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दलाई लामा के लिए पूरा मैक्लोडगंज समर्पित, भारत ने पूरे तिब्बती समुदाय को बिठाया सिर आंखों पर

हिमाचल के वरिष्ठ पत्रकार हेमंत कुमार ने दलाई लामा के उत्तराधिकारी के बारे में बताते हुए कहा कि तिब्बतियों में तुलकू नीति के तहत जो विद्वान लामा होते हैं, उन्हें उनको अपने पुन: अवतार की छूट रहती है. दलाई लामा भी तुलकू हैं और उनका भी पुनः अवतार होगा. दलाई लामा का चुनाव के लिए कमेटी का गठन होगा, जो लामा का चुनाव करेगी.

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Published : Jul 6, 2021, 9:40 PM IST

Updated : Jul 6, 2021, 10:57 PM IST

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फोटो.

धर्मशाला: हिमाचल के वरिष्ठ पत्रकार हेमंत कुमार ने तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा और भारत के रिश्ते, उनके उत्तराधिकारी समेत कई मुद्दों पर ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि दलाई लामा और हिंदुस्तान का संबंध हमेशा से ही बहुत अच्छा रहा है. पिछले छह दशक से दलाई लामा धर्मशाला में रह रहे हैं. हिंदुस्तान ने भी पूरे तिब्बती समुदाय को सिर आंखों पर बिठाया है. दलाई लामा को हमेशा ही हिंदुस्तान में वीआईपी ट्रीटमेंट मिला है. पूरा मैक्लोडगंज दलाई लामा के लिए ही समर्पित है.

एक सरकार के भीतर रह रही दूसरी सरकार

तिब्बत को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि तिब्बत नाम का कोई भी देश नहीं है, लेकिन तिब्बतियों की अपनी सरकार और अपना राष्ट्रपति है. यह एक दिलचस्प बात है कि एक सरकार के भीतर ही दूसरी सरकार रह रही है. पिछले 15 साल से तिब्बतियों का संघर्ष कहीं ना कहीं कम जरूर हो गया है.

आने वाले समय में हो सकते हैं दो दलाई लामा

हेमंत कुमार ने दलाई लामा के उत्तराधिकारी के बारे में कहा कि तिब्बतियों में तुलकू नीति के तहत जो विद्वान लामा होते हैं, उन्हें उनको अपने पुन: अवतार की छूट रहती है. दलाई लामा भी तुलकू है और उनका भी पुनः अवतार होगा. लेकिन अब स्थिति गंभीर हो चुकी है क्योंकि चीन द्वारा यह बयान जारी किए जा रहे हैं कि दलाई लामा अब वही बनेगा जिसे चीन चाहेगा. ऐसा भी माना जा रहा है कि आने वाले समय में तिब्बतियों के दो दलाई लामा हो सकते हैं. वहीं, पंचेन लामा के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि पंचेन की मृत्यु के बाद नया पंचेन लामा घोषित किया लेकिन उस पंचेन लामा को इतनी तेजी से गायब किया गया कि आज तक उस लामा का कोई भी पता नहीं चल पाया है.

वीडियो रिपोर्ट.

दलाई लामा चुनने के लिए होता है कमेटी का गठन

हेमंत ने कहा कि आज दिन तक किसी भी महिला को दलाई लामा नहीं बनाया गया है. दलाई लामा के उत्तराधिकारी को चुनने में विवाद भी खड़ा हो सकता है. उन्होंने बताया कि तिब्बतियों द्वारा दलाई लामा को चुनने के लिए एक कमेटी का गठन किया जाता है और उस कमेटी द्वारा ही उच्च छोटे बच्चे को ढूंढा जाता है जो दलाई लामा का उत्तराधिकारी बनने के लायक होता है. उन्होंने कहा कि अगर इसी प्रथा के तहत दलाई लामा को चुना जाता है तो आने वाले समय में वे चर्चा में नहीं होंगे क्योंकि वह एक छोटे बच्चे के रूप में होंगे.

कभी भी तिब्बत को लेकर भारत ने नहीं दिया बयान

कई सालों से भारत और चीन दोनों देशों के बीच तिब्बत का कोई जिक्र ही नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर जब दलाई लामा तिब्बत को छोड़कर भारत में आए थे तब भारत और चीन के रिश्ते में कड़वाहट जरूर आई थी, लेकिन 70 व 80 के दशक के बाद दोनों देशों में काफी बदलाव आया है. तिब्बत को लेकर भारत सरकार की ओर से कभी भी कोई बयान जारी नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र चीन का भाग है. साल 2003 में अटल बिहारी वाजपेई ने भी इस मसले को उठाया था और तब भी यह माना गया था कि तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र चीन का ही भाग है. आने वाले समय में चीन से भारत के रिश्ते को लेकर तिब्बत कोई भी खासी भूमिका नहीं निभाएगा.

