धर्मशाला: हिमाचल प्रदेश में आज भी बहुत से ऐसे मामले हैं, जो उजागर नहीं होते. लेकिन कुछ मामले उजागर हो जाते हैं, जिसका जीता जागता उदाहरण है (Goldie of Jwala Ji Himachal) गोल्डी. गोल्डी ज्वाला जी के साथ लगते नगरोटा गांव का रहने वाला है और गोल्डी के पिता खेती-बाड़ी कर कर अपने घर का गुजारा करते हैं.
बता दें कि गोल्डी एक दिव्यांग है और लाठी के सहारे चलता है. गोल्डी के मन में भी यह उम्मीद है कि उसे एक सरकारी नौकरी मिलेगी. 33 वर्ष की आयु बीत जाने के बाद गोल्डी शनिवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से (Goldie met CM Jairam Thakur) मिलने पहुंचा. गोल्डी को उम्मीद थी कि उसके लिखे हुए पत्र पर मुख्यमंत्री संज्ञान लेंगे. लेकिन मुख्यमंत्री ने गोल्डी का पत्र स्वीकार करके उसे फाइल में रख लिया है. वहीं, गोल्डी के मन में अभी भी यह उम्मीद है कि शायद प्रदेश के मुखिया जयराम ठाकुर गोल्डी के लिए कुछ करेंगे.
गोल्डी शनिवार को जब विधानसभा परिसर में पहुंचा, तो उसे देखकर लोग दंग रह गए. क्योंकि गोल्डी लाठी के सहारे चलकर विधानसभा पहुंचा था. लेकिन जब हमने गोल्डी से उसके घर का हाल पूछा, तो उसकी आंखों से मानो आंसू टपकने वाले ही थे. उसने हिम्मत दिखाते हुए अपनी आपबीती बताई.
गोल्डी ने बताया कि उसके पिता खेती-बाड़ी करते हैं और बड़ी मुश्किल से उनके घर का गुजारा होता है. ऐसे में कई सालों से वह सरकारी नौकरी की आशा में जी (Disabled quota in Himachal) रहा है. लेकिन आज तक उसको नौकरी नहीं मिली. गोल्डी ने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को अपना पत्र सौंपने से उन्हें सरकारी नौकरी की उम्मीद जगी है. क्योंकि गोल्डी को दिव्यांग कोटे से नौकरी मिल सकती है
प्रदेश में गोल्डी जैसे कई (Jos for disabled in Himachal) उदाहरण हैं, जो आज भी सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि उनको सरकारी नौकरी मिलेगी. गोल्डी ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि मुझ जैसे कई ऐसे लोग हैं, जो दिव्यांग है. उन्होंने कहा कि जब दिव्यांगों के लिए कोटा होता है, तो सरकार को इनके लिए भर्ती भी निकालनी चाहिए.
ये भी पढे़ं: कांगड़ा: थुरल खास के सुमित राणा भारतीय सेना में बने लेफ्टिनेंट, इलाके में खुशी की लहर