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आतंकवाद की 'अंधी सुरंग' से बाहर निकल रहा जम्मू कश्मीर, पुलवामा की पेंसिल नई पहचान : गृह मंत्रालय

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के दो साल से अधिक समय पूरा होने पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दोहराया कि जम्मू-कश्मीर आतंक से मुक्ति पा रहा है. साथ ही विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है. एक तरफ जहां हजारों करोड़ की विकास योजनाएं पूरी हो रही हैं, वहीं पुलवामा की पहचान अब पेंसिल निर्यातक के तौर पर बन रही है. पढ़ें ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट.

Debroy
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Published : Sep 25, 2021, 10:03 PM IST

नई दिल्ली : गृह मंत्रालय के अनुसार अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद अलगाववादियों का समर्थन आधार कम हो रहा है. आंकड़ों के अनुसार 2018 में 58 हुर्रियत नेताओं को हिरासत में लिया गया. उसके बाद 2019 में 70 नेताओं को और वर्ष 2020 में हुर्रियत के 6 नेताओं को सुरक्षा की दृष्टि से हिरासत में लिया गया.

हुर्रियत नेताओं को सरकारी खर्च से प्रदान की गई राशि वापस ले ली गई है. अलगाववादियों के 82 बैंक खाते भी फ्रीज कर दिए गए हैं. एमएचए ने कहा कि एक राष्ट्र, एक कानून, एक प्रतीक का सपना पूरा किया जा रहा है. प्रावधानों को प्रभावी ढंग से हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में एक नई शुरुआत नामक पुस्तक में कहा गया है कि धारा 370 के खात्मे से तस्वीर बदल गई है.

सूचना प्रसारण मंत्रालय और गृह मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से जारी 32 पृष्ठों की पुस्तक में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद जम्मू-कश्मीर के कई सकारात्मक पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है. एमएचए ने आगे कहा कि आतंक की घटनाओं में काफी कमी आई है और घाटी में शांति और सुरक्षा का एक नया वातावरण मिल गया है.

हर हाथ में पुलवामा-पेंसिल शीर्षक वाले एक अध्याय में MHA ने कहा कि पुलवामा का नाम अब 14 फरवरी 2019 के आतंकी हमले की छवि नहीं बनेगी. इसके बजाय यह एक नए भारत की तस्वीर पेश करेगा. केंद्र सरकार की पहल पर पुलवामा के उक्खु गांव को पेंसिल वाला गांव का टैग दिया जा रहा है. इसलिए पुलवामा अब गांव के बच्चों की वर्णमाला सीखने की पेंसिल के रूप में शिक्षा जगत में जाना जाएगा.

गृह मंत्रालय ने कहा कि पेंसिल को देश में कहीं भी इस्तेमाल करने वाले हाथों ने शायद अंदाजा नहीं लगाया होगा कि पेंसिल का निर्माण कहां हुआ और उन तक कैसे पहुंचा. यह एक सुखद तथ्य है कि भारत में 90 प्रतिशत पेंसिलें उसी पुलवामा से निकलती हैं. अब तक पुलवामा का उक्खु गांव पेंसिल तैयार करने के लिए पूरे देश में केवल पेंसिल स्लैट (लकड़ी की पट्टी) भेजता था. लेकिन अब पूरे देश को पुलवामा में निर्मित पेंसिल की आपूर्ति की जाएगी.

एमएचए ने जम्मू-कश्मीर में विकास और प्रगति को बढ़ावा देने वाली अपनी पुस्तक में कहा कि जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में पर्यटन स्थलों के रूप में विकास के लिए स्थानों की पहचान की जा रही है.

एमबीए ने कहा कि हिमालय की कुल 137 चोटियों को विदेशी पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है, जिनमें से 15 पर्वतीय क्षेत्र जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में हैं. गृह मंत्रालय ने कहा कि प्रधान मंत्री विकास पैकेज 2015 के तहत करीब 80000 करोड़ से 20 परियोजनाओं का विकास पूरा हो चुका है और बाकी कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं.

एमएचए ने कहा कि नई केंद्रीय योजना के तहत जम्मू-कश्मीर के औद्योगिक विकास के लिए 2037 तक 28400 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. गृह मंत्रालय ने कहा कि इस योजना के तहत उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा और औद्योगीकरण का एक नया अध्याय शुरू होगा. इसने आगे कहा कि 170 केंद्रीय कानून, जो पहले लागू नहीं थे, अब इस क्षेत्र में लागू कर दिए गए हैं.

