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Mullaperiyar Dam: प्राधिकरण के कार्यशील होने तक पर्यवेक्षी समिति कार्य कर सकती है: SC

उच्चतम न्यायालय (Supreme court) ने मंगलवार को कहा कि 126 साल पुराने मुल्लापेरियार बांध के संबंध में पर्यवेक्षी समिति (सुपरवाइजरी कमेटी) को बांध सुरक्षा अधिनियम 2021 के तहत एक नियमित प्राधिकरण स्थापित होने तक सभी वैधानिक कार्य करने के लिए कहा जा सकता है.

Supreme court
सुप्रीम कोर्ट
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Published : Apr 5, 2022, 4:48 PM IST

Updated : Apr 5, 2022, 4:56 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने सुझाव दिया है कि मुल्ला पेरियार बांध मसले में प्राधिकरण के कार्यशील होने तक पर्यवेक्षी समिति कार्य कर सकती है. उच्चतम न्यायालय ने यह सुझाव तब दिया जब केंद्र ने कहा कि अधिनियम के तहत राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण (National Dam Safety Authority) एक साल में पूरी तरह से कार्य करना शुरू कर देगा, जबकि एक अस्थायी संरचना को एक महीने के भीतर क्रियाशील बनाया जा सकता है.

सरकार ने न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि शीर्ष अदालत इस पर विचार कर सकती है कि पर्यवेक्षी समिति, जिसमें पहले से ही तमिलनाडु और केरल के प्रतिनिधि हैं, अपना कामकाज जारी रख सकती है. शीर्ष अदालत मुल्लापेरियार बांध से जुड़े मुद्दे से उत्पन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. यह बांध 1895 में केरल के इडुक्की जिले में पेरियार नदी पर बनाया गया था.

न्यायमूर्ति खानविलकर, न्यायमूर्ति एएस ओका और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा कि चूंकि आप सुझाव दे रहे हैं कि पर्यवेक्षी समिति अपना कामकाज जारी रख सकती है, हम कहेंगे, इस अदालत के आदेशों के तहत सौंपे गए कार्य के अलावा, पर्यवेक्षी समिति इस अधिनियम के तहत सभी वैधानिक कार्यों को तब तक करेगी जब तक कि एक नियमित समिति का गठन नहीं हो जाता. पीठ ने कहा कि इस अधिनियम के तहत आने वाली सभी गतिविधियों पर समिति ध्यान देगी.

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि यह एक कामकाजी व्यवस्था हो सकती है. यह एक नियमित व्यवस्था नहीं है. पीठ ने कहा कि वह एक साल की समय सीमा के बारे में दिए गए आश्वासन को देखेगी. शुरुआत में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि अधिनियम के तहत प्राधिकरण को पूरी तरह क्रियाशील होने में एक वर्ष का समय लगेगा. उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों को समिति में एक-एक विशेषज्ञ को नामित करने के लिए कहने पर विचार कर सकती है.

यह भी पढ़ें- केरल में मुल्लापेरियार डैम के गेट खोले गए, इडुक्की जलाशय के लिए रेड अलर्ट

पीठ ने कहा कि हम कहेंगे, सभी उद्देश्यों के लिए, पर्यवेक्षी समिति सभी गतिविधियों का निर्वहन तब तक करेगी जब तक कि इस अदालत द्वारा अगले आदेश पारित नहीं किए जाते हैं. इसलिए राष्ट्रीय समिति, जहां तक ​​इस बांध का संबंध है, फिलहाल इसमें शामिल नहीं होगी. पीठ ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि सात अप्रैल तय की. उच्चतम न्यायालय ने 31 मार्च को केंद्र को एक नोट दाखिल कर समय सीमा के बारे में और राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण के कामकाज शुरू करने के बारे में विस्तार से जानकारी देने को कहा था.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने सुझाव दिया है कि मुल्ला पेरियार बांध मसले में प्राधिकरण के कार्यशील होने तक पर्यवेक्षी समिति कार्य कर सकती है. उच्चतम न्यायालय ने यह सुझाव तब दिया जब केंद्र ने कहा कि अधिनियम के तहत राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण (National Dam Safety Authority) एक साल में पूरी तरह से कार्य करना शुरू कर देगा, जबकि एक अस्थायी संरचना को एक महीने के भीतर क्रियाशील बनाया जा सकता है.

सरकार ने न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि शीर्ष अदालत इस पर विचार कर सकती है कि पर्यवेक्षी समिति, जिसमें पहले से ही तमिलनाडु और केरल के प्रतिनिधि हैं, अपना कामकाज जारी रख सकती है. शीर्ष अदालत मुल्लापेरियार बांध से जुड़े मुद्दे से उत्पन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. यह बांध 1895 में केरल के इडुक्की जिले में पेरियार नदी पर बनाया गया था.

न्यायमूर्ति खानविलकर, न्यायमूर्ति एएस ओका और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा कि चूंकि आप सुझाव दे रहे हैं कि पर्यवेक्षी समिति अपना कामकाज जारी रख सकती है, हम कहेंगे, इस अदालत के आदेशों के तहत सौंपे गए कार्य के अलावा, पर्यवेक्षी समिति इस अधिनियम के तहत सभी वैधानिक कार्यों को तब तक करेगी जब तक कि एक नियमित समिति का गठन नहीं हो जाता. पीठ ने कहा कि इस अधिनियम के तहत आने वाली सभी गतिविधियों पर समिति ध्यान देगी.

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि यह एक कामकाजी व्यवस्था हो सकती है. यह एक नियमित व्यवस्था नहीं है. पीठ ने कहा कि वह एक साल की समय सीमा के बारे में दिए गए आश्वासन को देखेगी. शुरुआत में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि अधिनियम के तहत प्राधिकरण को पूरी तरह क्रियाशील होने में एक वर्ष का समय लगेगा. उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों को समिति में एक-एक विशेषज्ञ को नामित करने के लिए कहने पर विचार कर सकती है.

यह भी पढ़ें- केरल में मुल्लापेरियार डैम के गेट खोले गए, इडुक्की जलाशय के लिए रेड अलर्ट

पीठ ने कहा कि हम कहेंगे, सभी उद्देश्यों के लिए, पर्यवेक्षी समिति सभी गतिविधियों का निर्वहन तब तक करेगी जब तक कि इस अदालत द्वारा अगले आदेश पारित नहीं किए जाते हैं. इसलिए राष्ट्रीय समिति, जहां तक ​​इस बांध का संबंध है, फिलहाल इसमें शामिल नहीं होगी. पीठ ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि सात अप्रैल तय की. उच्चतम न्यायालय ने 31 मार्च को केंद्र को एक नोट दाखिल कर समय सीमा के बारे में और राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण के कामकाज शुरू करने के बारे में विस्तार से जानकारी देने को कहा था.

Last Updated : Apr 5, 2022, 4:56 PM IST
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