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भारत में हाइड्रोजन फ्यूल से चलेगी ट्रेन, रेलवे का ऐसा है प्लान

रेलवे ने हाइड्रोजन ईंधन तकनीक से ट्रेन (Hydrogen Train) चलाने की योजना बनाई है. रेलवे की इस योजना का उद्देश्य खुद को ग्रीन ट्रांसपोर्ट सिस्टम के रूप में तब्दील करना है. इसके लिए निजी साझेदारों को जोड़ने के लिए निविदा आमंत्रित की गई है.

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Published : Aug 7, 2021, 7:40 PM IST

नई दिल्ली : रेलवे ने हाइड्रोजन ईंधन तकनीक से ट्रेन चलाने की योजना बनाई है. रेलवे की इस योजना का उद्देश्य खुद को ग्रीन ट्रांसपोर्ट सिस्टम के रूप में तब्दील करना है. इसके लिए निजी साझेदारों को जोड़ने के लिए निविदा आमंत्रित की गई है. सरकारी बयान के मुताबिक इंडियन रेलवे ऑर्गनाइजेशन ऑफ अल्टरनेट फ्यूल ने उत्तर रेलवे के 89 किमी सोनीपत जींद सेक्शन में एक डीजल इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट (DEMU) को रेट्रोफिटिंग करके हाइड्रोजन फ्यूल आधारित तकनीक के विकास के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं.

भारत में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर10 डिब्बों वाली डेमू ट्रेन यीनी पैसेंजर ट्रेन चलाई जाएगी, इस तरह की बैटरी 1600 HP की क्षमता की होगी. मौजूदा समय में दुनिया के कई देशों में इस तकनीक की बैटरी का इस्तेमाल किया जा रहा है. जर्मनी में तो इससे ट्रेन भी चल रही है.

नेशनल हाइड्रोजन एनर्जी मिशन के तहत बनाई बनाई योजना

रेल मंत्रालय ने बताया कि यह मौजूदा डेमू रेकों को परिवर्तित/रिट्रोफिटमेंट करके किया जाएगा. रेलवे ने यह योजना नेशनल हाइड्रोजन एनर्जी मिशन के तहत बनाई है. रेलवे का लक्ष्य 2030 तक भारत में रेलवे का कार्बन उत्सर्जन से मुक्त करना है. इस तरह के एक इंजन से रेलवे को सालाना करीब ढाई करोड़ रुपये की बचत होगी और उत्सर्जन भी नहीं होगा.

रेलवे ने अपने बयान में कहा कि लोको पायलट को किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि ड्राइविंग कंसोल में कोई बदलाव नहीं होगा. शुरुआत में 2 डीईएमयू रेक को परिवर्तित किया जाएगा और बाद में 2 हाइब्रिड नैरो गेज लोको को हाइड्रोजन फ्यूल सेल पावर मूवमेंट के आधार पर परिवर्तित किया जाएगा. हाइड्रोजन फ्यूल सेल आधारित डीईएमयू की निविदा के लिए बोली की तारीख 21 सितंबर, 2021 से शुरू होगी और यह 5 अक्टूबर, 2021 को बंद हो जाएगी.

सालाना 2.3 करोड़ रुपये की होगी बचत

वहीं 17 अगस्त, 2021 को एक प्री-बिड कॉन्फ्रेंस भी आयोजित की गई है. डीजल से चलने वाले डीईएमयू की रेट्रोफिटिंग और इसे हाइड्रोजन फ्यूल पावर्ड ट्रेन सेट में बदलने से सालाना 2.3 करोड़ रुपये की बचत होगी.

रेलवे ने बताया कि इस पायलट प्रोजेक्ट के सफल क्रियान्वयन के बाद, विद्युतीकरण के बाद डीजल ईंधन पर चलने वाले सभी रोलिंग स्टॉक को हाइड्रोजन ईंधन पर चलाने की योजना बनाई जा सकती है. यह हाल की बजटीय घोषणाओं के अनुसार और भारत में हाइड्रोजन मोबिलिटी की अवधारणा को शुरू करने के लिए राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन का एक हिस्सा है.

