चंबा: जिला चंबा के अंतर्गत आने वाले भांदल क्षेत्र में मत्स्य पालन विभाग ने मछली के बीज तैयार करने शुरू कर दिए (Fisheries Department Bhandal Chamba) है, जिसके चलते अब चंबा जिले के मत्स्य पालन से जुड़े कारोबार करने वाले कारोबारियों को सुविधा मिलेगी. जाहिर सी बात है की विभाग की ये पहल रंग लाएगी. मत्स्य पालन विभाग ने हाल ही में इसकी शुरुआत की है और अपने ट्राउट फिश टेंको से ट्राउट मछलियों के अंडे लिए जा रहे (Trout Fish in Chamba) हैं. भांदल स्थित मत्स्य पालन विभाग की होजरी में इन अंडों को बीज के रूप में तैयार किया जा रहा है.
बता दें, विभाग द्वारा पैंतालीस हजार के करीब अंडे तैयार करने के लिए रखे थे, जिनमें तीस हजार अंडे बीज के रूप में तैयार हो गए हैं, जिन्हें एक महीने में चंबा जिले के अलग अलग क्षेत्रों में मछली पालन का व्यवसाय करने वाले कारोबारियों को उपलव्ध करवाया जाएगा. पहले इन ट्राउट फिश के बीजों को लाने के लिए कुल्लू, मंडी बिलासपुर जाना पड़ता था. जिसमें काफी खर्च भी होता था. उसके बावजूद कई बार ट्राउट फिश का बीज भी मर जाता था, हालांकि विभाग की इस पहल से भांदल क्षेत्र में अब सरकार के ट्राउट फिश फार्म से ये बीज आसानी से उपलब्ध होंगे और समय सहित पैसों का भी बचाव होगा.
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि मछली खाने से न केवल बाल खूबसूरत बनते हैं, बल्कि इसके और भी कई हेल्थ बेनेफिट हैं, जो शायद ही किसी दूसरे खाद्य में मिलते हों.मछली में लो फैट होता है और बहुत अधिक मात्रा में प्रोटीन. ओमेगा-3 फैटी एसिड पाए जाने के कारण भी मछली स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होती है. मछली में विभिन्न प्रकार के विटामिन, खनिज और कई अन्य पोषक तत्व मौजूद होते हैं. इसलिए मछली का सेवन शरीर की कई जरूरतों को पूरा करता है.
किन बीमारियों से बचाती है ट्राउट मछली: जो लोग नियमित रूप से मछली का सेवन करते हैं, उन्हें कैंसर होने का खतरा कम होता है. मछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड बहुत ज्यादा मात्रा में पाया जाता है, जो कैंसर से बचाव करता है. इसे खाने से ब्रेस्ट कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर से बचाव होता (Trout Fish production in himachal) है. अगर आप नॉनवेज खाने के शौकीन हैं तो अपने आहार में मछली को इस्तेमाल करना आपके लिए बहुत फायदेमंद होगा.
कैसे तैयार होती है ट्राउट फिश: ट्राउट फिश को तैयार करने के लिए टैंकों का निर्माण करवाया जाता है, उसमें पहाड़ों से आने वाले बर्फीले पानी को सबसे बेहतर माना जाता है जितना अधिक बर्फीला पानी होगा उतना ट्राउट फिश का कारोबार बढ़ता है. ट्राउट फिश की अधिक पैदावार ठंडे पानी में होती हैं. अगर पानी थोड़ा सा भी गर्म हो तो मछली की मौत हो जाती है. टैंकों में समय-समय पर स्वच्छ पानी बदलना पड़ता है, ताकि ट्राउट फिश को स्वच्छ पानी मिलता रहे.
फिश फार्म से जब बीज को लाते हैं तो उन्हें टैंकों में डाला जाता है और उसके लिए फीड भी अलग से लगातार देनी पड़ती हैं ताकि ट्राउट फिश की ग्रोथ हो सके. पांच से सात महीने में एक मछली ढाई से तीन सौ ग्राम हो जाती हैं और बाजार में छे सौ रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिकती (Trout Fish production in chamba) हैं. वहीं, दूसरी ओर युवा हेमंत राणा का कहना है कि पहले हमे ट्राउट फिश के बीज लाने के लिए कुल्लू, मंड, बिलासपुर जाना पड़ता था, लेकिन अब हमे चंबा जिले में ही ये सुविधा मिलेगी क्योंकि मत्स्य पालन विभाग द्वारा ट्राउट मछली के बीज तैयार किए जा रहे हैं और हमें पैसा खर्च करके कुल्लू, मंडी, बिलासपुर नहीं जाना पड़ेगा जिससे समय के साथ-साथ हमारा पैसा भी बचेगा.
वहीं, मत्स्य पालन विभाग भांदल के फार्म असिस्टेंट पवन कुमार का कहना है कि मत्स्य पालन विभाग द्वारा पहली बार ट्राउट मछली का बीज तैयार किया जा रहा है. जिसके चलते चंबा जिले में काम करने वाले ट्राउट फिश कारोबारियों को ये बीज उपलब्ध करवाए जाएंगे. हालांकि पहले ये बीज लेने के लिए कुल्लू, मंडी, बिलासपुर जाना पड़ता था. अब हमारा प्रयास है की हम जल्द इन बीजों को कारोबारियों को दे सकें. उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा तीस हजार के करीब बीज तैयार किए हैं और बाकी भी कर रहे हैं
मत्स्य पालन विभाग भांदल के कर्मचारी जगदेव का कहना है कि वो पिछले दो साल से भांदल स्थित मत्स्य पालन विभाग के ट्राउट फिश फार्म पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं और यहां पर मछली का बीज तैयार किया जा रहा है. पहले बीज के लिए कुल्लू, मंडी, बिलासपुर जाना पड़ता था, लेकिन अब ये बीज भांदल में ही उपलब्ध हो जाएगा.
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