बिलासपुर: हिमाचल प्रदेश पुलिस और सरकार का सिस्टम पटरी (Former DGP ID Bhandari On jairam government) से उतर गया है. पुलिस भर्ती प्रकरण में जिम्मेदार पुलिस अधिकारी पर अब तक कार्रवाई नहीं हुई है. जिम्मेदार अधिकारी को तुरंत सस्पेंड करना चाहिए और उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जानी चाहिए. यह बात बिलासपुर में पूर्व डीजीपी आईडी भंडारी (Former DGP ID Bhandari ) ने औपचारिक बातचीत में कही. उन्होंने कहा कि जो पिता-बेटा, कई गरीब परिवार के लोग अपनी जमीनें बेचकर अपने बच्चों का भविष्य देख रहे थे. वह असली क्रिमिनल नहीं हैं. उनके पास कोई और दूसरा जरिया नहीं था, लेकिन उन्हें इस मुकाम तक लाने वाला बड़ा अपराधी है.
उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने अपनी पेंशन दांव पर लगा दी, तो कुछ ने अपनी सारी जमा पूंजी यहां बर्बाद कर दी. उसके बदले में अब उन्हें जेल मिली है. पुलिस प्रशासन के इस कृत्य ने सारे पुलिस विभाग को शर्मसार कर दिया है और सरकार लोगों के बीच अपना विश्वास खो चुकी है. पुलिस भर्ती में विभाग का एडीजीपी एपीटी प्रभारी होता है और वहीं सारे इंतजाम देखता है. उन्हीं के मार्गदर्शन में सारी भर्ती प्रक्रिया, पेपर सेटिंग, पेपर प्रिंटिंग की जिम्मेदारी तय की जाती है. ऐसे में अब तक पुलिस केवल उन्हीं लोगों को पकड़ रही है जो लोग इस सारे प्रकरण का शिकार हुए हैं, लेकिन इसका जिम्मेदार अब भी बाहर है.
पहले जिला स्तर पर होती थी भर्ती: पूर्व डीजीपी आईडी भंडारी ने कहा कि इससे पहले भर्ती प्रक्रिया एसपी स्तर पर होती थी. एक स्टैंडिंग ऑर्डर हमारे आईजी गंगवीर सिंह के समय बना था, जिसके आधार पर सारी भर्तियां होती थी. यह फुल प्रूफ सिस्टम था. पुलिस भर्तियों में पहले कमांडेंट और एसपी प्रभारी होते थे. अब भी उसी स्तर पर होनी चाहिए. 1986 तक एसपी ही जिला में भर्तियां करते थे, लेकिन उसके बाद डीआईजी को चेयरमैन बनाया गया और उनकी अध्यक्षता में रेंज लेवर पर भर्तियां होने लगी. भर्तियों का स्तर बढ़ गया और भर्तियां बटालियन (Himachal Police Recruitment Paper Leak Case) में होने लगी. अब सारी भर्तियों का आयोजन हेडक्वार्टर स्तर पर होने लगा है और अब इसमें पारदर्शिता कम हो गई है.
सीबीआई की जांच जरूरी: प्रदेश में खाकी बदनाम हो रही है. इस मामले में सीबीआई की जांच जरूरी थी. प्रदेश में सरकार अब जनता के बीच विश्वास खो चुकी है. कांग्रेस और भाजपा दोनों ही अपने शासन में जनता को धोखे में रख रही है और मनमर्जी से भर्तियां कर रही है. उन्होंने कहा कि इस भर्ती में गरीब लोग फंस रहे हैं, जबकि उनके पास कोई दूसरा जरिया नहीं बचा था. गरीब को आठ लाख खर्च करने के बाद अब जेल नसीब हो रही है. यह सरकार की बहुत बड़ी नाकामी है. पूर्व डीजीपी आईडी भंडारी ने कहा कि वह 30 वर्षों तक प्रदेश पुलिस विभाग में कार्यरत थे और सरकार के कारनामों को अच्छी तरह से जानते हैं. इस मामले की जल्द से जल्द जांच पूरी होनी चाहिए और जो जिम्मेदार है उसे सजा होनी चाहिए.
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