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हिमाचल हाई कोर्ट के पुराने भवन खंड का नहीं होगा पुनर्निर्माण

एनजीटी ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय को अपने पुराने भवन खंड के पुनर्निर्माण की अनुमति देने से इनकार कर दिया है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Oct 13, 2021, 7:52 PM IST

नई दिल्ली : राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय को अपने पुराने भवन के खंड के पुनर्निर्माण की अनुमति देने से इनकार कर दिया है. अधिकरण का कहना है कि शिमला के भीतरी क्षेत्र में निर्माण सार्वजनिक सुरक्षा तथा पर्यावरण के लिए एक गंभीर खतरा है.

एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आर्दश कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि निस्संदेह, उच्च न्यायालय की आवश्यकता सर्वोच्च प्राथमिकता है लेकिन जनता की सुरक्षा के खतरे को देखते हुए, वह अपने पहले के आदेश को संशोधित नहीं कर सकता है.

पीठ ने आठ अक्टूबर को दिए अपने आदेश में कहा, शिमला के भीतरी क्षेत्रों में निर्माण के सार्वजनिक सुरक्षा एवं पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा होने के कारण, आवेदन में सुझाया गया कोई भी संशोधन व्यावहारिक नहीं होगा.

पढ़ें :- NGT ने राजस्थान सरकार पर कूड़ा फेंकने पर ठोका 50 लाख रुपये का जुर्माना

एनजीटी, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें उसके 16 नवंबर, 2017 के आदेश को संशोधित करके पुराने भवन के खंड (जो कि शिमला के भीतरी इलाके में है) के पुनर्निर्माण की अनुमति देने का अनुरोध किया गया था.

एनजीटी ने 2017 में हिमाचल प्रदेश के हरित, जंगल और अंदरूनी क्षेत्रों के किसी भी हिस्से में और राष्ट्रीय राजमार्गों के तीन मीटर के भीतर सभी आवासीय या वाणिज्यिक निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया था. साथ ही, असाधारण प्रकृति के भवनों के निर्माण की आवश्यकता पर गौर करने एवं मूल्यांकन करने और यदि आवश्यक हो तो सिफारिश करने के लिए पर्यवेक्षक समिति का भी गठन किया था.

नई दिल्ली : राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय को अपने पुराने भवन के खंड के पुनर्निर्माण की अनुमति देने से इनकार कर दिया है. अधिकरण का कहना है कि शिमला के भीतरी क्षेत्र में निर्माण सार्वजनिक सुरक्षा तथा पर्यावरण के लिए एक गंभीर खतरा है.

एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आर्दश कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि निस्संदेह, उच्च न्यायालय की आवश्यकता सर्वोच्च प्राथमिकता है लेकिन जनता की सुरक्षा के खतरे को देखते हुए, वह अपने पहले के आदेश को संशोधित नहीं कर सकता है.

पीठ ने आठ अक्टूबर को दिए अपने आदेश में कहा, शिमला के भीतरी क्षेत्रों में निर्माण के सार्वजनिक सुरक्षा एवं पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा होने के कारण, आवेदन में सुझाया गया कोई भी संशोधन व्यावहारिक नहीं होगा.

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एनजीटी, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें उसके 16 नवंबर, 2017 के आदेश को संशोधित करके पुराने भवन के खंड (जो कि शिमला के भीतरी इलाके में है) के पुनर्निर्माण की अनुमति देने का अनुरोध किया गया था.

एनजीटी ने 2017 में हिमाचल प्रदेश के हरित, जंगल और अंदरूनी क्षेत्रों के किसी भी हिस्से में और राष्ट्रीय राजमार्गों के तीन मीटर के भीतर सभी आवासीय या वाणिज्यिक निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया था. साथ ही, असाधारण प्रकृति के भवनों के निर्माण की आवश्यकता पर गौर करने एवं मूल्यांकन करने और यदि आवश्यक हो तो सिफारिश करने के लिए पर्यवेक्षक समिति का भी गठन किया था.

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