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सरकारी स्कूलों में लगातार कम हो रही बच्चों की संख्या, प्रारंभिक शिक्षा के उपनिदेशक ने जताई चिंता

धर्मशाला में नई शिक्षा नीति पर आयोजित राज्य स्तरीय संगोष्ठी में शिरकत करते हुए उत्तराखंड राइट टू एजुकेशन फोरम के प्रदेशाध्यक्ष रघु तिवारी ने कहा कि शिक्षा का व्यापारीकरण भविष्य के लिए चिंता का कारण बन सकता है. शिक्षा व्यापारीकरण नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण के लिए होनी चाहिए.

नई शिक्षा नीति पर आयोजित राज्य स्तरीय संगोष्ठी
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Published : Aug 3, 2019, 2:42 PM IST

धर्मशाला: पिछले वर्षों के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या निरंतर कम होती जा रही है. शिक्षा का व्यापारीकरण भविष्य के लिए चिंता का कारण बन सकता है. शिक्षा व्यापारीकरण नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण के लिए होनी चाहिए. यह बात उत्तराखंड राइट टू एजुकेशन फोरम के प्रदेशाध्यक्ष रघु तिवारी ने डीआरडीए सभागार धर्मशाला में नई शिक्षा नीति पर आयोजित राज्य स्तरीय संगोष्ठी में शिरकत करते हुए कही.

संगोष्ठी में उपनिदेशक प्रारंभिक शिक्षा कांगड़ा राज कुमार शर्मा ने कहा कि अध्यापक को शिक्षा के अलावा अन्य कार्यों में नहीं लगाया जाना चाहिए, जिससे कि शिक्षक मात्र शिक्षा देने का ही कार्य करें और शिक्षा क्षेत्र में गुणात्मक सुधार लाया जा सके.

राइट टू एजुकेशन फोरम की प्रदेश संयोजिका आत्रेयी सेन ने कहा कि प्रदेश की शिक्षा का स्तर अन्य राज्यों की अपेक्षा बेहतर है, लेकिन अभी भी और विभिन्न पहलुओं पर नजर दौड़ाएं तो कहीं न कहीं सुधार की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि सरकारी विद्यालयों में बच्चों के साथ शिक्षकों की संख्या भी कम हो रही है.

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धर्मशाला: पिछले वर्षों के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या निरंतर कम होती जा रही है. शिक्षा का व्यापारीकरण भविष्य के लिए चिंता का कारण बन सकता है. शिक्षा व्यापारीकरण नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण के लिए होनी चाहिए. यह बात उत्तराखंड राइट टू एजुकेशन फोरम के प्रदेशाध्यक्ष रघु तिवारी ने डीआरडीए सभागार धर्मशाला में नई शिक्षा नीति पर आयोजित राज्य स्तरीय संगोष्ठी में शिरकत करते हुए कही.

संगोष्ठी में उपनिदेशक प्रारंभिक शिक्षा कांगड़ा राज कुमार शर्मा ने कहा कि अध्यापक को शिक्षा के अलावा अन्य कार्यों में नहीं लगाया जाना चाहिए, जिससे कि शिक्षक मात्र शिक्षा देने का ही कार्य करें और शिक्षा क्षेत्र में गुणात्मक सुधार लाया जा सके.

राइट टू एजुकेशन फोरम की प्रदेश संयोजिका आत्रेयी सेन ने कहा कि प्रदेश की शिक्षा का स्तर अन्य राज्यों की अपेक्षा बेहतर है, लेकिन अभी भी और विभिन्न पहलुओं पर नजर दौड़ाएं तो कहीं न कहीं सुधार की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि सरकारी विद्यालयों में बच्चों के साथ शिक्षकों की संख्या भी कम हो रही है.

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Intro:धर्मशाला- पिछले वर्षों की अपेक्षा ताजा आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या निरंतर कम होती जा रही है। शिक्षा का व्यापारीकरण भविष्य के लिए चिंता का कारण बन सकता है। शिक्षा व्यापारीकरण नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण के लिए होनी चाहिए। यह बात उत्तराखंड राइट टू एजुकेशन फोरम के प्रदेशाध्यक्ष रघु तिवारी ने आज डीआरडीए सभागार धर्मशाला में नई शिक्षा नीति पर आयोजित राज्य स्तरीय संगोष्ठी में शिरकत करते हुए कही। संगोष्ठी में उपनिदेशक प्रारंभिक शिक्षा कांगड़ा राज कुमार शर्मा ने कहा कि अध्यापक को शिक्षा के अलावा अन्य कार्यों में नहीं लगाया जाना चाहिए, जिससे कि शिक्षक मात्र शिक्षा देने का ही कार्य करें और शिक्षा क्षेत्र में गुणात्मक सुधार लाया जा सके।





Body:हिमाचल में शिक्षा का स्तर बेहतर, लेकिन सुधार की जरूरत - सेन


हिमाचल प्रदेश राईट टू एजुकेशन फोरम की प्रदेश संयोजिका आत्रेयी सेन ने हिमाचल प्रदेश के शिक्षा के स्तर पर अपनी प्रस्तुति सबके समक्ष रखी। उन्होंने कहा कि प्रदेश की शिक्षा का स्तर अन्य राज्यों की अपेक्षा बेहतर है, परंतु अभी भी और विभिन्न पहलुओं पर नजर दौड़ाएं तो कहीं न कहीं सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सरकारी विद्यालयों में बच्चों के साथ शिक्षकों की संख्या भी कम हो रही है। इस दौरान डाईट धर्मशाला से डा. जोगिंद्र और राज कपूर ने भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर विस्तार से चर्चा की। आरटीई फोरम हिमाचल प्रदेश के सदस्य संजय चौधरी ने भी अपने विचार रखे। 




Conclusion:एक मंच पर चिंतन करना सराहनीय -  मुनीष


संगोष्ठी के समापन पर जिला ग्रामीण विकास अभिकरण कांगड़ा के उपनिदेशक एवं परियोजना अधिकारी मुनीष शर्मा ने विशेष रुप से शिरकत करते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार लाने के चिंतित हो कर विभिन्न हितधारकों को एक मंच पर एकत्रित होकर चिन्तन करने सराहनीय कदम है। संगोष्ठी में हिमाचल प्रदेश के विभिन्न जिलों से 80 से भी अधिक अध्यापकों, स्कूल प्रबंधन समिति के पदाधिकारियों तथा स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों के अलावा विभिन्न शिक्षक संघों के पदाधिकारियों ने  भाग लिया। इस चर्चा के दौरान निकले सुझावों को भारत सरकार को प्रेषित किया जाएगा। 

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