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हिमाचल प्रदेश न्यायिक कर्मचारी संघ की मांगों को लेकर जाएंगे न्यायालय: पवन ठाकुर

हिमाचल प्रदेश न्यायिक कर्मचारी संघ (Himachal Pradesh Judicial Employees Union) द्वारा सर्वसम्मति से बनाए गए कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष पवन ठाकुर ने कहा कि कर्मचारियों की समस्याओं और मांगों को लेकर न्यायालय तक जाने को तैयार हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वे प्रदेश के न्यायिक कर्मचारियों को भी नए वेतनमान की अधिसूचना जारी कर मांगें पूरी करे.

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Published : Mar 8, 2022, 1:26 PM IST

Himachal Pradesh Judicial Employees Union State President
हिमाचल प्रदेश न्यायिक कर्मचारी संघ प्रदेश अध्यक्ष

बिलासपुर: हिमाचल प्रदेश न्यायिक कर्मचारी संघ (Himachal Pradesh Judicial Employees Union) द्वारा सर्वसम्मति से बनाए गए कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष पवन ठाकुर ने बयान जारी में कहा कि सरकार न्यायिक कर्मचारियों की समस्याओं और मांगों से भलि भांति परिचित हैं तथा न्याय के लिए संघर्षरत है. उन्होंने कहा क वे सभी मांगों को लेकर प्रदेश सरकार और उच्च न्यायालय तक जाएंगे ताकि इस वर्ग को शीघ्र न्याय मिल सके. वहीं, मांगों का जिक्र करते हुए कार्यकारिणी प्रदेशाध्यक्ष पवन ठाकुर ने कहा कि सरकार द्वारा अधिनस्थ न्यायिक कर्मचारियों को नए वेतनमान से वंचित रखा गया है जो कि तर्कसंगत नहीं है.

पवन ठाकुर ने कहा कि सरकार को चाहिए कि वे प्रदेश के न्यायिक कर्मचारियों को भी नए वेतनमान की अधिसूचना जारी कर मांगें पूरी करे. पवन ठाकुर ने उच्च न्यायालय के दखल देने तथा सरकार को उच्च न्यायालय द्वारा आवश्यक निर्देश देने की बात भी कही. ताकि समय पर कर्मचारियों को नए वेतनमान का लाभ प्राप्त हो सके. उन्होंने कहा कि इस प्रकार के सौतले व्यवहार से अधिनस्थ न्यायालय के सभी कर्मचारी स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. वहीं, पवन ठाकुर ने आरएंडपी यानी भर्ती और पदोन्नति नियमों को लेकर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि सरकार की लेटलतीफी का खामियाजा न सिर्फ न्यायिक कर्मचारियों बल्कि आम जनता को भी भुगतना पड़ रहा है.

उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा न तो आरएंडपी रूल्स में संशोधन (Amendment in R&P Rules) किया जा रहा है और न ही नए कानून बनाए जा रहे हैं, जिससे दिन प्रतिदिन काम का बोझ बढ़ता जा रहा है. बात अगर बिलासपुर जैसे छोटे से जिले की करें तो यहां पर अधिनस्थ कर्मचारियों के 40 पद रिक्त हैं तो बाकि जिलों का हाल क्या होगा, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है. पवन ठाकुर ने कहा कि न्यायिक विभाग में कर्मचारी बिना पदोन्नति से सेवानिवृत्त हो रहे हैं तथा सैकड़ों पद रिक्त चल रहे हैं.

उन्होंने कहा कि काम का अत्यधिक बोझ और तनाव के हालात में जीवन यापन करने को मजबूर न्यायिक कर्मी विभिन्न रोगों के शिकार भी हो रहे हैं. सरकार को चाहिए कि यह समस्या संवेदनशील है तथा इस पर गौर कर नई भर्तियां की जानी चाहिए तथा दशकों से अपनी पदोन्नति का इंतजार कर रहे वरिष्ठ लोगों को पदोन्नति का लाभ मिलना चाहिए. प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि जब तक नई नियमावली बनकर तैयार नहीं हो जाती तब तक वर्ष 2016 के नियमों के तहत पदोन्नति, नई भर्तियां की जाए.