यह भी पढ़ें-लोकतंत्र की जननी, आचार्य चाणक्य, गुरूदेव टैगोर, जानें पीएम मोदी ने UNGA संबोधन में कैसे किया गौरवान्वित

संपर्क करने पर ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) बीके खन्ना ने भी यही कहा कि जम्मू-कश्मीर में जहां आतंक का राज रहा है, वहां प्रगति और विकास होने लगा है. ब्रिगेडियर खन्ना ने कहा कि केंद्र सरकार कई सकारात्मक कदम उठा रही है लेकिन इन सभी को लागू करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेशों को समावेशी विकास की जरूरत है.

नई दिल्ली : गृह मंत्रालय के अनुसार अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद अलगाववादियों का समर्थन आधार कम हो रहा है. आंकड़ों के अनुसार 2018 में 58 हुर्रियत नेताओं को हिरासत में लिया गया. उसके बाद 2019 में 70 नेताओं को और वर्ष 2020 में हुर्रियत के 6 नेताओं को सुरक्षा की दृष्टि से हिरासत में लिया गया.

हुर्रियत नेताओं को सरकारी खर्च से प्रदान की गई राशि वापस ले ली गई है. अलगाववादियों के 82 बैंक खाते भी फ्रीज कर दिए गए हैं. एमएचए ने कहा कि एक राष्ट्र, एक कानून, एक प्रतीक का सपना पूरा किया जा रहा है. प्रावधानों को प्रभावी ढंग से हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में एक नई शुरुआत नामक पुस्तक में कहा गया है कि धारा 370 के खात्मे से तस्वीर बदल गई है.

सूचना प्रसारण मंत्रालय और गृह मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से जारी 32 पृष्ठों की पुस्तक में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद जम्मू-कश्मीर के कई सकारात्मक पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है. एमएचए ने आगे कहा कि आतंक की घटनाओं में काफी कमी आई है और घाटी में शांति और सुरक्षा का एक नया वातावरण मिल गया है.

हर हाथ में पुलवामा-पेंसिल शीर्षक वाले एक अध्याय में MHA ने कहा कि पुलवामा का नाम अब 14 फरवरी 2019 के आतंकी हमले की छवि नहीं बनेगी. इसके बजाय यह एक नए भारत की तस्वीर पेश करेगा. केंद्र सरकार की पहल पर पुलवामा के उक्खु गांव को पेंसिल वाला गांव का टैग दिया जा रहा है. इसलिए पुलवामा अब गांव के बच्चों की वर्णमाला सीखने की पेंसिल के रूप में शिक्षा जगत में जाना जाएगा.

गृह मंत्रालय ने कहा कि पेंसिल को देश में कहीं भी इस्तेमाल करने वाले हाथों ने शायद अंदाजा नहीं लगाया होगा कि पेंसिल का निर्माण कहां हुआ और उन तक कैसे पहुंचा. यह एक सुखद तथ्य है कि भारत में 90 प्रतिशत पेंसिलें उसी पुलवामा से निकलती हैं. अब तक पुलवामा का उक्खु गांव पेंसिल तैयार करने के लिए पूरे देश में केवल पेंसिल स्लैट (लकड़ी की पट्टी) भेजता था. लेकिन अब पूरे देश को पुलवामा में निर्मित पेंसिल की आपूर्ति की जाएगी.

एमएचए ने जम्मू-कश्मीर में विकास और प्रगति को बढ़ावा देने वाली अपनी पुस्तक में कहा कि जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में पर्यटन स्थलों के रूप में विकास के लिए स्थानों की पहचान की जा रही है.

एमबीए ने कहा कि हिमालय की कुल 137 चोटियों को विदेशी पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है, जिनमें से 15 पर्वतीय क्षेत्र जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में हैं. गृह मंत्रालय ने कहा कि प्रधान मंत्री विकास पैकेज 2015 के तहत करीब 80000 करोड़ से 20 परियोजनाओं का विकास पूरा हो चुका है और बाकी कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं.

एमएचए ने कहा कि नई केंद्रीय योजना के तहत जम्मू-कश्मीर के औद्योगिक विकास के लिए 2037 तक 28400 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. गृह मंत्रालय ने कहा कि इस योजना के तहत उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा और औद्योगीकरण का एक नया अध्याय शुरू होगा. इसने आगे कहा कि 170 केंद्रीय कानून, जो पहले लागू नहीं थे, अब इस क्षेत्र में लागू कर दिए गए हैं.

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संपर्क करने पर ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) बीके खन्ना ने भी यही कहा कि जम्मू-कश्मीर में जहां आतंक का राज रहा है, वहां प्रगति और विकास होने लगा है. ब्रिगेडियर खन्ना ने कहा कि केंद्र सरकार कई सकारात्मक कदम उठा रही है लेकिन इन सभी को लागू करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेशों को समावेशी विकास की जरूरत है.

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