नई दिल्ली : वैश्विक स्तर पर ऊर्जा संकट के बीच कतर के साथ अरबों डॉलर के LNG आयात अनुबंध के नवीकरण के लिए बातचीत के दौरान भारत पुराने कार्गो की आपूर्ति की मांग रखेगा. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी.
पेट्रोनेट LNG का कतर गैस के साथ 75 लाख टन का सालाना तरलीकृत प्राकृतिक गैस (Liquefied Natural Gas-LNG) का आयात करार 2028 में पूरा हो रहा है. इसके नवीकरण की पुष्टि पांच साल पहले करनी होगी.
पेट्रोनेट के निदेशक (वित्त) वी के मिश्रा ने कहा कि नवीकरण पर बातचीत 2022 में शुरू होगी. उस समय कतर गैस के सामने 2015 के 50 LNG कार्गो की आपूर्ति की शर्त रखी जाएगी.
भारत ने 2015 में इन 50 कार्गो की आपूर्ति नहीं ली थी. उसने कतर से दीर्घावधि के अनुबंध के मूल्य के लिए नए सिरे से बातचीत शुरू की थी. कतर ने उस समय इस शर्त के साथ कीमतों के फॉर्मूला में संशोधन की अनुमति दी थी कि भारत उससे सालाना आधार पर 10 लाख टन एलएनजी और खरीदेगा. जहां तक इस कार्गो का सवाल है, तो भारत अनुबंध की अवधि तक इसका कभी भी उठाव कर सकता है. यह अनुबंध 2028 में समाप्त होना है. यदि कतर इस आग्रह को पूरा नहीं कर पाता है, तो इस कार्गो की आपूर्ति 2029 में की जा सकती है.
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मिश्रा ने कहा कि हमने कतर से इन 50 कार्गो की आपूर्ति अगले साल करने को कहा है. अभी तक उन्होंने हमारे आग्रह का जवाब नहीं दिया है. उन्होंने कहा कि नवीकरण के लिए बातचीत शुरू होने पर इस मांग को रखा जा सकता है.
छह अक्टूबर को एशिया में हाजिर LNG का दाम रिकॉर्ड 56.33 डॉलर एमएमबीटीयू यानी प्रति इकाई पर पहुंच गया है. इस तरह एक मानक कार्गो का मूल्य 19 करोड़ डॉलर बैठेगा. कतर के साथ अपने तेल-संबद्ध अनुबंध के तहत पेट्रोनेट 11 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू का भुगतान करती है.
पेट्रोनेट की प्रवर्तकों में चार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां-इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (BPCL), गेल (इंडिया) लि. और ONGC शामिल हैं. पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय में सचिव कंपनी के चेयरमैन हैं.
(पीटीआई-भाषा)