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पाकिस्तान में इमरान खान का दौर अधर में लटक गया है

एमक्युएम-पी ने पाकिस्तान की पीटीआई का साथ ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का राजनीतिक अंत हो गया है. इसके साथ ही उनको समर्थन दे रहे सदस्यों की संख्या पहुंची 164 जबकि सत्ता में बने रहने के लिए 172 के जादूई आंकड़े होना जरूरी है. विस्तृत जानकारी के लिए पढे़ं ईटीवी भारत की रिपोर्ट...

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Published : Mar 31, 2022, 2:28 PM IST

पाकिस्तान में इमरान खान
पाकिस्तान में इमरान खान

नई दिल्ली : पाकिस्तान के 22वें प्रधान मंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (पीटीआई) के प्रमुख इमरान खान का भाग्य एक प्रमुख सहयोगी दल साथ छोड़ने के कारण अधर में लटक गया है. मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट-पाकिस्तान (एमक्यूएम-पी) ने सत्तारूढ़ गठबंधन के साथ गठबंधन तोड़ दिया और विपक्षी दलों के साथ हाथ मिला लिया है. 69 वर्षीय नेता के खिलाफ महत्वपूर्ण विश्वास मत से पहले बुधवार को संयुक्त विपक्ष में शामिल होने के एमक्यूएम के फैसले ने उनके खिलाफ सदस्यों की संख्या तालिका को बदल दिया क्योंकि सत्तारूढ़ गठबंधन के पास अब नेशनल असेंबली में बहुमत नहीं बचा.

पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, रविवार (3 अप्रैल) को विश्वास मत होने की उम्मीद है. एक पार्टी या गठबंधन को सत्ता में बने रहने के लिए पाकिस्तान की द्विसदनीय संसद के निचले सदन मजलिस-ए-शूरा में 172 वोटों की आवश्यकता होती है. पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के नेतृत्व में विपक्ष में शामिल होने के एमक्यूएम के फैसले के बाद नेशनल असेंबली में सत्तारूढ़ गठबंधन की ताकत सात सदस्यों से घटकर सिर्फ 164 रह गई है.

राजनीतिक स्थिति में बदलाव के साथ ही ऑक्सफोर्ड से शिक्षित क्रिकेटर से राजनेता बने 69 वर्षीय इमरान खान ने राष्ट्र के नाम अपना संबोधन भी स्थगित कर दिया क्योंकि उन्होंने अपनी सरकार को हटाने के लिए कुछ विदेशी शक्तियों द्वारा साजिश रचने का आरोप लगाया था. एमक्यूएम-(पी) ने इमरान खान के साथ गठबंधन एक दिन बाद तोड़ा. जब संकटग्रस्त नेता एक और सहयोगी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (क्यू) का समर्थन जीतने में कामयाबी हासिल कर ली थी. PML-Q की नेशनल असेंबली में चार सदस्य हैं और उसने उसे छोड़ दिया है. इमरान खान ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री उस्मान बुजदार का साथ छोड़ दिया. जिन्हें इमरान खान ने देश में राजनीतिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण प्रांत का नेतृत्व करने के लिए चुना था.

हालांकि, राजनीतिक अवसरवाद के कारण वफादारी में बदलाव पाकिस्तान की राजनीति के लिए कोई नई बात नहीं है. पीएमएल-(क्यू) के चौधरी परवेज इलाही को पंजाब के मुख्यमंत्री पद की पेशकश के रूप में उस्मान बुजदार को बलि चढ़ाने के इमरान खान के फैसले को किसी भी कीमत पर सत्ता में बने रहने के लिए एक हताश प्रयास के रूप में देखा जाता है. इससे पता चलता है कि जो नेता अक्सर स्वयं को एक कठोर नेता के रूप में पेश करता है, उसे एक सहयोगी के सामने झुकने के लिए मजबूर किया जा सकता है, जिसके पास 342 सदस्यीय राष्ट्रीय विधानसभा में सिर्फ चार सीटें हैं और प्रांतीय विधानसभा में 371 सदस्यों में सिर्फ 10 सीटें हैं.

