नई दिल्ली : मोदी सरकार क्रिप्टोकरेंसी को लेकर नीतियां बना रही है. वित्त मंत्री ने कहा है कि क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स लेना सरकार का अधिकार है. संसद के बजट सत्र के आखिरी दिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, क्रिप्टोकरेंसी बैन पर फैसला अभी नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी से आय पर टैक्स लेना सरकार का संप्रभु अधिकार (Govt has sovereign right to tax) है.
भारत में क्रिप्टोकरेंसी के भविष्य पर वित्त मंत्री कहा कि इस पर पाबंदी लगेगी या नहीं, यह निर्णय जारी विचार-विमर्श के बाद किया जाएगा. उन्होंने कहा, 'यह वैध है या नहीं, यह अलग सवाल है लेकिन मैंने इससे प्राप्त लाभ पर कर लगाने का प्रस्ताव किया है क्योंकि यह हमारा संप्रभु अधिकार है.'
क्रिप्टोकरेंसी की लेनदेन से लाभ (profit from cryptocurrencies) के बारे में वित्त मंत्री ने कहा (लेन देन) वैध हो या नाजायज, यह अलग सवाल है. सरकार कर लगाएगी क्योंकि टैक्स लेना संप्रभु अधिकार है. बता दें कि क्रिप्टोकरेंसी पर कांग्रेस सांसद छाया वर्मा ने सवाल उठाए थे. वर्मा ने क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स लगाने की वैधता के बारे में पूछा था.
एक फरवरी को बजट भाषण में वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा था कि केवल आरबीआई द्वारा जारी 'डिजिटल रुपया' को मुद्रा के रूप में मान्यता दी जाएगी. उन्होंने कहा था कि सरकार एक अप्रैल से किसी भी अन्य निजी डिजिटल संपत्ति से होने वाले लाभ पर 30 प्रतिशत कर लगाएगी.
गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2022-23 के आम बजट में एक साल में 10,000 रुपये से अधिक की वर्चुअल मुद्राओं के भुगतान और प्राप्तकर्ता के हाथों ऐसे उपहारों के कराधान पर 1 प्रतिशत टीडीएस का प्रस्ताव किया गया है. विशिष्ट व्यक्तियों के लिए टीडीएस की सीमा 50,000 रुपये प्रति वर्ष होगी. इसमें ऐसे व्यक्ति या हिंदू अनडिवाइडेट फैमिली (HUFs) शामिल हैं, जिन्हें आयकर अधिनियम के तहत अपने खातों का ऑडिट कराना आवश्यक है.
सरकार ने कहा है कि क्रिप्टोकरेंसी की लेनदेन से हुई आय की गणना करते समय कटौती की अनुमति नहीं दी जाएगी. एक प्रतिशत टीडीएस से संबंधित प्रावधान 1 जुलाई, 2022 से लागू होंगे, जबकि क्रिप्टोकरेंसी ससे लाभ पर 1 अप्रैल से प्रभावी कर लगाया जाएगा.
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बता दें कि संसद के बजट सत्र का (parliament budget session) पहला चरण शुक्रवार को खत्म हो गया. इसके बाद राज्य सभा की कार्यवाही 14 मार्च तक स्थगित कर दी गई. गौरतलब है कि बजट सत्र का दूसरा चरण 14 मार्च से आठ अप्रैल तक चलने का कार्यक्रम है.
रिजर्व बैंक डिजिटल मुद्रा लाने की जल्दबाजी में नहीं
गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2022-23 के आम बजट में डिजिटल मुद्रा लाने की घोषणा की गई है. इस पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि केंद्रीय बैंक इस दिशा में जल्दबाजी नहीं करना चाहता है और सभी पहलुओं पर गौर कर रहा है.
गुरुवार को आरबीआई गवर्नर ने मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) लाने की कोई समयसीमा नहीं तय की गई है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को बजट पेश करते हुए कहा था कि रिजर्व बैंक अगले वित्त वर्ष में एक डिजिटल मुद्रा लेकर आएगा.
इस बारे में गवर्नर ने कहा, 'हम डिजिटल मुद्रा लाने में जल्दबाजी नहीं करना चाहते हैं. हम पूरी सावधानी और सजगता से इससे जुड़े सभी पहलुओं की समीक्षा कर रहे हैं, क्योंकि इसमें कई तरह के जोखिम भी हैं. सबसे बड़ा जोखिम साइबर सुरक्षा और जालसाजी का है.'
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उन्होंने कहा कि सीबीडीसी के एक नए मौद्रिक उत्पाद होने से सभी केंद्रीय बैंक इस दिशा में बेहद सावधानी से आगे बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा, 'मैं इसके लिए कोई समयसीमा नहीं तय करना चाहता. हम बजट 2022-23 में उल्लिखित इस पहलू की तरफ आगे बढ़ेंगे.' इस मौके पर रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर टी रविशंकर ने कहा कि सीबीडीसी लाने के लिए जरूरी कानूनी संशोधन होने के साथ ही आरबीआई पायलट एवं साक्ष्य के स्तर पर आगे बढ़ सकता है.
(इनपुट-पीटीआई-भाषा)