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पुलवामा हमलाः सैनिक ही नहीं एक बेहतरीन खिलाड़ी और पहाड़ी लोक गायक भी थे शहीद तिलक राज - हिमाचल

2 जून 1988 को कांगड़ा के ज्वाली के देवा गांव में जन्मे तिलक राज ने 26 मार्च 2011 को सीआरपीएफ (केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल) में भर्ती हुए थे.

शहीद तिलक राज
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Published : Feb 15, 2019, 3:15 PM IST

Updated : Feb 15, 2019, 6:03 PM IST

कांगड़ाः जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुआ आतंकी हमला सदियों तक न भूलने वाले जख्म दे गया है. इस आत्मघाती हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए हैं. शहीद हुए जवानों में हिमाचल के कांगड़ा जिले का एक जवान तिलक राज भी शामिल है.

प्रदेश सरकार ने शहीद तिलक राज के सम्मान में 20 लाख की राशि देने का एलान किया है. 2 जून 1988 को कांगड़ा के ज्वाली के देवा गांव में जन्मे तिलक राज ने 26 मार्च 2011 को सीआरपीएफ (केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल) में भर्ती हुए थे.

तिलक राज ने न केवल देश के लिए शहादत का जाम पिया बल्कि वो बहुमुखी प्रतिभा के भी धनी थे. वीर जवान तिलक एक सैनिक के साथ-साथ एक खिलाड़ी और लोक कलाकार भी थे. शहादत पाने वाले तिलक राज को कबड्डी से बहुत लगाव था. वह खुद कबड्डी के बेहतरीन खिलाड़ी थे, इसके लिए उन्होंने हारचक्कियां नाम से कबड्डी की टीम भी बना रखी थी.

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न सिर्फ खिलाड़ी वो एक कलाकार के तौर पर भी अपनी पहचान रखते थे. गायकी की दुनिया में वे तिलक राज शानू के नाम से जाने जाते थे. अक्सर ड्यूटी से छुट्टी आकर घर में पहाड़ी गानों की रिकॉर्डिंग किया करते थे. उन्होंने कई पहाड़ी गाने गाए हैं. छह महीने पहले ही उनका प्यारी मोनिका गाना आया था.

शहीद तिलक राज का एक गाना. साभार यूट्यूब
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हालांकि तिलक राज अपना आखिरी गाना रिलीज नहीं कर सके. उनके मेरा सिधू बड़ा शराबी, प्यारी मोनिका, नीलमा गद्दन जैसे कई गाने हैं जो काफी चर्चित रहे. अब तिलक राज वतन का कर्ज अदा कर हमेशा के लिए अमर हो गए हैं.

तिलक राज की शहादत की खबर से पूरे हिमाचल में शोक की लहर है. 32 साल के तिलक राज का शव शुक्रवार को घर पहुंचने की उम्मीद है. वहीं, विधानसभा बजट सत्र की कार्यवाही के 11वें दिन सदन में पुलवामा अटैक पर शोक व्यक्त किया गया. प्रदेश के सीएम जयराम ठाकुर ने तिलक राज के निधन पर शोक जताया है.

कांगड़ाः जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुआ आतंकी हमला सदियों तक न भूलने वाले जख्म दे गया है. इस आत्मघाती हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए हैं. शहीद हुए जवानों में हिमाचल के कांगड़ा जिले का एक जवान तिलक राज भी शामिल है.

प्रदेश सरकार ने शहीद तिलक राज के सम्मान में 20 लाख की राशि देने का एलान किया है. 2 जून 1988 को कांगड़ा के ज्वाली के देवा गांव में जन्मे तिलक राज ने 26 मार्च 2011 को सीआरपीएफ (केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल) में भर्ती हुए थे.

तिलक राज ने न केवल देश के लिए शहादत का जाम पिया बल्कि वो बहुमुखी प्रतिभा के भी धनी थे. वीर जवान तिलक एक सैनिक के साथ-साथ एक खिलाड़ी और लोक कलाकार भी थे. शहादत पाने वाले तिलक राज को कबड्डी से बहुत लगाव था. वह खुद कबड्डी के बेहतरीन खिलाड़ी थे, इसके लिए उन्होंने हारचक्कियां नाम से कबड्डी की टीम भी बना रखी थी.

