गोरखपुर : बाढ़ से बचाव और खेती के लिए पानी की उपलब्धता को बनाए रखने के लिए नदी मोड़ो योजना की शुरुआत की गई थी. 2019 के दौरान शुरू हुई इस योजना के लिए करीब 9 करोड़ 97 लाख रुपये खर्च होने थे. सिंचाई विभाग की वाराणसी यांत्रिक इकाई (मैकेनिकल विंग) को इसका काम सौंपा गया था. यह निर्माण एजेंसी काम अधूरा छोड़कर जा चुकी है. इस योजना में सरकारी धन की बर्बादी के साथ भ्रष्टाचार की आशंका भी जताई जा रही है.
बता दें कि राप्ती और गोर्रा नदी की धारा को तीन स्थानों पर मोड़ने के लिए शासन से स्वीकृति मिली थी. इस कार्य पर करीब 9 करोड़ 97 लाख रुपये खर्च होने थे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर, वाराणसी और कानपुर के यांत्रिक बैराज खंड के अधिकारियों की टीम ने गोर्रा नदी के बरही कटान पर चैनेलाइजेशन (तटीकरण) शुरू किया था. इस योजना के पूरे होने से 12 से अधिक गांवों को बाढ़ से सुरक्षा मिलती.
इसी तरह राप्ती नदी के बाएं तट पर स्थित मलौनी तटबंध से सटे, ग्राम सभा बरसाइत के पास नदी की ड्रेजिंग कर चैनलाइजेशन की प्रक्रिया शुरू हुई थी. यह करीब 7:30 किलोमीटर में होनी थी. यह भी अधूरा पड़ा है. इसी कड़ी में लहड़ी रिंग बांध और ग्राम डुहिया के निकट नदी के कटान से कई गांवों को सुरक्षा मिलती लेकिन यहां भी काम आधा अधूरा छोड़कर निर्माण इकाई जा चुकी है. इस लापरवाही से पूर्व में आए सिंचाई मंत्री को भी अवगत कराया गया था.
अधिकारी बोलने को तैयार नहीं : काम क्यों पूरा नहीं हुआ ?, इस पर न तो शासन ने गंभीरता से लिया और न ही स्थानीय अधिकारियों ने. नदी की धारा मोड़ने का यह कार्य मौजूदा समय में धन के बंदरबांट की कहानी को बयां करता है. मौके पर अधूरे पड़े कार्य को बखूबी देखा जा सकता है. गोरखपुर में मौजूद सिंचाई एवं बाढ़ से संबंधित अधिकारी इस पर कुछ नहीं बोलना चाहते हैं. बस इतना कहते हैं कि कार्य वाराणसी और कानपुर की यांत्रिक इकाई को करना था, जिसका जवाब लखनऊ में बैठे अधिकारी ही दे सकते हैं.
बाढ़ की आशंका से लोग परेशान : वर्ष 2021 में निर्माण इकाई कार्य छोड़कर चली गई. कुछ क्षेत्र में किसानों की सैकड़ों एकड़ जमीन खोदकर छोड़ दी गई और लोग कटान में बाढ़ की आशंका से ग्रसित हैं. अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व राजेश कुमार सिंह का कहना है कि बाढ़ से निपटने के लिए तैयारियां मुकम्मल की जा रहीं हैं. रही बात नदी की धारा मोड़ने या चैनेलाइजेशन कार्य की तो इस संबंध में नए सिरे से जानकारी प्राप्त की जाएगी. कार्यदायी संस्था ने काम क्यों छोड़ा, इन बिंदुओं पर सिंचाई विभाग से समन्वय स्थापित किया जाएगा. गंडक बाढ़ मंडल गोरखपुर के अधीक्षण अभियंता इंजीनियर दिनेश सिंह का कहना है कि यह काम क्यों नहीं हुआ, इसकी जानकारी वह नहीं दे सकते, क्योंकि निर्माण इकाई दूसरी थी, लेकिन यह उनके कार्य खंड क्षेत्र में शुरू हुआ था जो अधूरा पड़ा है.
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