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निमोनिया से लड़ने के लिए स्वास्थ्य विभाग तैयार, डॉक्टरों को दिया जाएगा प्रशिक्षण

बिलासपुर स्वास्थ्य विभाग बच्चों को निमोनिया से बच्चों को बचाने के लिए डॉक्टर्स को स्पेशल ट्रेनिंग देगा. ट्रेनिंग के लिए पूरी तैयारियां स्वास्थ्य विभाग ने कर ली है.

Health department ready to fight pneumonia, doctors will be given training
बिलासपुर अस्पताल.
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Published : Mar 10, 2020, 12:51 PM IST

बिलासपुर: निमोनिया बीमारी बच्चों को बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग तैयार हो गया है. स्वास्थ्य विभाग बिलासपुर जिला अस्पताल में 13 व 14 मार्च को चिकित्सकों के लिए विशेष प्रशिक्षण शिविर का आयोजन करने जा रहा है.

प्रशिक्षण शिविर में चिकित्सकों को निमोनिया बीमारी के बारे में जागरूक करने सहित निमोनिया से पीड़ित बच्चों को कैसे इलाज उपलब्ध करवाया जाए इसपर जानकारी दी जाएगी. वहीं, इसके बाद 16 व 17 मार्च को जिला के स्टाफ नर्स को इसके बारे में प्रशिक्षण दिया जाएगा. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने तैयारियां पूरी कर ली हैं.

जिला चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर परविंद्र सिंह ने बताया कि कुछ समय पहले तक निमोनिया जानलेवा बीमारी समझी जाती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है, हालांकि अभी भी ये बीमारी गंभीर रूप धारण कर ले तो जानलेवा हो सकती है, लेकिन अब इस तरह के मामले काफी कम हो गए हैं. निमोनिया आमतौर पर बच्चों और बड़ी उम्र के लोगों को अधिक परेशान करता है. यह किसी भी आयु के व्यक्ति को हो सकता है. समय से पहले पैदा होने वाले बच्चों को निमोनिया होने का खतरा ज्यादा रहता है. जिन बच्चों को टीवी का इंफेक्शन होता है उन्हें भी निमोनिया होने की आशंका अधिक होती है.

वीडियो.

बच्चों में बुखार, ठंडक महसूस होना, खांसी, कंपकपी निमोनिया के लक्षण हैं. तेजी से सांस लेना और घर-घर आहट सुनाई देना, उल्टी, सीने या पेट के नीचे हिस्से में दर्द, बच्चों को दूध पीने में परेशानी होना, बच्चों के होंठों और नाखूनों का रंग नीला पड़ जाना निमोनिया के लक्ष्ण हैं.

ये भी पढ़ें: फोरलेन निर्माण कार्य में लगी कम्पनी ने गांव के रास्तों को किया तहस-नहस, ग्रामीणों ने दी आंदोलन की चेतावनी

बिलासपुर: निमोनिया बीमारी बच्चों को बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग तैयार हो गया है. स्वास्थ्य विभाग बिलासपुर जिला अस्पताल में 13 व 14 मार्च को चिकित्सकों के लिए विशेष प्रशिक्षण शिविर का आयोजन करने जा रहा है.

प्रशिक्षण शिविर में चिकित्सकों को निमोनिया बीमारी के बारे में जागरूक करने सहित निमोनिया से पीड़ित बच्चों को कैसे इलाज उपलब्ध करवाया जाए इसपर जानकारी दी जाएगी. वहीं, इसके बाद 16 व 17 मार्च को जिला के स्टाफ नर्स को इसके बारे में प्रशिक्षण दिया जाएगा. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने तैयारियां पूरी कर ली हैं.

जिला चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर परविंद्र सिंह ने बताया कि कुछ समय पहले तक निमोनिया जानलेवा बीमारी समझी जाती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है, हालांकि अभी भी ये बीमारी गंभीर रूप धारण कर ले तो जानलेवा हो सकती है, लेकिन अब इस तरह के मामले काफी कम हो गए हैं. निमोनिया आमतौर पर बच्चों और बड़ी उम्र के लोगों को अधिक परेशान करता है. यह किसी भी आयु के व्यक्ति को हो सकता है. समय से पहले पैदा होने वाले बच्चों को निमोनिया होने का खतरा ज्यादा रहता है. जिन बच्चों को टीवी का इंफेक्शन होता है उन्हें भी निमोनिया होने की आशंका अधिक होती है.

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बच्चों में बुखार, ठंडक महसूस होना, खांसी, कंपकपी निमोनिया के लक्षण हैं. तेजी से सांस लेना और घर-घर आहट सुनाई देना, उल्टी, सीने या पेट के नीचे हिस्से में दर्द, बच्चों को दूध पीने में परेशानी होना, बच्चों के होंठों और नाखूनों का रंग नीला पड़ जाना निमोनिया के लक्ष्ण हैं.

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