कुल्लू: देशभर में अयोध्या में भगवान श्री राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर उत्सव का माहौल बना हुआ है. वहीं, निमंत्रण पाने वाले धर्माचार्य सहित विशेष अतिथि भी अब अयोध्या के लिए रवाना हो रहे हैं. ऐसे में हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू के आराध्य देवता भगवान रघुनाथ की ओर से भी भगवान श्री राम के लिए चांदी की चरण पादुकाएं, चांदी का चंवर और वस्त्र भेंट किए जाएंगे. यह सब सामान बनकर तैयार हो चुका है और अब भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह इसे लेकर अयोध्या की ओर रवाना हो गए हैं.
त्रेता नाथ मंदिर का भगवान रघुनाथ से संबंध: कुल्लू जिले के आराध्य देव भगवान रघुनाथ मंदिर की ओर से भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होंगे और उनके द्वारा यह सब भेंट भगवान श्री राम के चरणों में अर्पित की जाएगी. भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार में महेश्वर सिंह इस दौरान अयोध्या में स्थापित त्रेता नाथ मंदिर में भी जाएंगे और वहां पर भी पूजा अर्चना करेंगे. बता दें कि अयोध्या के त्रेता नाथ मंदिर से ही भगवान रघुनाथ की मूर्ति कुल्लू लाई गई है.
भगवान रघुनाथ के जयकारों से गुंजायमान हुआ कुल्लू: जिला कुल्लू के रघुनाथपुर में भगवान रघुनाथ के मंदिर में वीरवार को विशेष पूजा अर्चना का आयोजन किया गया और भगवान श्री राम को भेंट की जाने वाले सभी पवित्र सामान को श्रद्धालुओं के दर्शनों के लिए भी रखा गया. इस दौरान सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित रहे और पूरा इलाका भगवान रघुनाथ के जयकारों से गूंज उठा. सभी श्रद्धालुओं ने चांदी के चरण पादुका, चंवर व अन्य भेंट की जाने वाली वस्तुओं के दर्शन किए. वहीं, भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह अब यह सब भेंट लेकर अयोध्या के लिए रवाना हो गए हैं.
यहां तैयार हुई चरण पादुका-चंवर: भगवान श्री राम को समर्पित की जाने वाली चांदी की चरण पादुकाएं कुल्लू में ही तैयार की गई हैं. इसके अलावा श्री राम के लिए वस्त्र भी तैयार किए गए हैं. वहीं, चंवर बनाने के लिए याक जानवर की पूंछ के बालों का इस्तेमाल किया गया है और इन्हें चांदी की एक छड़ी में बनवाया गया है. चंवर को किन्नौर जिले के कारीगर द्वारा तैयार किया गया है और यह सब सामान भगवान रघुनाथ मंदिर की और से भेंट किया जा रहा है.
पूजा-अर्चना में चंवर का महत्व: चांदी की चंवर का उपयोग देवी देवताओं के मंदिरों में पूजा अर्चना के दौरान प्रयोग में लाया जाता है और इसे पूजा सामग्री में पवित्र स्थान भी दिया गया है. माना जाता है कि इससे बुरी शक्तियां भी दूर भागती हैं. ऐसे में यह सब भेंट लेकर भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह 20 जनवरी को अयोध्या पहुंचेंगे और रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह में यह सब भेंट भगवान श्री राम के चरणों में अर्पित की जाएगी.
भगवान रघुनाथ की मूर्ति से जुड़ी मान्यता: बता दें कि भगवान रघुनाथ की मूर्ति कुल्लू में अयोध्या के त्रेता नाथ मंदिर से 1660 ईस्वी में लाई गई थी. मान्यता है कि इस मूर्ति के आने के बाद कुल्लू के राजा को बीमारी से मुक्ति मिली थी. ऐसे में हर साल यहां पर अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव का भी आयोजन किया जाता है. जिसमें जिला कुल्लू के विभिन्न इलाकों से देवी-देवता इस दशहरा उत्सव में शिरकत करते हैं. वहीं, मान्यता है कि भगवान रघुनाथ की यह मूर्ति अश्वमेध यज्ञ के दौरान त्रेता युग में भगवान श्री राम के हाथ से तैयार की गई थी. जिसका राजस्व रिकॉर्ड आज भी अयोध्या में दर्ज है.
रघुनाथ मंदिर में सुंदरकांड का पाठ: भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह ने बताया कि यह सब भेंट को लेकर वह अब अयोध्या के लिए रवाना हो गए हैं. भगवान रघुनाथ का अयोध्या से गहरा नाता है और अयोध्या के राजस्व रिकॉर्ड में भी यह सब दर्ज किया गया है. देश भर में भगवान श्री रामलला प्राण प्रतिष्ठा को लेकर उत्सव का माहौल बना हुआ है. वहीं, 22 जनवरी को भगवान रघुनाथ के मंदिर में भी विशेष रूप से सुंदरकांड का पाठ किया जाएगा.