शिमला: कोरोना वायरस ने घरेलू और वैश्विक स्तर पर तबाही मचा रखी है. इसका प्रभाव अब हिमाचल प्रदेश के छोटे-बड़े सभी उद्योगों पर देखने को मिल रहा है. हिमाचल में करीब 50 हजार करोड़ के निवेश कर विभिन्न श्रेणी के उद्योग लगे हैं. इनसे लाखों का रोगजार जुड़ा हुआ है, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से कई उद्योगों में अभी भी तालाबंदी जैसे हालात हैं. हालांकि, प्रदेश सरकार केंद्र की गाइड लाइन के अनुसार कुछ उद्योगों को शुरु करने के लिए सशर्त छूट देने की बात कर रहा है.
हिमालच में सेब के बाद लोगों की आर्थिकी के साथ सरकार की आय का जरिया पर्यटन उद्योग को माना जाता है. लेकिन लॉकडाउन ने इसकी कमर तोड़कर रख दी है. पिछले साल अप्रैल के महीने तक जहां होटल की ऑक्यूपेंसी 60 फीसदी रहती थी. वहीं, इस बार घटकर जीरो पहुंच गई है. हिमाचल में इस समय 3350 होटल, 1653 होम स्टे हैं. जिन पर लॉकडाउन की सबसे ज्यादा मार पड़ी है.
टूरिज्म उद्योग पर लॉकडाउन का प्रभाव
लॉकडाउन की वजह से टूरिज्म के कारोबार के बंद होने से इससे जुड़े करीब 44 हजार 128 लोगों के रोजगार पर असर पड़ा है. इसमें 222 एडवेंचर यूनिट, 899 पंजीकृत फोटोग्राफर, 1314 गाइड, 26882 पंजीकृत टैक्सियां, 14813 मैक्सी कैब चलाने वाले शामिल हैं. लॉकडाउन की वजह से होटलों की ओर से सीजन की सभी बुकिंग कैंसिल कर दी है. पैराग्लाइडिंग, राफ्टिंग समेत साहसिक व पर्यटन गतिविधियों से जुड़े लोगों का रोजगार भी ठप पड़ा हुआ है. पूरे सीजन में पर्यटन उद्योग को 25 करोड़ से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ सकता है.
25 से 30 फीसदी तक सिमट कर रह गया फार्मा उद्योग
हिमाचल में करीब 450 फार्मा उद्योग कार्य कर रहे हैं. जिसमें 430 ऐसे हैं जो रूरल एरिया में है. सेनिटाइजर व मास्क आदि आवश्यक सामानों के निर्माण करने वाले 175 उद्योग पहले से ही चल रहे हैं. जबकि 200 और उद्योगों को शुरू करने के लिए प्रशासन परमिशन जारी कर रहा है. सिरमौर जिले के कालाअंब और पांवटा साहिब में ही 80 से ज्यादा उद्योग कार्य कर रहे है. कोरोना वायरस के चलते इन उद्योगो में उत्पादन 25 से 30 फीसदी तक सिमट कर रह गया है. कालाअंब में अधिकांश लेबर हरियाणा में रहते हैं. लेकिन इंटर स्टेट मूवमेंट नहीं होने की वजह से वे वापस नहीं आ पा रहे हैं.
टेक्सटाइल उद्योग पर लेबर की कमी का असर
हिमाचल की टेक्सटाइल इंडस्ट्री भी लॉकडाउन से प्रभावित हुई है. बिड़ला टेक्सटाइल के एग्जिकेटिव प्रेसिडेंट राजीव गुप्ता बताते हैं कि प्रदेश में सरकार ने तो उद्योगों को खोलने की प्रमिशन दे दी है. कुछ उद्योग शुरू भी हो गए हैं लेकिन लॉकडाउन की वजह से कच्चा माल नहीं मिल पा रहा है. साथ ही लेबर की कमी के कारण उत्पादन पर असर पड़ रहा है. बाजार बंद होने की वजह से कंपनियों में तैयार माल का खरीदार नहीं मिल पा रहे हैं.
सिनेमाघरों में काम करने वालों के सामने आर्थिक तंगी के हालात
प्रदेश में करीब 10 मल्टीप्लेक्स और थियेटर हैं. इस कारोबार से जुड़े लोगो का कहना है कि हर साल करीब 4 करोड़ तक का कारोबार हो जाता है. कोरोना वायरस की वजह से इस साल ये आंकड़ा पूरा नहीं हो पाएगा. हर महीने के कारोबार की बात की जाए तो 25 से 30 लाख रुपये का बिजनेस हो जाता था. लेकिन कोरोना वायरस की वजह कारोबार जीरो हो गया है. ऐसे में इस कारोबार से जुड़े वर्कर्स को आर्थिक तंजी से गुजरना पड़ सकता है.
सीमेंट फैक्ट्रियों से जुड़े कारोबार भी प्रभावित
प्रदेश में सीमेंट फैक्ट्रियों में 10 हजार से ज्यादा लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर इस रोजगार से जुड़े हैं. हजारों ट्रक ऑपरेटर्स और कई अन्य कार्यों में लोग इस व्यवसाय से जुड़े हैं. प्रदेश में वर्तमान में एसीसी सीमेंट बरमाणा बिलासपुर, अल्ट्राटेक, सीआईआई और अंबुजा समेत आठ सीमेंट प्लांट हैं. रोजाना हजारों टन का सीमेंट और क्लिंकर उत्पादन करने वाली एसीसी कंपनी को काम बंद होने से रोजाना करोड़ों की चपत लगी है.
ट्रक ऑपरेटर्स पर आर्थिक संकट
बीडीटीएस और अन्य यूनियन को मिलाकर करीब 4500 ट्रक ऑपरेटर्स पर भी आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. इन सीमेंट प्लांटों से हर रोज हजारों टन सीमेंट डिस्पैच किया जाता है. लेकिन कोरोना के बाद उद्योगों ने उत्पादन बंद कर दिया. इससे हजारों लोग बेरोजगार हो गए. सबसे ज्यादा असर ट्रक ऑपरेटर्स पर देखने को मिला है. हलांकि उद्योग मंत्री विक्रम ठाकुर का कहना है कि केंद्र सरकार से जारी गाइडलाइन के बाद ट्रक का संचालन शुरू हो गया है और धीरे-धीरे सभी उद्योगों में उत्पादन शुरू हो गया है. जल्द ही हालात सामान्य हो जाएंगे.