चंबा: पूरी दुनिया में चंबा रुमाल की अलग पहचान है. मखमली के धागों से कपड़े पर अलग-अलग तरह की नकाशी की जाती है जिसके चलते रुमाल की कीमत हजारों से शुरू होती है और लाखों में जाकर खत्म होती है.
यही कारण है कि एक रुमाल को तैयार करने में एक से डेढ़ महीना लग जाता है. इसको लेकर केंद्र और प्रदेश सरकार भी बेहतरीन कार्य कर रही है. सरकार इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को प्रशिक्षित करती है और चंबा की ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के लिए हर साल सरकार करोड़ों रुपये खर्च करती है.
अनुसूचित जाति की लड़कियों को चंबा रुमाल बनाने का प्रशिक्षण
इस धरोहर को जिंदा रखने के लिए इन दिनों अनुसूचित जाति की लड़कियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. लड़कियों को यह प्रशिक्षण तीन महीने तक दिया जाना है. अनुसूचित जाति की लड़कियों को चंबा रुमाल के बारे में प्रशिक्षित किया जा रहा है. हैंडीक्राफ्ट एवं हैंडलूम विभाग के माध्यम से 3 महीने का प्रशिक्षण शिविर अनुसूचित जाति के लड़कियों के लिए लगाया गया है. इसमें विशेष रूप से चंबा रुमाल के बारे में बारिकियों से सिखाया जा रहा है.
युवतियां बन सकेंगी आत्मनिर्भर
इस प्रशिक्षण के बाद युवती अपना व्यवसाय भी शुरू कर सकती है. बता दें कि चंबा रुमाल काफी महंगा बिकता है और इस पर काफी मेहनत भी करनी पड़ती है. अगर इस प्रशिक्षण शिविर में लड़कियां इसे बनाना सीखती है तो आने वाले समय में यह लड़कियां आत्मनिर्भर बन कर आगे बढ़ सकेंगी.
लड़कियों को प्रतिदिन मिल रहा 300 रुपये वजीफा
वहीं, प्रशिक्षुओं ने कहा कि वह यहां चंबा रुमाल का प्रशिक्षण ले रही है और काफी कुछ सीख रही हैं. उन्होंने कहा कि हर रोज प्रशिक्षण के साथ ही उन्हें 300 रुपये वजीफा भी दिया जाता है. उन्होंने कहा कि इस प्रशिक्षण से हम आत्मनिर्भर बनेंगे.
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