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सर्बजीत की मां के इलाज का खर्च ढे़ड लाख और जेब में सिर्फ 1900 रुपये, अब कैसे हो उपचार

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Published : Nov 24, 2021, 8:32 PM IST

Updated : Nov 26, 2021, 10:32 PM IST

गरीबी इंसान को कहां से कहां पहुंचा देती है इसी का जीता जागता उदाहरण है, धर्मशाला के राजपुर के साथ लगती टांडा पंचायत के (Sarabjit of Dharamshala) सर्बजीत. सर्बजीत के सामने इन दिनों एक बड़ी चुनौती सामने आई है, और वो है उनकी मां का इलाज. सर्बजीत की मां इन दिनों काफी बीमारी हैं. सर्बजीत एक दिहाड़ीदार हैं (Daily wage worker) और मां के इलाल के लिए वह अपने हाथ खड़े कर चुका हैं, क्योंकि सर्बजीत की मां के इलाज पर करीब ढे़ड लाख का खर्च आ रहा है.

sarabjit facing financial crisis in dharamshala
धर्मशाला के सर्बजीत के पास नहीं मां के ईलाज लिए पैसे

धर्मशाला: गरीबी इंसान को कहां से कहां पहुंचा देती है और जब एक गरीब पर मुसीबत आती है, तो उसके साथ खड़ा होने वाला कोई नहीं होता. इसी का जीता जागता उदाहरण है, धर्मशाला के राजपुर के साथ लगती टांडा पंचायत के (Sarabjit of Dharamshala) सर्बजीत. सर्बजीत के सामने इन दिनों एक बड़ी चुनौती यह है कि आखिर उनकी मां का इलाज कैसे होगा. सर्बजीत की मां इन दिनों काफी बीमारी हैं. दिहाड़ी लगाकर अपना घर चला रहे (Daily wage worker) सर्बजीत ने अपनी मां के इलाल के लिए अब अपने हाथ खड़े कर दिए हैं, क्योंकि सर्बजीत की मां के इलाज पर करीब ढे़ड लाख (Cost of treatment is 1.5 lakh) का खर्च आ रहा है.

वहीं सर्बजीत को यह चींता सता रही है की आखिर उसके पास इतने पैसे कहां से आएंगे? क्योंकि सर्बजीत के पास जितने पैसे थे, वह पहले ही उसकी मां के इलाज पर खर्च हो चुके हैं. सर्बजीत की मां पदमा देवी दिल की बीमारी (Heart disease) से ग्रसित हैं. कुछ दिनों पहले ही सर्बजीत की मां को दिल का दौरा पड़ा था, जिसके बाद सर्वजीत अपनी मां को टांडा अस्पताल (Tanda Hospital Kangra) में ले गया था.

वीडियो.

अस्पताल में इलाज के वक्त सर्बजीत की जेब में सिर्फ 1900 रुपय थे. जिसमें से 1500 रुपए टेस्ट करवाने में ही खर्च हो गए. ऐसे में सर्बजीत मां का इलाज करवाता या बचे हुए उन 400 रुपयों से अपनी मां को घर वापिस लाता. सर्बजीत ने हिम्मत हारते हुए टांडा मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों से यह आग्रह किया की वह अपनी मां का इलाज पीजीआई (PGI Hospital Chandigarh) में करवाना चाहता है. यह कहकर वह अपनी मां को पीजीआई ले जाने के बजाय अपने घर ले आया और अब घर पर ही अपनी मां की देखरेख कर रहा है.

वहीं, एक समाजसेवी संस्था (charitable organization) ने उसे ऑक्सीजन का सिलेंडर (oxygen cylinder) भी दान किया है, जिसके सहारे सर्बजीत की मां आज सांस ले रही हैं. लेकिन हैरानी की बात तो यह है की न तो यह परिवार बीपीएल (BPL Family) में आता है और न ही इस परिवार को सरकार से कोई सुविधा मिल रही है. ऐसे में सर्बजीत के सामने अपनी मां का इलाज एक बहुत बड़ी चुनौती बन गया है.

ये भी पढ़ें: कुल्लू महाविद्यालय में विशेष कार्यक्रम आयोजित, एडीसी ने छात्रों दिए करियर बनाने के टिप्स

ईटीवी भारत की टीम (ETV Bharat Team) जब सर्बजीत के घर पहुंची, तो घर के हाल बहुत खराब थे. आलम यह है की घर में शौचालय तक नहीं है (There is no toilet in the house), जो की पंचायत पर एक भद्दा निशान छोड़ रहा है. वहीं, जब पालमपुर के विधायक आशीष बुटेल (Palampur MLA Ashish Butail) के साथ इस संबंध में बात की गई, तो बुटेल ने कहा कि उनकी ओर से जो संभव हो पाएगा, वो जरूर करेंगे.

