इंदौर : हिंदुत्व की राजनीतिक विचारधारा के प्रणेता ( architect of Hindutva ideology) माने जाने वाले विनायक दामोदर सावरकर ( V D Savarkar) की शख्सियत को 'भारत रत्न' से ऊपर बताते हुए केंद्रीय सूचना आयुक्त उदय माहूरकर (Central Information Commissioner Uday Mahurkar) ने कहा कि अगर सावरकर को सर्वोच्च नागरिक सम्मान नहीं भी मिलता है, तो भी उनका कद अप्रभावित रहेगा क्योंकि देश में सावरकर युग ( Savarkar era) का आगमन पहले ही हो चुका है.
इंदौर साहित्य महोत्सव में शामिल होने आए माहूरकर ने शनिवार को एक सवाल के जवाब में कहा, 'मैं मानता हूं कि सावरकर (की शख्सियत) भारत रत्न से ऊपर (savarkar above Bharat Ratna) है. अगर उन्हें यह सम्मान मिलता है, तो अच्छी बात है. लेकिन अगर उन्हें यह सम्मान नहीं भी मिलता है, तो भी इससे उनके कद पर कोई फर्क नहीं पडे़गा क्योंकि देश में सावरकर युग का आगमन हो चुका है.'
'वीर सावरकर : द मैन हू कुड हैव प्रिवेंटेड पार्टिशन' पुस्तक के लेखक ने कहा, 'पहले हम सोच तक नहीं पाते थे कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 कभी हट (abrogation of article 370) भी सकता है. लेकिन इस अनुच्छेद को हटा दिया गया. यह कदम देश में सावरकर युग के आगमन का प्रतीक है.'
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने घोषणापत्र में कहा था कि राज्य की सत्ता में आने पर वह 'भारत रत्न' के लिए सावरकर के नाम की सिफारिश पार्टी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार से करेगी. इसके अलावा, अलग-अलग दक्षिणपंथी संगठन भी सावरकर को देश के सर्वोच्च सम्मान से नवाजे जाने की मांग पिछले कई साल से कर रहे हैं.
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माहूरकर ने सावरकर को भारत की 'राष्ट्रीय सुरक्षा नीति का पितामह' बताया और दावा किया कि हिंदुत्व के इस विचारक ने गुलाम भारत में कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टीकरण की कथित नीति और मुस्लिम लीग की हरकतों को देखकर देश के विभाजन के खतरे को काफी पहले ही भांप लिया था. केंद्रीय सूचना आयुक्त ने कहा, 'भारत का विभाजन राष्ट्रीय सुरक्षा का ही मामला था.'
(पीटीआई)