ETV Bharat / city

अभिभावकों ने स्कूल खोलने के फैसले पर जताई आपत्ति, कहा: बच्चे घर में रहेंगे सुरक्षित - अभिभावकों की राय

हिमाचल में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच प्रदेश सरकार ने 21 सितंबर से स्कूलों को खोलने का फैसला लिया है. सरकार के इस फैसले पर अभिभावक खुश नजर नहीं आ रहे है. अभिभावकों का कहना है कि कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच सरकार का स्कूल खोलने का फैसला सही नहीं हैं.

डिजाइन फोटो
डिजाइन फोटो
author img

By

Published : Sep 20, 2020, 8:27 AM IST

बिलासपुर: हिमाचल में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच प्रदेश सरकार ने 21 सितंबर से स्कूलों को खोलने का फैसला लिया है. स्कूलों में छात्रों की कक्षाएं नहीं लगेगी, लेकिन 50 फीसदी शिक्षकों एवं अन्य स्टाफ को स्कूलों में जाने की अनुमति दी गई है. छात्र भी अपने शिक्षकों से परामर्श लेने के लिए अभिभावकों से परमिशन लेने के बाद स्कूल आ सकते हैं.

वहीं, सरकार के इस फैसले पर अभिभावक खुश नजर नहीं आ रहे है. अभिभावकों का कहना है कि कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच सरकार का स्कूल खोलने का फैसला सही नहीं है. अभिभावकों की मानें तो ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली इस साल तक सही रहेगी, क्योंकि स्कूल जाने पर खतरा बढ़ सकता है और घर में बच्चे सुरक्षित रहेंगे.

वीडियो रिपोर्ट

ईटीवी भारत पर अपना पक्ष रखते हुए जिला बिसासपुर के कई अभिभावकों ने सरकार के निर्णय को गलत बताया है. बिलासपुर के सुरेंद्र गुप्ता कहना है कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण लगातार बढ़ता ही जा रहा है. ऐसे में सरकार का फैसला बिल्कुल गलत है. यह बीमारी किसी के घर से नहीं ब्लकि बाहरी देशों से आया है. अभिभावकों से अनुमति मिलने पर ही छात्र स्कूल आ सकेंगे. इस तरह के नियमों से यह साफ है कि सरकार किसी तरह की कोई जिम्मेदारी नहीं उठाना चाहती है.

आरती टेसू का कहना है कि स्कूल खोलना का फैसला बिल्कुल गलत है. स्कूलों में बच्चे सोशल डिस्टेंसिंग नहीं रख पाएंगे. साथ ही मास्क डालकर भी ज्यादा समय रखेंगे तो वह भी हानिकारक है. ऐसे में कोरोना संक्रमण के फैलना का खतरा अधिक हो सकता है.

वहीं, राकेश शर्मा ने फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब सरकार अपना पल्लू झाड़ कर सीधे परिजनों पर सौंप रही है तो वह अपने बच्चों को स्कूल क्यों भेजेंगे. उन्होंने कहा कि बच्चों को स्कूल भेजना कोराना वायरस को दावत देने के बराबर है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में स्कूल खोलने का फैसला, अभिभावक बोले- जिम्मेदारी से भाग रही सरकार

बिलासपुर: हिमाचल में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच प्रदेश सरकार ने 21 सितंबर से स्कूलों को खोलने का फैसला लिया है. स्कूलों में छात्रों की कक्षाएं नहीं लगेगी, लेकिन 50 फीसदी शिक्षकों एवं अन्य स्टाफ को स्कूलों में जाने की अनुमति दी गई है. छात्र भी अपने शिक्षकों से परामर्श लेने के लिए अभिभावकों से परमिशन लेने के बाद स्कूल आ सकते हैं.

वहीं, सरकार के इस फैसले पर अभिभावक खुश नजर नहीं आ रहे है. अभिभावकों का कहना है कि कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच सरकार का स्कूल खोलने का फैसला सही नहीं है. अभिभावकों की मानें तो ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली इस साल तक सही रहेगी, क्योंकि स्कूल जाने पर खतरा बढ़ सकता है और घर में बच्चे सुरक्षित रहेंगे.

वीडियो रिपोर्ट

ईटीवी भारत पर अपना पक्ष रखते हुए जिला बिसासपुर के कई अभिभावकों ने सरकार के निर्णय को गलत बताया है. बिलासपुर के सुरेंद्र गुप्ता कहना है कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण लगातार बढ़ता ही जा रहा है. ऐसे में सरकार का फैसला बिल्कुल गलत है. यह बीमारी किसी के घर से नहीं ब्लकि बाहरी देशों से आया है. अभिभावकों से अनुमति मिलने पर ही छात्र स्कूल आ सकेंगे. इस तरह के नियमों से यह साफ है कि सरकार किसी तरह की कोई जिम्मेदारी नहीं उठाना चाहती है.

आरती टेसू का कहना है कि स्कूल खोलना का फैसला बिल्कुल गलत है. स्कूलों में बच्चे सोशल डिस्टेंसिंग नहीं रख पाएंगे. साथ ही मास्क डालकर भी ज्यादा समय रखेंगे तो वह भी हानिकारक है. ऐसे में कोरोना संक्रमण के फैलना का खतरा अधिक हो सकता है.

वहीं, राकेश शर्मा ने फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब सरकार अपना पल्लू झाड़ कर सीधे परिजनों पर सौंप रही है तो वह अपने बच्चों को स्कूल क्यों भेजेंगे. उन्होंने कहा कि बच्चों को स्कूल भेजना कोराना वायरस को दावत देने के बराबर है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में स्कूल खोलने का फैसला, अभिभावक बोले- जिम्मेदारी से भाग रही सरकार

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.