पढ़ें : 120 साल बाद भारत को ट्रैक एंड फील्ड में मिला गोल्ड, नीरज चोपड़ा बने पहले एथलीट

नई दिल्ली : रेलवे ने हाइड्रोजन ईंधन तकनीक से ट्रेन चलाने की योजना बनाई है. रेलवे की इस योजना का उद्देश्य खुद को ग्रीन ट्रांसपोर्ट सिस्टम के रूप में तब्दील करना है. इसके लिए निजी साझेदारों को जोड़ने के लिए निविदा आमंत्रित की गई है. सरकारी बयान के मुताबिक इंडियन रेलवे ऑर्गनाइजेशन ऑफ अल्टरनेट फ्यूल ने उत्तर रेलवे के 89 किमी सोनीपत जींद सेक्शन में एक डीजल इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट (DEMU) को रेट्रोफिटिंग करके हाइड्रोजन फ्यूल आधारित तकनीक के विकास के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं.

भारत में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर10 डिब्बों वाली डेमू ट्रेन यीनी पैसेंजर ट्रेन चलाई जाएगी, इस तरह की बैटरी 1600 HP की क्षमता की होगी. मौजूदा समय में दुनिया के कई देशों में इस तकनीक की बैटरी का इस्तेमाल किया जा रहा है. जर्मनी में तो इससे ट्रेन भी चल रही है.

नेशनल हाइड्रोजन एनर्जी मिशन के तहत बनाई बनाई योजना

रेल मंत्रालय ने बताया कि यह मौजूदा डेमू रेकों को परिवर्तित/रिट्रोफिटमेंट करके किया जाएगा. रेलवे ने यह योजना नेशनल हाइड्रोजन एनर्जी मिशन के तहत बनाई है. रेलवे का लक्ष्य 2030 तक भारत में रेलवे का कार्बन उत्सर्जन से मुक्त करना है. इस तरह के एक इंजन से रेलवे को सालाना करीब ढाई करोड़ रुपये की बचत होगी और उत्सर्जन भी नहीं होगा.

रेलवे ने अपने बयान में कहा कि लोको पायलट को किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि ड्राइविंग कंसोल में कोई बदलाव नहीं होगा. शुरुआत में 2 डीईएमयू रेक को परिवर्तित किया जाएगा और बाद में 2 हाइब्रिड नैरो गेज लोको को हाइड्रोजन फ्यूल सेल पावर मूवमेंट के आधार पर परिवर्तित किया जाएगा. हाइड्रोजन फ्यूल सेल आधारित डीईएमयू की निविदा के लिए बोली की तारीख 21 सितंबर, 2021 से शुरू होगी और यह 5 अक्टूबर, 2021 को बंद हो जाएगी.

सालाना 2.3 करोड़ रुपये की होगी बचत

वहीं 17 अगस्त, 2021 को एक प्री-बिड कॉन्फ्रेंस भी आयोजित की गई है. डीजल से चलने वाले डीईएमयू की रेट्रोफिटिंग और इसे हाइड्रोजन फ्यूल पावर्ड ट्रेन सेट में बदलने से सालाना 2.3 करोड़ रुपये की बचत होगी.

रेलवे ने बताया कि इस पायलट प्रोजेक्ट के सफल क्रियान्वयन के बाद, विद्युतीकरण के बाद डीजल ईंधन पर चलने वाले सभी रोलिंग स्टॉक को हाइड्रोजन ईंधन पर चलाने की योजना बनाई जा सकती है. यह हाल की बजटीय घोषणाओं के अनुसार और भारत में हाइड्रोजन मोबिलिटी की अवधारणा को शुरू करने के लिए राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन का एक हिस्सा है.

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