कांगड़ा/ ज्वालामुखी: हिंदी सिनेमा जगत के एक और सितारे ने गुरुवार को दुनिया को अलविदा कह दिया. ऋषि कपूर के देहांत से बॉलीवुड के साथ-साथ हर वो शख्स उदास और व्यथित है जो बेहद सरल और सौम्य स्वभाव के कलाकार ऋषि कपूर को नजदीक से जानता था.
जिला कांगड़ा के धरोहर गांव परागपुर और गरली में ऋषि कपूर के देहांत के बाद शोक की लहर दौड़ गई. ऋषि कपूर 2008 में फिल्म 'चिंटू जी' की शूटिंग के लिए धरोहर गांव परागपुर में 35 दिन के लिए रुके थे.
उस दौरान स्थानीय व्यवस्थाओं का इंतजाम करने के लिए उनके साथ परागपुर के तत्कालीन प्रधान रूपेंद्र सिंह डैनी व बतौर लाइन प्रोड्यूसर गांव पंचायत बणी के अमित ठाकुर ने काम किया था.
रूपेंद्र सिंह डैनी ने बताया कि फिल्म की शूटिंग के सिलसिले में जब वह पहली बार ऋषि कपूर से परागपुर में मिले तो उन्हें यकीन ही नही हो रहा था कि भारतीय सिनेमा जगत का इतना बड़ा सितारा इतना सरल व मिलनसार होगा.
गांव के प्रधान बताते हैं कि लगातार 35 दिन परागपुर में रहने के कारण ऋषि कपूर के साथ मुलाकात के दौरान बातें इस तरह होती थी कि मानों कितने ही वर्षों से वह और ऋषि कपूर एक-दूसरे को जानते हों. उन्होंने बताया कि फिल्म के कुछ सीन परागपुर के साथ-साथ गरली में भी फिल्माए गए थे.
ऋषि कपूर के साथ बतौर लाइन प्रोड्यूसर काम करने वाले अमित ठाकुर बताते हैं कि कपूर हिमाचल व यहां के लोगों से बहुत स्नेह और प्रेम रखते थे. वो कहते थे कि यहां के लोगों की सादगी और सरलता उन्हें बहुत ऊर्जा प्रदान करती है. कभी कभी मन करता है कि शहरों की भागदौड़ भरी जिंदगी से दूर यही बसकर अपनी ज़िंदगी गुजारें.
ऋषि कपूर के देहांत पर परागपुर और गरली के ग्रामीणों ने शोक प्रकट करते हुए उनकी आत्मा की शांति के लिए प्राथना की है.
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