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राज्यपाल ने करगिल युद्ध के नायकों से की बातीचत, रणबांकुरों ने साझा की वीरगाथा की कहानी

राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने करगिल विजय दिवस के अवसर पर राजभवन में नागा रेजीमेंट के करगिल युद्ध के नायकों से बातचीत की. इस अवसर पर करगिल के वीरों ने युद्ध के दौरान कुछ पलों को राज्यपाल के साथ साझा किया. राज्यपाल ने भारतीय सेना को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि करगिल युद्ध में भारत की विजय शानदार थी. इस विजय में देश की सीमाओं की रक्षा करते हुए हमारे वीर जवानों ने अदम्य साहस और शौर्य का परिचय दिया.

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Published : Jul 26, 2020, 5:01 PM IST

कारगिल दिवस
वीर जवानों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत करते राज्यपाल.

शिमला: आज पूरा भारत करगिल विजय के वीर जवानों को नमन कर रहा है. इस अवसर पर राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने राजभवन में नागा रेजीमेंट के करगिल युद्ध के नायकों से बातचीत की. इस दौरान दत्तात्रेय ने कहा कि करिगल युद्ध में प्रदेश के जवानों ने अद्भुत साहस और प्रतिबद्धता का परिचय दिया और देश की सीमाओं की रक्षा करते हुए प्रदेश के 52 सिपाहियों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया. राष्ट्र की सीमाओं की सुरक्षा के लिए सेना के इस बलिदान और संकल्प के प्रति देशवासी हमेशा ऋणी रहेंगे.

करगिल वीरों ने साझा किया युद्ध का अनुभव

बातचीत के दौरान करगिल युद्ध में नागा रेजीमेंट के रणबांकुरों ने युद्ध के अपने अनुभवों को राज्यपाल के साथ साझा करते हुए बताया कि करीब 17 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित प्वाइंट 4875 चोटी पर फतह हासिल करते समय उन्हें किस प्रकार की विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ा. उन्होंने बताया कि युद्ध के दौरान रेजीमेंट के 15 जवान वीरगति को प्राप्त हुए. बहादुरी का परिचय देने के लिए रेजीमेंट ने वीर चक्र समेत 13 व्यक्तिगत सम्मान प्राप्त किए.

राज्यपाल ने इस अवसर पर कारगिल युद्ध के नायकों सुबेदार मेजर विसाले लेनु, सुबेदार मदन मोहन पांडेय, सुबेदार केनेथ अनल, नायब सुबेदार हेमंत बिष्ट, नायब सुबेदार बसंत छेतरी और हवलदार पुष्कर सिंह को सम्मानित किया. नागा रेजीमेंट ने इस अवसर पर राज्यपाल को एक स्मृति चिन्हें भेंट किया और इस विशेष अवसर पर उनसे बातचीत करने और उन्हें सम्मानित करने के लिए राज्यपाल का आभार व्यक्त किया.

'सशक्त बनकर उभरी भारतीय सेना'

राज्यपाल ने कहा कि अब इतिहास बदल गया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सशक्त नेतृत्व में भारतीय सेना सशक्त बनकर उभरी है. यही वजह है कि भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिश कर रहे चीनी सैनिकों को वापस अपनी सीमा में जाने पर विवश होना पड़ा. बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि हिमाचल प्रदेश को देवभूमि और वीरभूमि के नाम से जाना जाता है, जहां लगभग हर घर से एक व्यक्ति फौज में है.

हिमाचल के सपूतों के नाम सर्वाधिक वीरता सम्मान

हिमाचल के वीरों की शहादत को याद करते हुए राज्यपाल दत्तात्रेय ने कहा कि करगिल युद्ध में अकेले कांगड़ा जिला से 15 जवानों और मंडी जिला से 11 जवानों ने शहादत पाई. हमीरपुर और बिलासपुर जिले से सात-सात, शिमला से चार, ऊना से दो, चंबा और कुल्लू से एक-एक वीर ने शहादत पाई. इस युद्ध में हिमाचल के वीरों को दो परमवीर चक्र, पांच वीर चक्र, नौ सेना मेडल, एक युद्ध सेना मेडल, दो उत्तम युद्ध सेवा मेडल व दो जवानों को मेंशन-इन-डिस्पैच से सम्मानित किया गया. पालमपुर के कैप्टन विक्रम बत्रा को मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया. दूसरा परमवीर चक्र बिलासपुर निवासी सूबेदार संजय कुमार को प्रदान किया गया. देश का इतिहास गवाह है कि भारतीय सेना का हर 10वां मेडल हिमाचली रणबांकुरों के नाम होता है. जनसंख्या के आधार पर सर्वाधिक वीरता सम्मान इस प्रदेश के बहादुर सैनिकों ने प्राप्त किए हैं.

