बिलासपुर: जिला में कांग्रेस को एकजुट करने और विरोधियों से टक्कर लेने के लिए लंबी माथापच्ची के बाद नए जिलाध्यक्ष की नियुक्ति तो कर दी गई है, लेकिन करीब चार महीने का लंबा कार्यकाल बीतने के बाद नई अध्यक्ष अंजना धीमान द्वारा जिला की टीम खड़ी नहीं हो पाई है. यही नहीं जिले में बिखरी कांग्रेस को एकत्रित करने में भी नई अध्यक्ष सफल नहीं हो पाई हैं.
विपक्ष में बैठी कांग्रेस का काम मुख्य रूप से विरोध करना ही होता है और ये विरोध मुख्यालय से होकर शिमला और दिल्ली का सफर तय करता है. ऐसे में पूर्व सूचना के आधार पर धरना प्रदर्शन की शोभा बढ़ाने के लिए फ्री कांग्रेसी नेता उपलब्ध हो जाते हैं, लेकिन जिले से धुरंधर गिने जाने वाले नेता बंबर ठाकुर को अपने खेमें में लाने में नई अध्यक्ष अभी तक सफल नहीं हो पाई हैं.
बता दें कि मुख्यालय पर पूर्व विधायक और पूर्व जिलाध्यक्ष बंबर ठाकुर को सहजता से नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है, क्योंकि ये एक ऐसे नेता है जो अपने दम पर कोई भी बाजी पलटने में सक्षम हैं. वही, जब जिला कांग्रेस अध्यक्ष अंजना धीमान से इस बारे में प्रश्न किया गया तो उत्तर नहीं दे पाई, क्योंकि इससे पूर्व कांग्रेस द्वारा कोरोना काल में स्वास्थ्य घोटाला मुद्दे को भुनाने के लिए राम लाल ठाकुर, पूर्व विधायक राजेश धर्माणी, पूर्व सांसद सुरेश चंदेल ने मुख्यालय पर पत्रकार वार्ता का आयोजन करके डीसी के माध्यम से सरकार और राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा था,लेकिन इसी बीच बंबर ठाकुर नदारद रहे.
वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी बिलासपुर में अपनी डफली अपना राग का फंडा जोरों पर है. यहां युवा कांग्रेस के एक कार्यक्रम में कई नेता स्वयं को अग्रणी बताकर अपनी अपनी खबरें मीडिया में भेज कर हंसी का पात्र बन रहे हैं और सभी अपनी मर्जी से काम कर रहे हैं. प्रोटोकाॅल को छोड़ एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में कांग्रेस की जिला में खूब फजीहत हो रही है. चंद नियुक्तियां राज्य स्तर से हुई हैं, जिससे पता लगता है कि इन नियुक्तियों में स्थानीय नेताओं के विचार लेना भी गवारा नहीं समझा गया है. नतीजतन इन नियुक्तियों के ओहदेदार केवल उन्हीं का गुणगान करते हैं जिन्होंने मंच प्रदान किया है.
कांग्रेस जिला अध्यक्ष अंजना धीमान ने बताया कि पूर्व विधायक बंबर ठाकुर कांग्रेस के साथ हैं, लेकिन व्यस्तताओं के कारण कार्यक्रमों में नहीं आ पा रहे हैं. साथ ही उन्होंने दावा किया कि पूरे बिलासपुर में कांग्रेस एकजुट है और भाजपा से टक्कर लेने के लिए सक्षम है.
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