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चंबा में ट्राउट मछली उत्पादन ने बदली पिता-पुत्र की किस्मत, सालाना कमा रहा लाखों रुपये

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Published : Jan 29, 2022, 2:26 PM IST

Updated : Jan 29, 2022, 3:36 PM IST

हिमाचल में ट्राउट मछली के पालन का कार्य अब गति पकड़ने लगा है. सरकारी योजनाओं से लोगों को लाभ मिल रहा है. किसानों के लिए इस मछली को पालना फायदेमंद साबित हो रहा है. जिला चंबा के भांदल पंचायत के डडरी गांव निवासी मोहम्मद मंजूर ट्राउट फिश फार्म (trout fish production in chamba) से आठ से दस लाख रुपये कमाते हैं.

Trout fish production in Himachal
चंबा में ट्राउट मछली फार्म

चंबा: कहते हैं दिल में कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो मंजिल खुद ब खुद मिल जाया करती है. कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है भांदल पंचायत के डडरी गांव निवासी मोहम्मद मंजूर (trout fish production in chamba) ने. शुरुआती दौर में सब्जी उत्पादन का कारोबार शुरू किया, उसके बाद अधिक आय न होने के चलते उन्होंने मछली पालन को अपना व्यवसाय बनाया. उन्होंने ट्राउट फिश का कारोबार शुरू किया, जिससे उन्हें आज लाखों रुपये का लाभ हो रहा है. उनका पूरा परिवार भी इस कार्य में उनके साथ मेहनत करता है.

बता दें कि बाजार में ट्राउट फिश की प्रति किलो कीमत साढ़े पांच सौ रुपए है. हालांकि इनके ट्राउट फिश फार्म से 600 रुपये प्रति किलो के हिसाब से भी मछली बेची जा रही है. हर साल मोहम्मद मंजूर अपने ट्राउट फिश फार्म (trout fish business in himachal) से आठ से दस लाख रुपये कमाते हैं. मोहम्मद मंजूर का बड़ा बेटा सिविल इंजीनियर है और उसने भी नौकरी छोड़कर अपने पिता के साथ इस कारोबार को आगे बढ़ाने का फैसला किया है.

मोहम्मद मंसूर (Mohammad Manzoor of Bhandal Panchayat) का कहना है कि इस बेरोजगारी के दौर में युवाओं को पढ़ाई-लिखाई के बाद अपने ही गांव में अपने खेतों में मछली पालन के लिए टैंकों का निर्माण करवाना चाहिए. मछली पालने का कारोबार शुरू करके वह भी लाखों रुपये कमा सकते हैं. इस कारोबार के लिए सब्सिडी भी मिली है. एक टैंक के लिए उन्हें 80 हजार रुपये मिले हैं. मछली के बीज सहित खाद भी उपलब्ध करवाई गई है.

वीडियो.

मोहम्मद मंसूर पहले सब्जी उत्पादन करते थे, लेकिन ज्यादा मुनाफा नहीं होने के चलते उन्होंने ट्राउट फिश फार्म की शुरुआत की. अब इस कारोबार से आठ से दस लाख रुपये (trout fish business in himachal) सालाना कमा रहे हैं. उन्होंने बताया है कि इस कारोबार में उनका पूरा परिवार साथ दे रहा है. उनका बड़ा बेटा सिविल इंजीनियर होने के बाद अपने पिता के साथ इस कारोबार में हाथ बंटा रहे हैं.

वहीं, दूसरी ओर मोहम्मद मंजूर के बेटे मोहम्मद इरशाद ने कहा कि उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग जालंधर से की है. इस महामारी के दौर में बेरोजगारी बढ़ी है. ऐसे में मैं अपने ही गांव में बेहतरीन तरीके से इस कार्य को और आगे बढ़ाने की कोशिश करूंगा. उन्होंने कहा की हम सभी अपने ही गांव में खेती-बाड़ी के जरिए मेहनत से लाखों रुपये सालाना कमा सकते हैं.

ये भी पढ़ें: पंचायतीराज मंत्री वीरेंद्र कंवर का जन्मदिन, सीएम जयराम ने दी बधाई

चंबा: कहते हैं दिल में कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो मंजिल खुद ब खुद मिल जाया करती है. कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है भांदल पंचायत के डडरी गांव निवासी मोहम्मद मंजूर (trout fish production in chamba) ने. शुरुआती दौर में सब्जी उत्पादन का कारोबार शुरू किया, उसके बाद अधिक आय न होने के चलते उन्होंने मछली पालन को अपना व्यवसाय बनाया. उन्होंने ट्राउट फिश का कारोबार शुरू किया, जिससे उन्हें आज लाखों रुपये का लाभ हो रहा है. उनका पूरा परिवार भी इस कार्य में उनके साथ मेहनत करता है.

बता दें कि बाजार में ट्राउट फिश की प्रति किलो कीमत साढ़े पांच सौ रुपए है. हालांकि इनके ट्राउट फिश फार्म से 600 रुपये प्रति किलो के हिसाब से भी मछली बेची जा रही है. हर साल मोहम्मद मंजूर अपने ट्राउट फिश फार्म (trout fish business in himachal) से आठ से दस लाख रुपये कमाते हैं. मोहम्मद मंजूर का बड़ा बेटा सिविल इंजीनियर है और उसने भी नौकरी छोड़कर अपने पिता के साथ इस कारोबार को आगे बढ़ाने का फैसला किया है.

मोहम्मद मंसूर (Mohammad Manzoor of Bhandal Panchayat) का कहना है कि इस बेरोजगारी के दौर में युवाओं को पढ़ाई-लिखाई के बाद अपने ही गांव में अपने खेतों में मछली पालन के लिए टैंकों का निर्माण करवाना चाहिए. मछली पालने का कारोबार शुरू करके वह भी लाखों रुपये कमा सकते हैं. इस कारोबार के लिए सब्सिडी भी मिली है. एक टैंक के लिए उन्हें 80 हजार रुपये मिले हैं. मछली के बीज सहित खाद भी उपलब्ध करवाई गई है.

वीडियो.

मोहम्मद मंसूर पहले सब्जी उत्पादन करते थे, लेकिन ज्यादा मुनाफा नहीं होने के चलते उन्होंने ट्राउट फिश फार्म की शुरुआत की. अब इस कारोबार से आठ से दस लाख रुपये (trout fish business in himachal) सालाना कमा रहे हैं. उन्होंने बताया है कि इस कारोबार में उनका पूरा परिवार साथ दे रहा है. उनका बड़ा बेटा सिविल इंजीनियर होने के बाद अपने पिता के साथ इस कारोबार में हाथ बंटा रहे हैं.

वहीं, दूसरी ओर मोहम्मद मंजूर के बेटे मोहम्मद इरशाद ने कहा कि उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग जालंधर से की है. इस महामारी के दौर में बेरोजगारी बढ़ी है. ऐसे में मैं अपने ही गांव में बेहतरीन तरीके से इस कार्य को और आगे बढ़ाने की कोशिश करूंगा. उन्होंने कहा की हम सभी अपने ही गांव में खेती-बाड़ी के जरिए मेहनत से लाखों रुपये सालाना कमा सकते हैं.

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Last Updated : Jan 29, 2022, 3:36 PM IST
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