ये भी पढ़ें: छह दशक में तिब्बत से अधिक भारत के हो गए दलाई लामा, लगातार मजबूत हुआ भरोसे का पुल

धर्मशाला: हिमाचल के वरिष्ठ पत्रकार हेमंत कुमार ने तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा और भारत के रिश्ते, उनके उत्तराधिकारी समेत कई मुद्दों पर ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि दलाई लामा और हिंदुस्तान का संबंध हमेशा से ही बहुत अच्छा रहा है. पिछले छह दशक से दलाई लामा धर्मशाला में रह रहे हैं. हिंदुस्तान ने भी पूरे तिब्बती समुदाय को सिर आंखों पर बिठाया है. दलाई लामा को हमेशा ही हिंदुस्तान में वीआईपी ट्रीटमेंट मिला है. पूरा मैक्लोडगंज दलाई लामा के लिए ही समर्पित है.

एक सरकार के भीतर रह रही दूसरी सरकार

तिब्बत को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि तिब्बत नाम का कोई भी देश नहीं है, लेकिन तिब्बतियों की अपनी सरकार और अपना राष्ट्रपति है. यह एक दिलचस्प बात है कि एक सरकार के भीतर ही दूसरी सरकार रह रही है. पिछले 15 साल से तिब्बतियों का संघर्ष कहीं ना कहीं कम जरूर हो गया है.

आने वाले समय में हो सकते हैं दो दलाई लामा

हेमंत कुमार ने दलाई लामा के उत्तराधिकारी के बारे में कहा कि तिब्बतियों में तुलकू नीति के तहत जो विद्वान लामा होते हैं, उन्हें उनको अपने पुन: अवतार की छूट रहती है. दलाई लामा भी तुलकू है और उनका भी पुनः अवतार होगा. लेकिन अब स्थिति गंभीर हो चुकी है क्योंकि चीन द्वारा यह बयान जारी किए जा रहे हैं कि दलाई लामा अब वही बनेगा जिसे चीन चाहेगा. ऐसा भी माना जा रहा है कि आने वाले समय में तिब्बतियों के दो दलाई लामा हो सकते हैं. वहीं, पंचेन लामा के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि पंचेन की मृत्यु के बाद नया पंचेन लामा घोषित किया लेकिन उस पंचेन लामा को इतनी तेजी से गायब किया गया कि आज तक उस लामा का कोई भी पता नहीं चल पाया है.

वीडियो रिपोर्ट.

दलाई लामा चुनने के लिए होता है कमेटी का गठन

हेमंत ने कहा कि आज दिन तक किसी भी महिला को दलाई लामा नहीं बनाया गया है. दलाई लामा के उत्तराधिकारी को चुनने में विवाद भी खड़ा हो सकता है. उन्होंने बताया कि तिब्बतियों द्वारा दलाई लामा को चुनने के लिए एक कमेटी का गठन किया जाता है और उस कमेटी द्वारा ही उच्च छोटे बच्चे को ढूंढा जाता है जो दलाई लामा का उत्तराधिकारी बनने के लायक होता है. उन्होंने कहा कि अगर इसी प्रथा के तहत दलाई लामा को चुना जाता है तो आने वाले समय में वे चर्चा में नहीं होंगे क्योंकि वह एक छोटे बच्चे के रूप में होंगे.

कभी भी तिब्बत को लेकर भारत ने नहीं दिया बयान

कई सालों से भारत और चीन दोनों देशों के बीच तिब्बत का कोई जिक्र ही नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर जब दलाई लामा तिब्बत को छोड़कर भारत में आए थे तब भारत और चीन के रिश्ते में कड़वाहट जरूर आई थी, लेकिन 70 व 80 के दशक के बाद दोनों देशों में काफी बदलाव आया है. तिब्बत को लेकर भारत सरकार की ओर से कभी भी कोई बयान जारी नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र चीन का भाग है. साल 2003 में अटल बिहारी वाजपेई ने भी इस मसले को उठाया था और तब भी यह माना गया था कि तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र चीन का ही भाग है. आने वाले समय में चीन से भारत के रिश्ते को लेकर तिब्बत कोई भी खासी भूमिका नहीं निभाएगा.

ये भी पढ़ें: छह दशक में तिब्बत से अधिक भारत के हो गए दलाई लामा, लगातार मजबूत हुआ भरोसे का पुल

Last Updated : Jul 6, 2021, 10:57 PM IST
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