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कोरोना के चलते माता बगलामुखी मंदिर में पसरा सन्नाटा, पूरा साल श्रद्धालुओं से रहती थी रौनक

हिमाचल में कांगड़ा जिला के रानीताल-देहरा सड़क के किनारे बनखंडी में स्थित सिद्धपीठ माता बगलामुखी मंदिर में हर वर्ष हिमाचल प्रदेश के अतिरिक्त देश के विभिन्न राज्यों से लोग आकर अपने कष्टों के निवारण के लिए पूजा करवाकर आशीर्वाद लेते हैं. साधारण दिनों में मंदिर में रात दिन श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता था. वहीं, कोरोना के चलते इस समय शक्तिपीठ वीरान पड़ा हुआ है.

Maa Baglamukhi Temple closed
माता बगलामुखी मंदिर बंद
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Published : Jun 8, 2020, 1:11 PM IST

देहरा/कांगड़ा: देश में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच सरकार के आदेशों के बाद आज से देश के कई हिस्सों में धार्मिक स्थल खोल दिए गए हैं. वहीं, प्रदेश में अब तक सरकार ने मंदिर खोलने के आदेश नहीं हैं. कोरोना संकट के चलते बीते करीब दो महीनों से मंदिर बंद पड़े हैं.

हिमाचल में कांगड़ा जिला के रानीताल-देहरा सड़क के किनारे बनखंडी में स्थित सिद्धपीठ माता बगलामुखी मंदिर में हर वर्ष हिमाचल प्रदेश के अतिरिक्त देश के विभिन्न राज्यों से लोग आकर अपने कष्टों के निवारण के लिए पूजा करवाकर आशीर्वाद लेते हैं. साधारण दिनों में मंदिर में रात दिन श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता था. वहीं, कोरोना के चलते इस समय शक्तिपीठ वीरान पड़ा हुआ है.

माता बगलामुखी के संपूर्ण भारत में केवल दो सिद्ध शक्तिपीठ विद्यमान हैं जिसमें एक मंदिर मध्य प्रदेश के दतिया में और दूसरा हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला के बनखंडी में स्थित है. लोगों का अटूट विश्वास है कि माता अपने दरबार से किसी को निराश नहीं भेजती. कांगड़ा स्थित इस शक्तिपीठ में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी अपनी परिवार के साथ हवन करवा चुके हैं. चुनावों के समय कई बड़े नेता मंदिर में हवन करवाते हैं. वहीं, कई अभिनेता अपनी फिल्मों की सफलता के लिए हवन करवाते हैं. मशहूर कॉमेडियन कपिल शर्मा भी बीते साल इस शक्ति पीठ में दर्शन के लिए पहुंचे थे.

वीडियो रिपोर्ट

ये है मंदिर का इतिहास

इस मंदिर की स्थापना द्वापर युग में पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान एक रात में की थी जिसमें सर्वप्रथम अर्जुन एवं भीम ने युद्ध में शक्ति प्राप्त करने और माता बगलामुखी की कृपा पाने के लिए विशेष पूजा की थी. कालांतर से ही यह मंदिर लोगों की आस्था व श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है. सालभर असंख्य श्रद्धालु जो श्री ज्वालामुखी, माता चिंतपूर्णी, नगरकोट इत्यादि के दर्शन के लिए आते हैं वे सभी इस मंदिर में आकर माता का आशीर्वाद भी प्राप्त करते हैं. इसके अतिरिक्त मंदिर के साथ प्राचीन शिवालय में आदमकद शिवलिंग स्थापित है जहां लोग माता के दर्शन के बाद शिवलिंग पर अभिषेक करते हैं.

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार माता बगलामुखी की आराधना सर्वप्रथम ब्रह्मा एवं विष्णु भगवान ने की थी. इसके बाद भगवान परशुराम ने माता बगलामुखी की आराधना करके अनेक युद्धों में शत्रुओं को परास्त करके विजय पाई थी. बगलामुखी जयंती पर मंदिर में हवन करवाने का विशेष महत्व है जिससे कष्टों का निवारण होने के साथ-साथ शत्रु भय से भी मुक्ति मिलती है.

