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कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन, कार्यक्रम में वीरेंद्र कंवर ने कही ये बड़ी बात

चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय में राज्य स्तरीय कृषि अधिकारी कार्यशाला (workshop organized in Agricultural University Palampur) व किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करते हुए पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि हिमाचल में मुख्यमंत्री बीज संरक्षण योजना के तहत पारंपरिक फसलों के बीजों के संरक्षण के प्रयास चल रहे हैं. उन्होंने कहा कि मार्च तक हिमाचल में बेसहारा पशुओं की समस्या कम हो जाएगी.

workshop organized in  Agricultural University Palampur
कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में राज्य स्तरीय कार्यशाला.
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Published : Dec 28, 2021, 8:07 PM IST

पालमपुर: चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय (Chaudhary Sarwan Kumar Himachal Pradesh Agricultural University ) में मंगलवार को राज्य स्तरीय कृषि अधिकारी कार्यशाला व किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा (workshop organized in Agricultural University Palampur) आयोजित की गई. इसमें कृषि, ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की. इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कैबिनेट मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि चूंकि 80 फीसदी बीज बाहर से खरीदा जाता है, इसलिए राज्य के भीतर प्रगतिशील किसानों की भागीदारी के साथ प्रमुख फसलों के बीज पैदा करने की भी आवश्यकता है.

इसके साथ ही कैबिनेट मंत्री ने कहा कि हिमाचल में मुख्यमंत्री बीज संरक्षण योजना के तहत पारंपरिक फसलों के बीजों के संरक्षण के प्रयास चल रहे हैं. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में कीटनाशक अवशेष सबसे अधिक हैं. इसलिए उन्होंने कृषि अधिकारियों को किसानों को रसायनों और उर्वरकों के उचित उपयोग के बारे में शिक्षित करने की भी सलाह दी. उन्होंने कहा कि कृषि रसायन केवल पंजीकृत दुकानों पर ही उपलब्ध हों. साथ ही किसानों के खेतों में रसायनों के अधिक उपयोग को रोकने के लिए उन्हें सही रूप से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती के लिए 25 साल का रोडमैप तैयार किया गया है. मंत्री ने वैज्ञानिकों से राज्य के मध्य पहाड़ी क्षेत्रों के लिए फसलों का सुझाव देने को कहा.

workshop organized in  Agricultural University Palampur
कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में राज्य स्तरीय कार्यशाला.

कैबिनेट मंत्री ने इस दौरान जंगली जानवरों द्वारा फसल को हुए नुकसान पहुचाने का समाधान पर चर्चा की और बताया कि मार्च तक हिमाचल में बेसहारा पशुओं की समस्या कम (problem of Stray animals in himachal) हो जाएगी, क्योंकि कुछ गौ अभयारण्य जल्द ही चालू हो जाएंगे. वीरेंद्र कंवर ने लैंटाना जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की और विश्वविद्यालय से इसके पूर्ण उन्मूलन के लिए एक परियोजना प्रस्तुत भेजने को कहा. उन्होंने हिमाचल में किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए जिला स्तर पर कृषि विज्ञान केंद्रों को और अधिक जीवंत बनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया और विश्वविद्यालय से अपने शोध कार्यों को खेतों तक ले जाने के लिए कहा.

ये भी पढ़ें: E VIDHAN SABHA OF HIMACHAL: हिमाचल विधान सभा पहुंची असम असेंबली की टीम, ई विधान सभा को सराहा

वहीं, राज्य स्तरीय कृषि अधिकारी कार्यशाला व किसान वैज्ञानिक परिचर्चा में कुलपति प्रो. हरींद्र कुमार चौधरी ने विश्वविद्यालय की प्रमुख अनुसंधान और प्रसार उपलब्धियों को लेकर जानकारी साझा की, जिससे हाल ही में कई किसान राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार प्राप्त करने में सक्षम हुए हैं. हरींद्र कुमार चौधरी ने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्रों ने गेहूं और माश (उड़द) के बीज पैदा करने का काम शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा कि पारंपरिक बीजों के संरक्षण और इनका पंजीकरण कराने के लिए बड़े पैमाने पर काम प्रारम्भ हो गया है.

ये भी पढ़ें: Women Ice Hockey Championship: काजा पहुंची लद्दाख की 48 सदस्यीय टीम, नेशनल आइस हॉकी प्रतियोगिता में लेगी भाग

पालमपुर: चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय (Chaudhary Sarwan Kumar Himachal Pradesh Agricultural University ) में मंगलवार को राज्य स्तरीय कृषि अधिकारी कार्यशाला व किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा (workshop organized in Agricultural University Palampur) आयोजित की गई. इसमें कृषि, ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की. इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कैबिनेट मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि चूंकि 80 फीसदी बीज बाहर से खरीदा जाता है, इसलिए राज्य के भीतर प्रगतिशील किसानों की भागीदारी के साथ प्रमुख फसलों के बीज पैदा करने की भी आवश्यकता है.

इसके साथ ही कैबिनेट मंत्री ने कहा कि हिमाचल में मुख्यमंत्री बीज संरक्षण योजना के तहत पारंपरिक फसलों के बीजों के संरक्षण के प्रयास चल रहे हैं. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में कीटनाशक अवशेष सबसे अधिक हैं. इसलिए उन्होंने कृषि अधिकारियों को किसानों को रसायनों और उर्वरकों के उचित उपयोग के बारे में शिक्षित करने की भी सलाह दी. उन्होंने कहा कि कृषि रसायन केवल पंजीकृत दुकानों पर ही उपलब्ध हों. साथ ही किसानों के खेतों में रसायनों के अधिक उपयोग को रोकने के लिए उन्हें सही रूप से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती के लिए 25 साल का रोडमैप तैयार किया गया है. मंत्री ने वैज्ञानिकों से राज्य के मध्य पहाड़ी क्षेत्रों के लिए फसलों का सुझाव देने को कहा.

workshop organized in  Agricultural University Palampur
कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में राज्य स्तरीय कार्यशाला.

कैबिनेट मंत्री ने इस दौरान जंगली जानवरों द्वारा फसल को हुए नुकसान पहुचाने का समाधान पर चर्चा की और बताया कि मार्च तक हिमाचल में बेसहारा पशुओं की समस्या कम (problem of Stray animals in himachal) हो जाएगी, क्योंकि कुछ गौ अभयारण्य जल्द ही चालू हो जाएंगे. वीरेंद्र कंवर ने लैंटाना जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की और विश्वविद्यालय से इसके पूर्ण उन्मूलन के लिए एक परियोजना प्रस्तुत भेजने को कहा. उन्होंने हिमाचल में किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए जिला स्तर पर कृषि विज्ञान केंद्रों को और अधिक जीवंत बनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया और विश्वविद्यालय से अपने शोध कार्यों को खेतों तक ले जाने के लिए कहा.

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वहीं, राज्य स्तरीय कृषि अधिकारी कार्यशाला व किसान वैज्ञानिक परिचर्चा में कुलपति प्रो. हरींद्र कुमार चौधरी ने विश्वविद्यालय की प्रमुख अनुसंधान और प्रसार उपलब्धियों को लेकर जानकारी साझा की, जिससे हाल ही में कई किसान राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार प्राप्त करने में सक्षम हुए हैं. हरींद्र कुमार चौधरी ने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्रों ने गेहूं और माश (उड़द) के बीज पैदा करने का काम शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा कि पारंपरिक बीजों के संरक्षण और इनका पंजीकरण कराने के लिए बड़े पैमाने पर काम प्रारम्भ हो गया है.

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