सुंदरनगर: हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के प्रधान अश्वनी गुलेरिया और जिला कार्यकारिणी के सदस्यों ने टीजीटी हिंदी भाषा और संस्कृत भाषा के मामले पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की मंत्रिमंडल की बैठक में टीजीटी हिंदी भाषा और संस्कृत भाषा का मामला वित्तीय प्रावधानों की वजह से सरकार ने टाला है. वहीं, उन्होंने सरकार से उसे नए सिरे से शुरू करने की मांग की है.
हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ पिछले कई वर्षों से इस मांग को उठा रहा है और इन दोनों वर्गों की मांग बिल्कुल जायज है. इन दोनों वर्गों में कार्यरत अध्यापक शिक्षा के अधिनियम 2009 और भाषा अध्यापक भर्ती एवं पदोन्नति संशोधित नियम 2012-13 के तहत सभी शर्तों को पूरा करते हैं. संघ सरकार से इस मांग को बार-बार उठा रहा है.
इन सभी अध्यापकों ने बीएड और उच्च शिक्षा प्राप्त की है और टीजीटी भर्ती नियमों के समक्ष नियमों के आधार पर भर्ती हुए हैं. उन्होंने कहा कि सरकार आगामी कैबिनेट मीटिंग में मंजूरी प्रदान कर इन अध्यापकों को न्याय दिलाए और 15-05-2003 या उसके बाद सरकारी सेवा में आए कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन बहाल की जाए. न्यू पेंशन स्कीम के तहत आने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए केंद्र सरकार द्वारा दिए जाने वाले सभी लाभ हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा भी न्यू पेंशन स्कीम के तहत आने वाले कर्मचारियों को दिया जाए.
संघ के जिला मंडी के लगभग चार हजार अध्यापकों ने एनपीएस के आह्वान पर एनपीएस निजीकरण भारत छोड़ो मुहिम को ट्विटर के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मानव संसाधन विकास मंत्री भारत सरकार रमेश पोखरियाल, वित्त मंत्री भारत सरकार निर्मला सीतारमण व हिमाचल के सीएम जयराम ठाकुर को नई पेंशन स्कीम बंद करके पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने का संदेश दिया. अश्वनी गुलेरिया ने कहा कि हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ इस नई पेंशन स्कीम को बंद करवाने के लिए एनपीएस संघ के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलेगा. पुरानी पेंशन स्कीम बहाल होने तक यह संघर्ष जारी रखेगा.
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