इमरान खान को सत्ता से बेदखल करने के लिए कुछ पाकिस्तानी और विदेशी अधिकारियों के बीच बदले गए एक कथित पत्र के सार को जारी करने का आखिरी प्रयास देश के भीतर जमी बर्फ काटने के लिए पर्याप्त नहीं दिखता है. जिसे पाकिस्तान में कई टिप्पणीकारों ने सत्ता में बने रहने के लिए आखिरी समय की नौटंकी करार दिया था.

यह भी पढ़ें-सहयोगी पार्टी ने किया इमरान खान को क्लीन बोल्ड, कुर्सी जाना लगभग तय

नई दिल्ली : पाकिस्तान के 22वें प्रधान मंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (पीटीआई) के प्रमुख इमरान खान का भाग्य एक प्रमुख सहयोगी दल साथ छोड़ने के कारण अधर में लटक गया है. मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट-पाकिस्तान (एमक्यूएम-पी) ने सत्तारूढ़ गठबंधन के साथ गठबंधन तोड़ दिया और विपक्षी दलों के साथ हाथ मिला लिया है. 69 वर्षीय नेता के खिलाफ महत्वपूर्ण विश्वास मत से पहले बुधवार को संयुक्त विपक्ष में शामिल होने के एमक्यूएम के फैसले ने उनके खिलाफ सदस्यों की संख्या तालिका को बदल दिया क्योंकि सत्तारूढ़ गठबंधन के पास अब नेशनल असेंबली में बहुमत नहीं बचा.

पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, रविवार (3 अप्रैल) को विश्वास मत होने की उम्मीद है. एक पार्टी या गठबंधन को सत्ता में बने रहने के लिए पाकिस्तान की द्विसदनीय संसद के निचले सदन मजलिस-ए-शूरा में 172 वोटों की आवश्यकता होती है. पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के नेतृत्व में विपक्ष में शामिल होने के एमक्यूएम के फैसले के बाद नेशनल असेंबली में सत्तारूढ़ गठबंधन की ताकत सात सदस्यों से घटकर सिर्फ 164 रह गई है.

राजनीतिक स्थिति में बदलाव के साथ ही ऑक्सफोर्ड से शिक्षित क्रिकेटर से राजनेता बने 69 वर्षीय इमरान खान ने राष्ट्र के नाम अपना संबोधन भी स्थगित कर दिया क्योंकि उन्होंने अपनी सरकार को हटाने के लिए कुछ विदेशी शक्तियों द्वारा साजिश रचने का आरोप लगाया था. एमक्यूएम-(पी) ने इमरान खान के साथ गठबंधन एक दिन बाद तोड़ा. जब संकटग्रस्त नेता एक और सहयोगी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (क्यू) का समर्थन जीतने में कामयाबी हासिल कर ली थी. PML-Q की नेशनल असेंबली में चार सदस्य हैं और उसने उसे छोड़ दिया है. इमरान खान ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री उस्मान बुजदार का साथ छोड़ दिया. जिन्हें इमरान खान ने देश में राजनीतिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण प्रांत का नेतृत्व करने के लिए चुना था.

हालांकि, राजनीतिक अवसरवाद के कारण वफादारी में बदलाव पाकिस्तान की राजनीति के लिए कोई नई बात नहीं है. पीएमएल-(क्यू) के चौधरी परवेज इलाही को पंजाब के मुख्यमंत्री पद की पेशकश के रूप में उस्मान बुजदार को बलि चढ़ाने के इमरान खान के फैसले को किसी भी कीमत पर सत्ता में बने रहने के लिए एक हताश प्रयास के रूप में देखा जाता है. इससे पता चलता है कि जो नेता अक्सर स्वयं को एक कठोर नेता के रूप में पेश करता है, उसे एक सहयोगी के सामने झुकने के लिए मजबूर किया जा सकता है, जिसके पास 342 सदस्यीय राष्ट्रीय विधानसभा में सिर्फ चार सीटें हैं और प्रांतीय विधानसभा में 371 सदस्यों में सिर्फ 10 सीटें हैं.

इमरान खान को सत्ता से बेदखल करने के लिए कुछ पाकिस्तानी और विदेशी अधिकारियों के बीच बदले गए एक कथित पत्र के सार को जारी करने का आखिरी प्रयास देश के भीतर जमी बर्फ काटने के लिए पर्याप्त नहीं दिखता है. जिसे पाकिस्तान में कई टिप्पणीकारों ने सत्ता में बने रहने के लिए आखिरी समय की नौटंकी करार दिया था.

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