शिमला: रविवार को आयोजित किसान संघर्ष समिति की बैठक में लगभग 13 पंचायतों के बागवानों ने भाग लिया. कोटखाई के गुम्मा में आयोजित इस बैठक में किसानों व बागवानों की विभिन्न समस्याओं पर चर्चा की गई. बैठक में बागवानों की आढ़तियों से बकाया भुगतान पर विशेष रूप से चर्चा की गई. अधिकांश बागवानों ने चर्चा में ये मुद्दा रखा कि कृषि उत्पादन की मार्केटिंग में गंभीर समस्याएं पैदा हो रही है. बागवान सेब व अन्य फलों को प्रदेश की विभन्न मंडियों में बेचने के लिए ले जाते हैं, लेकिन उन्हें न ही इसके उचित दाम मिलते हैं और न ही सालों तक किसानों व बागवानों को आढ़ती उनकाबकाया भुगतान करते हैं.
बैठक में बागवानों ने कहा कि तीन-चार सालों से आढ़तियों के पास उनका बकाया फंसा है और भुगतान देने की दरख्वास्त पर आढ़ती उन्हें टाल देते हैं. आढ़तियों के पास बागवानों के करोड़ों रुपये फंसे है. किसानों का कहना है कि कृषि उत्पादन की लागत कीमत दिन प्रति दिन बढ़ रही है और दूसरी ओर मंडियों में किसानों व बागवानों को उनके उत्पादन का उचित मूल्य नहीं मिलता.किसानों और बागवानों का कहना है कि प्रदेश सरकार द्वारा कृषि मंडियों को रेगुलेट करने के लिए एपीएमसी अधिनियम 2005 बनाया है. इसमें स्पष्ट रूप से ये प्रावधान है कि किसानों व बागवानों का मंडियों में शोषण नहीं होने दिया जाएगा, लेकिन आढ़तियों व लदानियो के दबाव में प्रावधानों को लागू नहीं किया जा रहा है.
बैठक में निर्णय लिया गया कि आढ़तियों से बकाया भुगतान लेने के लिए जिस प्रकार से बाघी व ठियोग के 11 बागवानों द्वारा एफआईआरकी गई थी, उसी तरह बकाया न मिलने पर बागवानों द्वारा पुलिस के पास एफआईआर दर्ज की गई थी. बीते दिनों बागवानों की संगठित ताकत के द्वारा पुलिस के साथ कार्रवाई करने पर ही इन बागवानों को पिछले दो सालों से फंसे सेब का बकाया भुगतान हो पाया. इसके साथ ही एपीएमसी को भी इन आरोपी आढ़तियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए दबाव बनाने का निर्णय लिया गया. बागवानों का कहना है कि 22 अप्रैल को एपीएमसी कार्यालय ढली में बागवान एपीएमसी अधिनियम, 2005 लागू करने के लिए प्रदर्शन करेंगे.