धर्मशाला: दुनिया भर में मंगलवार से तिब्बतियों का नया साल (लोसर) शुरू हो गया है. इसी के चलते हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में स्थित तिब्बत निर्वासित सरकार मुख्यालय एवं बौद्ध नगरी मैक्लोडगंज में भी लोसर बड़ी ही आस्था और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. नववर्ष पर मैक्लोडगंज में विशेष पूजा अर्चना की गई. वहीं, सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया. मैक्लोडगंज को निर्वासित सरकार मुख्यालय व बौद्ध नगरी भी कहा जाता है, क्योंकि तिब्बतियों के सर्वोच्च धर्मगुरु दलाईलामा भी यहीं निवास करते हैं.
निर्वासित संसद की उपाध्यक्ष डोलमा छेरिंग ने नववर्ष पर कहा कि- लोसर पर्व धार्मिक कार्यक्रम से शुरू होता है. सीटीए की ओर से भी कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. नववर्ष पर तिब्बत में जो आर्मी डांस होता है, उसे दर्शाने का प्रयास टिपा के कलाकारों द्वारा किया जाता है. बुद्धिस्ट फिलॉसफी पर वार्तालाप के लिए दो लामा आते हैं. क्षेत्र में जितने भी बौद्ध मठ हैं, वहां से बारी-बारी दो-दो लोगों को बुलाया जाता है. उन्होंने कहा कि पहले कोविड था, अब युद्ध हो रहे हैं, अफरातफरी का माहौल है, ऐसे में शांति जरूरी है. सभी मैत्री से शांतिपूर्वक रहें, खुद भी जिएं तथा औरों को भी जीने दें.
वहीं, निर्वासित तिब्बत सरकार की रक्षा मंत्री गैरी डोलमा ने कहा कि- तिब्बतियों के लिए नया साल सुखद हो, इसकी कामना करते हैं. नए साल का दिन लूनर कैलेंडर के हिसाब से हमारा कैलेंडर चलता है. हमारा कैलेंडर चीन के कैलेंडर से अलग है. नववर्ष पर विश्व कल्याण और धर्म के लिए पूजा अर्चना की गई. नववर्ष पर तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा के नेतृत्व में हम तिब्बत में रह रहे अपने लोगों से मिलें, इसके लिए प्रार्थना की गई. भारत को लेकर डोलमा गैरी ने कहा कि भारत लगातार ऊंचाई छू रहा है, हम चाहते हैं कि भारत विश्व का महालीडर बने.