ष को जारी रखने के लिए निर्वासित समुदाय में तिब्बती महिला विद्रोह के बारे में एक लंबी चर्चा की. सरिंग डोलमा ने कहा हमारा संघर्ष पीढ़ी दर पीढ़ी चलेगा क्योंकि यह तिब्बत और तिब्बतियों के बारे में सच्चाई की लड़ाई है. वर्तमान पीढ़ी को यह नहीं सोचना चाहिए कि हमने अपना सर्वश्रेष्ठ किया है और अब हमारी भूमिका समाप्त हो गई है, यह संघर्ष तब तक जारी रहना चाहिए जब तक हम अपने देश तिब्बत को पुनः प्राप्त नहीं कर लेते.

उन्होंने कहा की दलाई लामा ने ऐसी बहुत सी दूरदर्शी सलाह दी है और हमारी बड़ी पीढ़ियों ने उनकी दयनीय सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दिया है. सरिंग डोलमा ने कहा कि जब हम अपने बड़ों के योगदान के बलिदान पर चिंतन करते (Tibetan women celebrated freedom struggle day ) हैं, तो एक समझदार व्यक्ति अनैतिक तरीके से कार्य कर सकता है. जो तिब्बती महिलाओं के विश्वास और परम पावन की सलाह को धूमिल कर सकता है.

उन्होंने कहा तिब्बती महिला संघ को सबसे बड़ा और सबसे पुराना महिला संगठन माना जाता है. तिब्बती महिला संघ के दुनिया भर में 20,000 से अधिक सदस्य हैं और इसमें पूरे भारत और दुनिया भर में 58 क्षेत्रीय अध्याय हैं. टीडब्लूए ने परम पावन 14वें दलाई लामा द्वारा प्रस्तावित एक नीति, मध्यम मार्ग दृष्टिकोण अपनाया है. तिब्बत मुद्दे को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने और समानता और सहयोग के आधार पर तिब्बती और चीनी लोगों के बीच स्थिरता और सह-अस्तित्व लाने का लक्ष्य है.

ये भी पढ़ें: कोलडैम विस्थापितों को 20 साल बाद भी सरकार मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवाने में असमर्थ

धर्मशाला: निर्वासन में तिब्बती महिला संघ (Tibetan Women Association) द्वारा धर्मशाल के मैकलोडगंज में आज अपना 38वां पुनर्स्थापन दिवस मनाया गया. तिब्बती महिला संघ द्वारा पुनरुद्धार के लिए हर साल 10 सितंबर को शुभ दिन के रूप में मनाया जाता है. इस मौके पर तिब्बती महिला संघ की उपाध्यक्ष सरिंग डोलमा ने कहा कि चीन ने तिब्बत में हालातों को ओर खराब कर दिया है. निर्दोष तिबतियों को गिरफ्तार कर उन पर जुल्म किये जा रहे हैं. सरिंग डोलमा ने कहा हमारे संघर्ष का इतिहास बताता है कि 12 मार्च 1959 को लेडी कुनसांग के नेतृत्व में तिब्बत के सभी प्रांतों की साहसी और निडर स्वैच्छिक महिलाएं क्रूर और अवैध चीनी आक्रमण के विरोध में ल्हासा में एकत्रित हुईं थी.

सरिंग डोलमा ने कहा 1959 में भारत में तिब्बती शरणार्थियों की आमद के साथ, कलिम्पोंग में साहसी तिब्बती महिलाओं के एक समूह ने हमारे संघर्ष को जारी रखने के लिए निर्वासित समुदाय में तिब्बती महिला विद्रोह के बारे में एक लंबी चर्चा की. सरिंग डोलमा ने कहा हमारा संघर्ष पीढ़ी दर पीढ़ी चलेगा क्योंकि यह तिब्बत और तिब्बतियों के बारे में सच्चाई की लड़ाई है. वर्तमान पीढ़ी को यह नहीं सोचना चाहिए कि हमने अपना सर्वश्रेष्ठ किया है और अब हमारी भूमिका समाप्त हो गई है, यह संघर्ष तब तक जारी रहना चाहिए जब तक हम अपने देश तिब्बत को पुनः प्राप्त नहीं कर लेते.

उन्होंने कहा की दलाई लामा ने ऐसी बहुत सी दूरदर्शी सलाह दी है और हमारी बड़ी पीढ़ियों ने उनकी दयनीय सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दिया है. सरिंग डोलमा ने कहा कि जब हम अपने बड़ों के योगदान के बलिदान पर चिंतन करते (Tibetan women celebrated freedom struggle day ) हैं, तो एक समझदार व्यक्ति अनैतिक तरीके से कार्य कर सकता है. जो तिब्बती महिलाओं के विश्वास और परम पावन की सलाह को धूमिल कर सकता है.

उन्होंने कहा तिब्बती महिला संघ को सबसे बड़ा और सबसे पुराना महिला संगठन माना जाता है. तिब्बती महिला संघ के दुनिया भर में 20,000 से अधिक सदस्य हैं और इसमें पूरे भारत और दुनिया भर में 58 क्षेत्रीय अध्याय हैं. टीडब्लूए ने परम पावन 14वें दलाई लामा द्वारा प्रस्तावित एक नीति, मध्यम मार्ग दृष्टिकोण अपनाया है. तिब्बत मुद्दे को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने और समानता और सहयोग के आधार पर तिब्बती और चीनी लोगों के बीच स्थिरता और सह-अस्तित्व लाने का लक्ष्य है.

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