मंदिर के पुजारी आकाश शर्मा ने कहा कि इस समय पूरा विश्व करोना माहमारी से जूझ रहा है. हम सब दिन रात बगलामुखी माता की आराधना करते हुए प्रार्थना करते हैं कि जल्द ही इस बीमारी से विश्व को मुक्ति मिले.

ये भी पढ़ें: सोलन में कोरोना के 2 नए पॉजिटिव मामले, जिले में 34 पहुंचा संक्रमितों का आंकड़ा

देहरा/कांगड़ा: देश में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच सरकार के आदेशों के बाद आज से देश के कई हिस्सों में धार्मिक स्थल खोल दिए गए हैं. वहीं, प्रदेश में अब तक सरकार ने मंदिर खोलने के आदेश नहीं हैं. कोरोना संकट के चलते बीते करीब दो महीनों से मंदिर बंद पड़े हैं.

हिमाचल में कांगड़ा जिला के रानीताल-देहरा सड़क के किनारे बनखंडी में स्थित सिद्धपीठ माता बगलामुखी मंदिर में हर वर्ष हिमाचल प्रदेश के अतिरिक्त देश के विभिन्न राज्यों से लोग आकर अपने कष्टों के निवारण के लिए पूजा करवाकर आशीर्वाद लेते हैं. साधारण दिनों में मंदिर में रात दिन श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता था. वहीं, कोरोना के चलते इस समय शक्तिपीठ वीरान पड़ा हुआ है.

माता बगलामुखी के संपूर्ण भारत में केवल दो सिद्ध शक्तिपीठ विद्यमान हैं जिसमें एक मंदिर मध्य प्रदेश के दतिया में और दूसरा हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला के बनखंडी में स्थित है. लोगों का अटूट विश्वास है कि माता अपने दरबार से किसी को निराश नहीं भेजती. कांगड़ा स्थित इस शक्तिपीठ में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी अपनी परिवार के साथ हवन करवा चुके हैं. चुनावों के समय कई बड़े नेता मंदिर में हवन करवाते हैं. वहीं, कई अभिनेता अपनी फिल्मों की सफलता के लिए हवन करवाते हैं. मशहूर कॉमेडियन कपिल शर्मा भी बीते साल इस शक्ति पीठ में दर्शन के लिए पहुंचे थे.

वीडियो रिपोर्ट

ये है मंदिर का इतिहास

इस मंदिर की स्थापना द्वापर युग में पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान एक रात में की थी जिसमें सर्वप्रथम अर्जुन एवं भीम ने युद्ध में शक्ति प्राप्त करने और माता बगलामुखी की कृपा पाने के लिए विशेष पूजा की थी. कालांतर से ही यह मंदिर लोगों की आस्था व श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है. सालभर असंख्य श्रद्धालु जो श्री ज्वालामुखी, माता चिंतपूर्णी, नगरकोट इत्यादि के दर्शन के लिए आते हैं वे सभी इस मंदिर में आकर माता का आशीर्वाद भी प्राप्त करते हैं. इसके अतिरिक्त मंदिर के साथ प्राचीन शिवालय में आदमकद शिवलिंग स्थापित है जहां लोग माता के दर्शन के बाद शिवलिंग पर अभिषेक करते हैं.

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार माता बगलामुखी की आराधना सर्वप्रथम ब्रह्मा एवं विष्णु भगवान ने की थी. इसके बाद भगवान परशुराम ने माता बगलामुखी की आराधना करके अनेक युद्धों में शत्रुओं को परास्त करके विजय पाई थी. बगलामुखी जयंती पर मंदिर में हवन करवाने का विशेष महत्व है जिससे कष्टों का निवारण होने के साथ-साथ शत्रु भय से भी मुक्ति मिलती है.

मंदिर के पुजारी आकाश शर्मा ने कहा कि इस समय पूरा विश्व करोना माहमारी से जूझ रहा है. हम सब दिन रात बगलामुखी माता की आराधना करते हुए प्रार्थना करते हैं कि जल्द ही इस बीमारी से विश्व को मुक्ति मिले.

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