लोगों से राज्यपाल की अपील

राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि पूरा विश्व इस समय कोविड- 19 नामक से लड़ रहा है. ऐसे में सभी लोगों को मिलकर इस महामारी से लड़ने में अपना योगदान देने की आवश्यकता है. उन्होंने समाज के संपन्न वर्ग से कठिनाई के इस समय में जरूरतमंद और गरीब लोगों की सहायता करने का आग्रह किया. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि हम सामुहिक प्रयासों से इस लड़ाई में अवश्य जीत जाएंगे.

शिमला: आज पूरा भारत करगिल विजय के वीर जवानों को नमन कर रहा है. इस अवसर पर राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने राजभवन में नागा रेजीमेंट के करगिल युद्ध के नायकों से बातचीत की. इस दौरान दत्तात्रेय ने कहा कि करिगल युद्ध में प्रदेश के जवानों ने अद्भुत साहस और प्रतिबद्धता का परिचय दिया और देश की सीमाओं की रक्षा करते हुए प्रदेश के 52 सिपाहियों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया. राष्ट्र की सीमाओं की सुरक्षा के लिए सेना के इस बलिदान और संकल्प के प्रति देशवासी हमेशा ऋणी रहेंगे.

करगिल वीरों ने साझा किया युद्ध का अनुभव

बातचीत के दौरान करगिल युद्ध में नागा रेजीमेंट के रणबांकुरों ने युद्ध के अपने अनुभवों को राज्यपाल के साथ साझा करते हुए बताया कि करीब 17 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित प्वाइंट 4875 चोटी पर फतह हासिल करते समय उन्हें किस प्रकार की विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ा. उन्होंने बताया कि युद्ध के दौरान रेजीमेंट के 15 जवान वीरगति को प्राप्त हुए. बहादुरी का परिचय देने के लिए रेजीमेंट ने वीर चक्र समेत 13 व्यक्तिगत सम्मान प्राप्त किए.

राज्यपाल ने इस अवसर पर कारगिल युद्ध के नायकों सुबेदार मेजर विसाले लेनु, सुबेदार मदन मोहन पांडेय, सुबेदार केनेथ अनल, नायब सुबेदार हेमंत बिष्ट, नायब सुबेदार बसंत छेतरी और हवलदार पुष्कर सिंह को सम्मानित किया. नागा रेजीमेंट ने इस अवसर पर राज्यपाल को एक स्मृति चिन्हें भेंट किया और इस विशेष अवसर पर उनसे बातचीत करने और उन्हें सम्मानित करने के लिए राज्यपाल का आभार व्यक्त किया.

'सशक्त बनकर उभरी भारतीय सेना'

राज्यपाल ने कहा कि अब इतिहास बदल गया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सशक्त नेतृत्व में भारतीय सेना सशक्त बनकर उभरी है. यही वजह है कि भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिश कर रहे चीनी सैनिकों को वापस अपनी सीमा में जाने पर विवश होना पड़ा. बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि हिमाचल प्रदेश को देवभूमि और वीरभूमि के नाम से जाना जाता है, जहां लगभग हर घर से एक व्यक्ति फौज में है.

हिमाचल के सपूतों के नाम सर्वाधिक वीरता सम्मान

हिमाचल के वीरों की शहादत को याद करते हुए राज्यपाल दत्तात्रेय ने कहा कि करगिल युद्ध में अकेले कांगड़ा जिला से 15 जवानों और मंडी जिला से 11 जवानों ने शहादत पाई. हमीरपुर और बिलासपुर जिले से सात-सात, शिमला से चार, ऊना से दो, चंबा और कुल्लू से एक-एक वीर ने शहादत पाई. इस युद्ध में हिमाचल के वीरों को दो परमवीर चक्र, पांच वीर चक्र, नौ सेना मेडल, एक युद्ध सेना मेडल, दो उत्तम युद्ध सेवा मेडल व दो जवानों को मेंशन-इन-डिस्पैच से सम्मानित किया गया. पालमपुर के कैप्टन विक्रम बत्रा को मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया. दूसरा परमवीर चक्र बिलासपुर निवासी सूबेदार संजय कुमार को प्रदान किया गया. देश का इतिहास गवाह है कि भारतीय सेना का हर 10वां मेडल हिमाचली रणबांकुरों के नाम होता है. जनसंख्या के आधार पर सर्वाधिक वीरता सम्मान इस प्रदेश के बहादुर सैनिकों ने प्राप्त किए हैं.

लोगों से राज्यपाल की अपील

राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि पूरा विश्व इस समय कोविड- 19 नामक से लड़ रहा है. ऐसे में सभी लोगों को मिलकर इस महामारी से लड़ने में अपना योगदान देने की आवश्यकता है. उन्होंने समाज के संपन्न वर्ग से कठिनाई के इस समय में जरूरतमंद और गरीब लोगों की सहायता करने का आग्रह किया. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि हम सामुहिक प्रयासों से इस लड़ाई में अवश्य जीत जाएंगे.

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