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Language Controversy: तमिलनाडु के मंत्री का तीखा बयान, पानी पूरी बेचते हैं हिंदी बोलने वाले

तमिलनाडु के उच्च शिक्षा मंत्री के पोनमुडी ने कहा कि राज्य सरकार अपनी नीति के तमिल और अंग्रेजी के तौर पर दो भाषा फार्मूले को जारी रखेगी. साथ ही उन्होंने हिंदी थोपने के प्रयासों की भी निंदा की. मंत्री ने यहां तक कह डाला कि हिंदी में रोजगार मिलता तो हिंदी भाषा बोलने वाले पानी पूरी क्यों बेचते? मंत्री के इस बयान ने राजनीति में तीखापन ला दिया है.

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Published : May 13, 2022, 6:40 PM IST

कोयबंटूर: तमिलनाडु के उच्च शिक्षा मंत्री के पोनमुडी ने हिंदी को लेकर विवादित बयान दिया है. उन्होंने हिंदी को नौकरी से जोड़ते हुए कटाक्ष किया कि यदि हिंदी से जॉब मिलती तो हिंदी भाषी हमारे यहां पानी पूरी क्यों बेचते. मंत्री ने जनता से भी पूछा कि शहर में पानी पूरी कौन बेच रहा है? हालांकि राज्यपाल की मौजूदगी में मंत्री का यह बयान चर्चा में आ गया है. इसे हाल में उठे भाषा विवाद से जोड़कर देखा जा रहा है.

तमिलनाडु के उच्च शिक्षा मंत्री के पोनमुडी ने जोर देकर कहा कि राज्य सरकार अपनी नीति के रूप में दो भाषा फार्मूले को जारी रखेगी. साथ ही हिंदी थोपने के किसी भी प्रयास की निंदा की और इस दावे पर सवाल उठाया कि भाषा सीखने से रोजगार मिलेगा. इसी परिपेक्ष्य में उन्होंने हिंदी भाषी की तुलना पानी पूरी बेचने वालों के तौर कर की. कहा कि कोयबंटूर शहर में कौन पानी पूरी बेच रहा है. इनका साफ इशारा हिंदी भाषा बोलने वाले श्रमिक वर्ग की तरफ था, जो रोजगार के लिए दूसरे शहरों में हैं.

राज्यपाल की मौजूदगी में टिप्पणी: भारथिअर विश्वविद्यालय के 37वें दीक्षांत समारोह के दौरान राज्यपाल आरएन रवि की मौजूदगी में मंत्री ने यह टिप्पणी की. मंत्री ने हिंदी लागू न करने के सत्तारूढ़ द्रमुक के रुख को दोहराया. राज्यपाल रवि ने यह कहकर इसे खारिज किया कि किसी पर हिंदी या कोई अन्य भाषा थोपने का सवाल ही नहीं है. पोनमुडी ने कहा कि उन्होंने भाषा के मुद्दे पर तमिलनाडु की भावनाओं को उजागर करने के लिए मंच का इस्तेमाल किया क्योंकि राज्यपाल इसे केंद्र को बताएंगे.

द्रविड़ियन मॉडल की तारीफ: मत्री ने कहा कि एक समय था जब समाज ने महिलाओं की शिक्षा पर रोक लगा दी थी. लेकिन द्रविड़ियन मॉडल ने एक ऐसी प्रणाली बनाई, जहां सभी के लिए शिक्षा है. छात्राएं उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी अपने पुरूष समकक्षों से आगे निकल रही हैं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने शिक्षा नीति बनाने के लिए समिति का गठन किया है और उनकी सिफारिशों के आधार पर ही नीति तैयार की जाएगी.

