चंबा: हिमाचल प्रदेश सरकार 2022 में बेहतरीन विकास के दावों पर मिशन रिपीट की बात जगह-जगह अपने मंचों के माध्यम से कह रही है लेकिन क्या उसी विकास की राह पर शिक्षा को भी आगे बढ़ाया गया है तो जवाब मिलेगा ना. हम बात कर रहे हैं चंबा जिले के अंतर्गत (GSSS Railla chamba) आने वाले चुनाव विधानसभा क्षेत्र के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला रैला की. इस स्कूल को 2017 में अपग्रेड होकर सीनियर सेकेंडरी स्कूल बनाया गया था लेकिन शायद सरकार यहां स्टाफ की नियुक्ति करना भूल गई.
कांग्रेस और भाजपा दोनों ने नहीं ली स्कूल की सुध: स्कूल में स्टाफ न होने के कारण बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह प्रभावित हो रही है. हैरानी इस बात को लेकर होती है कि तत्कालीन कांग्रेस की सरकार ने स्कूल को 2017 में अपग्रेड किया था लेकिन स्टाफ (Lack of teachers in GSSS Railla) की तैनाती नहीं की गई लेकिन उसी तर्ज पर भाजपा ने भी इस स्कूल को अनदेखा करते हुए बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का काम किया है. सरकार बेहतर शिक्षा की बात करती है लेकिन जिस स्कूल में 5 साल से 11वीं और 12वीं कक्षा के बच्चों को पढ़ाने के लिए एक भी प्रवक्ता ना हो वहां बच्चों का भविष्य कैसा होगा, इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है.
अध्यापक न होने से 80 बच्चों ने छोड़ा स्कूल: इसी बात से तंग होकर यहां के करीब 80 बच्चों ने दूसरे स्कूलों के लिए पलायन किया है ताकि उनका भविष्य खराब ना हो सके. लेकिन फिर भी किसी ने इस स्कूल की सुध नहीं ली. स्कूल में 11वीं और 12वीं कक्षा के बच्चों को पढ़ाने के लिए कोई स्टाफ नहीं है जिस कारण बच्चों का भविष्य अधर में लटका है. ऐसे में अभिभावकों के अंदर भी सरकार के प्रति रोष है. अभिभावकों का कहना है कि कांग्रेस ने स्कूल देकर गलती की और 5 साल (Lack of teachers in GSSS Railla) तक भाजपा ने स्टाफ ना देकर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है. उन्होंने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि अगर स्टाफ नहीं देना है तो इस स्कूल को 12वीं से हटा कर दसवीं कक्षा तक ही रहने दिया जाए.
15 से 20 किलोमीटर का पैदल सफर कर बच्चे पहुंचते हैं स्कूल: शिक्षा प्राप्त करने के लिए बच्चे कई किलोमीटर का सफर तय कर स्कूल पहुंचते हैं. लेकिन स्कूल में स्टाफ न होने के कारण उनकी पढ़ाई पूरी ही नहीं हो पाती. ऐसे में बच्चों का भविष्य अधर में लटका हुआ है. बच्चों का कहना है कि वह कई किलोमीटर का सफर तय कर स्कूल पहुंचते हैं लेकिन स्कूल में पढ़ाने के लिए पर्याप्त स्टाफ नहीं है जिस वजह से उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. पिछले पांच सालों से 11वीं और 12 वीं कक्षा के विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए अध्यापक ही नहीं है जो बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण हैं.
चुनाव के समय वोट मांगने आते हैं नेता, लेकिन बाद में जनता की होती है अनदेखी: शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने के दावे और वादे लेकर चुनाव के समय नेता घर-घर वोट मांगने आते तो हैं लेकिन बाद में चुनाव जीतने के बाद इन्हें जनता की समस्याओं से कोई मतलब ही नहीं होता. अभिभावकों का कहना है कि बार बार सरकार से मांग की गई है कि स्कूल में स्टाफ की तैनाती की जाए लेकिन उनकी मांग को अनदेखा किया जा रहा है. छात्र देश और प्रदेश का भविष्य है लेकिन अगर इन्हें ही बेहतर शिक्षा नहीं मिलेगी तो देश का विकास कभी नहीं हो सकता. ऐसे में सरकार को चाहिए की प्रदेश में शिक्षा की स्थिति को सुधारा जाए. और प्रदेश के (Lack of teachers in GSSS Railla) स्कूलों में स्टाफ की कमी को पूरा किया जाए.
वहीं, स्कूल के इंचार्ज संजीव कुमार का कहना है की स्कूल में काफी समय से स्टाफ की कमी चल रही है. जिसके चलते हमें भी परेशानी झेलनी पड़ती है. उन्होंने कहा कि हमने शिक्षा विभाग को भी इसके बारे में अवगत करवाया है,ताकि हमें भी कार्य करने में मुश्किल पेश ना आए और बच्चों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ न हो. वहीं, जब इस बारे में शिक्षा उप निदेशक प्यार सिंह चाड़क से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस स्कूल में स्टाफ की कमी की शिकायत मिली है, जिसके बाद हमने अपने शिक्षा निदेशालय शिमला को इसके बारे में अवगत करवा दिया है. इस स्कूल में जल्द ही स्टाफ की तैनाती हो इसके प्रयास किए जाएंगे.
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