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री राहत कोष (Chief Minister Relief Fund) से भी इलाज के लिए पैसों का इंतजाम करने का प्रयास किया जाएगा, लेकिन अब सवाल यह है की एक बेटा अपनी मां को कैसे बचा पाएगा? वहीं एक सवाल यह भी खड़ा होता है की सरकार की ओर से दी जाने वाली सुविधाएं गरीब जनता को क्यों नहीं मिल पाती और क्यों गरीब जनता इन सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए दर बदर की ठोकरें खाती है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल चुनाव आयोग के मुख्य अधिकारी C Palrasu की Tehsildar को चेतावनी, काम समय पर करो नहीं तो...

धर्मशाला: गरीबी इंसान को कहां से कहां पहुंचा देती है और जब एक गरीब पर मुसीबत आती है, तो उसके साथ खड़ा होने वाला कोई नहीं होता. इसी का जीता जागता उदाहरण है, धर्मशाला के राजपुर के साथ लगती टांडा पंचायत के (Sarabjit of Dharamshala) सर्बजीत. सर्बजीत के सामने इन दिनों एक बड़ी चुनौती यह है कि आखिर उनकी मां का इलाज कैसे होगा. सर्बजीत की मां इन दिनों काफी बीमारी हैं. दिहाड़ी लगाकर अपना घर चला रहे (Daily wage worker) सर्बजीत ने अपनी मां के इलाल के लिए अब अपने हाथ खड़े कर दिए हैं, क्योंकि सर्बजीत की मां के इलाज पर करीब ढे़ड लाख (Cost of treatment is 1.5 lakh) का खर्च आ रहा है.

वहीं सर्बजीत को यह चींता सता रही है की आखिर उसके पास इतने पैसे कहां से आएंगे? क्योंकि सर्बजीत के पास जितने पैसे थे, वह पहले ही उसकी मां के इलाज पर खर्च हो चुके हैं. सर्बजीत की मां पदमा देवी दिल की बीमारी (Heart disease) से ग्रसित हैं. कुछ दिनों पहले ही सर्बजीत की मां को दिल का दौरा पड़ा था, जिसके बाद सर्वजीत अपनी मां को टांडा अस्पताल (Tanda Hospital Kangra) में ले गया था.

वीडियो.

अस्पताल में इलाज के वक्त सर्बजीत की जेब में सिर्फ 1900 रुपय थे. जिसमें से 1500 रुपए टेस्ट करवाने में ही खर्च हो गए. ऐसे में सर्बजीत मां का इलाज करवाता या बचे हुए उन 400 रुपयों से अपनी मां को घर वापिस लाता. सर्बजीत ने हिम्मत हारते हुए टांडा मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों से यह आग्रह किया की वह अपनी मां का इलाज पीजीआई (PGI Hospital Chandigarh) में करवाना चाहता है. यह कहकर वह अपनी मां को पीजीआई ले जाने के बजाय अपने घर ले आया और अब घर पर ही अपनी मां की देखरेख कर रहा है.

वहीं, एक समाजसेवी संस्था (charitable organization) ने उसे ऑक्सीजन का सिलेंडर (oxygen cylinder) भी दान किया है, जिसके सहारे सर्बजीत की मां आज सांस ले रही हैं. लेकिन हैरानी की बात तो यह है की न तो यह परिवार बीपीएल (BPL Family) में आता है और न ही इस परिवार को सरकार से कोई सुविधा मिल रही है. ऐसे में सर्बजीत के सामने अपनी मां का इलाज एक बहुत बड़ी चुनौती बन गया है.

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ईटीवी भारत की टीम (ETV Bharat Team) जब सर्बजीत के घर पहुंची, तो घर के हाल बहुत खराब थे. आलम यह है की घर में शौचालय तक नहीं है (There is no toilet in the house), जो की पंचायत पर एक भद्दा निशान छोड़ रहा है. वहीं, जब पालमपुर के विधायक आशीष बुटेल (Palampur MLA Ashish Butail) के साथ इस संबंध में बात की गई, तो बुटेल ने कहा कि उनकी ओर से जो संभव हो पाएगा, वो जरूर करेंगे.

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री राहत कोष (Chief Minister Relief Fund) से भी इलाज के लिए पैसों का इंतजाम करने का प्रयास किया जाएगा, लेकिन अब सवाल यह है की एक बेटा अपनी मां को कैसे बचा पाएगा? वहीं एक सवाल यह भी खड़ा होता है की सरकार की ओर से दी जाने वाली सुविधाएं गरीब जनता को क्यों नहीं मिल पाती और क्यों गरीब जनता इन सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए दर बदर की ठोकरें खाती है.

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Last Updated : Nov 26, 2021, 10:32 PM IST
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