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न सिर्फ खिलाड़ी वो एक कलाकार के तौर पर भी अपनी पहचान रखते थे. गायकी की दुनिया में वे तिलक राज शानू के नाम से जाने जाते थे. अक्सर ड्यूटी से छुट्टी आकर घर में पहाड़ी गानों की रिकॉर्डिंग किया करते थे. उन्होंने कई पहाड़ी गाने गाए हैं. छह महीने पहले ही उनका प्यारी मोनिका गाना आया था.

शहीद तिलक राज का एक गाना. साभार यूट्यूब
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हालांकि तिलक राज अपना आखिरी गाना रिलीज नहीं कर सके. उनके मेरा सिधू बड़ा शराबी, प्यारी मोनिका, नीलमा गद्दन जैसे कई गाने हैं जो काफी चर्चित रहे. अब तिलक राज वतन का कर्ज अदा कर हमेशा के लिए अमर हो गए हैं.

तिलक राज की शहादत की खबर से पूरे हिमाचल में शोक की लहर है. 32 साल के तिलक राज का शव शुक्रवार को घर पहुंचने की उम्मीद है. वहीं, विधानसभा बजट सत्र की कार्यवाही के 11वें दिन सदन में पुलवामा अटैक पर शोक व्यक्त किया गया. प्रदेश के सीएम जयराम ठाकुर ने तिलक राज के निधन पर शोक जताया है.

Intro:सुंदरनगर में कुत्तो का आतंक, लोगो की उड़ी रात की नीद

नगर परिषद के वार्ड नबर 10 में स्कुटी की फाड़ डाली सीट

कुत्तो से निजात दिलाने के लिए नगर परिषद से पहले भी कई बार हुई है मांग

लोगो का कहना अगर समय रहते कुत्तों पर नही किया काबू तो पेश आ सकता है बड़ा हादसा


Body:एकर : नगर परिषद सुंदरनगर के वार्ड नंबर 10 रोपा में आवारा कुत्तों के आतंक से स्थानीय लोग पूरी से तरह परेशान है नगर परिषद की कुत्तों के नियंत्रण को नसबंदी के प्रबंध भी नाकाम साबित हुए हैं नप के कई वार्डो में भारी संख्या में कुत्तो की बजह से सड़कों और रास्तों में राहगीर खासकर महिलाये ओर स्कूली बच्चों को दिक्कत झेलनी पड़ रही है जिस की बजह से स्थानीय निवासी कई बार कुत्तों के शिकार भी हो चुके हैं वहीं ताजा मामले में वार्ड नंबर 10 में कुत्तों ने स्कूटी की सीट को भी अपना निशाना बना डाला और स्कूटी की सीट को पूरी तरह से खाट-खाट कर फाड डाला। सुंदरनगर शहर में आवारा कुत्तों की नसबंदी की योजना भी शुरू की गई है जिस में कुत्तों की नसबंदी भी की गई है लेकिन शहर के सीमा पर वार्ड नंबर 10 में पशुओं के साथ कुत्तों की टीम तैनात है कुत्ते रात को जोर-जोर से भोंकते है आपस मे लड़ते है जिस की बजह से स्थानीय लोगों की रात की नींद गायब हो चुकी है ओर लोग रात को चैन की नीद भी नही सो पा रहे। जिसकी वजह से लोग पूरी तरह से परेशान हैं लोगो ने इस बारे में कई बार स्थानीय प्रसाशन ओर नगर परिषद को शिकायत पत्र भी सौंप चुके है लेकिन तीन महिने का समय बीत जाने के बाद भी नगर परिषद कोई ठोस कदम नही उठा पाया है। अब देखना होगा नप कब तक इन कुत्तो को काबू करता है और लोगो को राहत मिल पाती है।


Conclusion:बाइट : स्थानीय निवासी तरुण

वीओ : वार्ड नंबर 10 के रोपा निवासी तरुण ने बताया कि कुत्ते रात दिन इधर-उधर भागते हैं और जोर-जोर से भोंकते हैं जिसकी वजह से लोग रात को सो भी नही पाते और रात की नींद भी उड़ चुकी है उन्होंने कहा है कि प्रशासन को जल्द इस दिशा में कदम उठाना चाहिए नहीं तो कोई भी बड़ा हादसा पेश आ सकता है जिसका पूरा जिम्मेवार स्थानीय प्रशासन होगा।
Last Updated : Feb 15, 2019, 6:03 PM IST
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