संघ के कार्यकारी अध्यक्ष पवन ठाकुर ने कहा कि वह बहुत जल्दी ही अधिनस्थ न्यायिक कर्मचारियों की सभी समस्याओं (Demands of Judicial Employees Union) को माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष उठाएंगे तथा माननीय उच्च न्यायालय से आग्रह करेंगे कि जल्द से जल्द कर्मचारियों की सभी समस्याओं का समाधान किया जाए जिससे कि कर्मचारी बिना किसी तनाव तथा परेशानी के अधिनस्थ न्यायालय के कार्यों को पूरी तत्परता के साथ कर सकें.

ये भी पढ़ें: यूक्रेन से सोलन लौटे शिवम शुक्ला सुनाई आपबीती, बोले- आंखें नम थी, डर भी था लगातार लेकिन हौसला रहा बरकरार

बिलासपुर: हिमाचल प्रदेश न्यायिक कर्मचारी संघ (Himachal Pradesh Judicial Employees Union) द्वारा सर्वसम्मति से बनाए गए कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष पवन ठाकुर ने बयान जारी में कहा कि सरकार न्यायिक कर्मचारियों की समस्याओं और मांगों से भलि भांति परिचित हैं तथा न्याय के लिए संघर्षरत है. उन्होंने कहा क वे सभी मांगों को लेकर प्रदेश सरकार और उच्च न्यायालय तक जाएंगे ताकि इस वर्ग को शीघ्र न्याय मिल सके. वहीं, मांगों का जिक्र करते हुए कार्यकारिणी प्रदेशाध्यक्ष पवन ठाकुर ने कहा कि सरकार द्वारा अधिनस्थ न्यायिक कर्मचारियों को नए वेतनमान से वंचित रखा गया है जो कि तर्कसंगत नहीं है.

पवन ठाकुर ने कहा कि सरकार को चाहिए कि वे प्रदेश के न्यायिक कर्मचारियों को भी नए वेतनमान की अधिसूचना जारी कर मांगें पूरी करे. पवन ठाकुर ने उच्च न्यायालय के दखल देने तथा सरकार को उच्च न्यायालय द्वारा आवश्यक निर्देश देने की बात भी कही. ताकि समय पर कर्मचारियों को नए वेतनमान का लाभ प्राप्त हो सके. उन्होंने कहा कि इस प्रकार के सौतले व्यवहार से अधिनस्थ न्यायालय के सभी कर्मचारी स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. वहीं, पवन ठाकुर ने आरएंडपी यानी भर्ती और पदोन्नति नियमों को लेकर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि सरकार की लेटलतीफी का खामियाजा न सिर्फ न्यायिक कर्मचारियों बल्कि आम जनता को भी भुगतना पड़ रहा है.

उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा न तो आरएंडपी रूल्स में संशोधन (Amendment in R&P Rules) किया जा रहा है और न ही नए कानून बनाए जा रहे हैं, जिससे दिन प्रतिदिन काम का बोझ बढ़ता जा रहा है. बात अगर बिलासपुर जैसे छोटे से जिले की करें तो यहां पर अधिनस्थ कर्मचारियों के 40 पद रिक्त हैं तो बाकि जिलों का हाल क्या होगा, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है. पवन ठाकुर ने कहा कि न्यायिक विभाग में कर्मचारी बिना पदोन्नति से सेवानिवृत्त हो रहे हैं तथा सैकड़ों पद रिक्त चल रहे हैं.

उन्होंने कहा कि काम का अत्यधिक बोझ और तनाव के हालात में जीवन यापन करने को मजबूर न्यायिक कर्मी विभिन्न रोगों के शिकार भी हो रहे हैं. सरकार को चाहिए कि यह समस्या संवेदनशील है तथा इस पर गौर कर नई भर्तियां की जानी चाहिए तथा दशकों से अपनी पदोन्नति का इंतजार कर रहे वरिष्ठ लोगों को पदोन्नति का लाभ मिलना चाहिए. प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि जब तक नई नियमावली बनकर तैयार नहीं हो जाती तब तक वर्ष 2016 के नियमों के तहत पदोन्नति, नई भर्तियां की जाए.

संघ के कार्यकारी अध्यक्ष पवन ठाकुर ने कहा कि वह बहुत जल्दी ही अधिनस्थ न्यायिक कर्मचारियों की सभी समस्याओं (Demands of Judicial Employees Union) को माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष उठाएंगे तथा माननीय उच्च न्यायालय से आग्रह करेंगे कि जल्द से जल्द कर्मचारियों की सभी समस्याओं का समाधान किया जाए जिससे कि कर्मचारी बिना किसी तनाव तथा परेशानी के अधिनस्थ न्यायालय के कार्यों को पूरी तत्परता के साथ कर सकें.

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