मंत्री ने और क्या कहा: मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार नई शिक्षा नीति (एनईपी 2020) में अच्छी योजनाओं को अपनाने के लिए तैयार है. मंत्री ने कहा कि हिंदी को थोपना नहीं चाहिए और छात्र किसी भी भाषा को तीसरे विकल्प के रूप में पसंद कर सकते हैं. जहां तक राज्य की बात है तो राज्य उस प्रणाली का पालन करेगा जो प्रचलन में है. तमिलनाडु सरकार पहले ही कह चुकी है कि तमिल और अंग्रेजी को मिलाकर द्विभाषा नीति व्यवहार में बनी रहेगी.

कोयबंटूर: तमिलनाडु के उच्च शिक्षा मंत्री के पोनमुडी ने हिंदी को लेकर विवादित बयान दिया है. उन्होंने हिंदी को नौकरी से जोड़ते हुए कटाक्ष किया कि यदि हिंदी से जॉब मिलती तो हिंदी भाषी हमारे यहां पानी पूरी क्यों बेचते. मंत्री ने जनता से भी पूछा कि शहर में पानी पूरी कौन बेच रहा है? हालांकि राज्यपाल की मौजूदगी में मंत्री का यह बयान चर्चा में आ गया है. इसे हाल में उठे भाषा विवाद से जोड़कर देखा जा रहा है.

तमिलनाडु के उच्च शिक्षा मंत्री के पोनमुडी ने जोर देकर कहा कि राज्य सरकार अपनी नीति के रूप में दो भाषा फार्मूले को जारी रखेगी. साथ ही हिंदी थोपने के किसी भी प्रयास की निंदा की और इस दावे पर सवाल उठाया कि भाषा सीखने से रोजगार मिलेगा. इसी परिपेक्ष्य में उन्होंने हिंदी भाषी की तुलना पानी पूरी बेचने वालों के तौर कर की. कहा कि कोयबंटूर शहर में कौन पानी पूरी बेच रहा है. इनका साफ इशारा हिंदी भाषा बोलने वाले श्रमिक वर्ग की तरफ था, जो रोजगार के लिए दूसरे शहरों में हैं.

राज्यपाल की मौजूदगी में टिप्पणी: भारथिअर विश्वविद्यालय के 37वें दीक्षांत समारोह के दौरान राज्यपाल आरएन रवि की मौजूदगी में मंत्री ने यह टिप्पणी की. मंत्री ने हिंदी लागू न करने के सत्तारूढ़ द्रमुक के रुख को दोहराया. राज्यपाल रवि ने यह कहकर इसे खारिज किया कि किसी पर हिंदी या कोई अन्य भाषा थोपने का सवाल ही नहीं है. पोनमुडी ने कहा कि उन्होंने भाषा के मुद्दे पर तमिलनाडु की भावनाओं को उजागर करने के लिए मंच का इस्तेमाल किया क्योंकि राज्यपाल इसे केंद्र को बताएंगे.

द्रविड़ियन मॉडल की तारीफ: मत्री ने कहा कि एक समय था जब समाज ने महिलाओं की शिक्षा पर रोक लगा दी थी. लेकिन द्रविड़ियन मॉडल ने एक ऐसी प्रणाली बनाई, जहां सभी के लिए शिक्षा है. छात्राएं उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी अपने पुरूष समकक्षों से आगे निकल रही हैं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने शिक्षा नीति बनाने के लिए समिति का गठन किया है और उनकी सिफारिशों के आधार पर ही नीति तैयार की जाएगी.

मंत्री ने और क्या कहा: मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार नई शिक्षा नीति (एनईपी 2020) में अच्छी योजनाओं को अपनाने के लिए तैयार है. मंत्री ने कहा कि हिंदी को थोपना नहीं चाहिए और छात्र किसी भी भाषा को तीसरे विकल्प के रूप में पसंद कर सकते हैं. जहां तक राज्य की बात है तो राज्य उस प्रणाली का पालन करेगा जो प्रचलन में है. तमिलनाडु सरकार पहले ही कह चुकी है कि तमिल और अंग्रेजी को मिलाकर द्विभाषा नीति व्यवहार में बनी रहेगी.

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