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बागवानी में उपयोग में आने वाले औजारों की सही देखभाल जरूरी

टेरिस गार्डन, छोटा या बड़ा बगीचा, किचन गार्डन या बड़ी खेती, सभी के अच्छे से फलने-फूलने के लिए उनकी सही देखभाल बहुत जरूरी होती है. बागवानी की देखभाल के लिए अलग-अलग प्रकार के औजारों का इस्तेमाल किया जाता है. आइए जानते हैं कि बागवानी में कौन से औजार किस तरह से मदद करते हैं , साथ ही उन औजारों की देखभाल कैसे की जाती है.

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बागवानी वाले औजार
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Published : Nov 16, 2021, 5:22 PM IST

बगवानों चाहे छोटी हो या बड़ी, उसे देखभाल की काफी जरूरत पड़ती है. पौधों के सही विकास के लिए उन्हें पानी व खाद देने के साथ ही तथा समय-समय पर उनकी कटाई, छटाई, गुड़ाई तथा निराई बहुत जरूरी होती है. इन सब के लिए विशेष औजारों का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन अधिकांश लोग इन औजारों के नाम, उनके उपयोग तथा उनके रख-रखाव के तरीकों से ज्यादा वाकिफ नही होते हैं. ETV भारत सुखीभवा आज अपने पाठकों के लिए लेकर आया है बागवानी में उपयोग में आने वाले औजारों तथा उनकी देखभाल से जुड़ी विशेष जानकारी.

बागवानी में काम आने वाले औजार इस प्रकार हैं.

करनी, खुरपी, कन्नी या ट्रोवेल
सामान्यतः खुरपी के नाम से प्रचलित यह औजार आमतौर पर खोदने और गड़ाई-निराई में इस्तेमाल में आती है. इसका उपयोग गमले में सजी बागवानी के साथ ही जमीन में होने वाली बागवानी में भी किया जाता है. जरूरत अनुसार बाजार में अलग-अलग प्रकार के ब्लेड और बड़े-छोटे आकार वाली खुरपी मौजूद है, जिनमें से कुछ संकरे ब्लेड , कुछ चपटे तथा कुछ नुकीले ब्लेड वाली होती है. मिट्टी खोदने के अलावा क्यारियां बनाने के लिए भी खुरपी काफी उपयोगी होती है

बेलचा/कुदाली
यह कंकड़, पत्थर, मिट्टी उठाने वाला औजार है, जोकि आकार में काफी बड़ा होता है. बेलचा का इस्तेमाल आमतौर पर बड़े क्षेत्र में जमीन में होने वाली बागवानी या खेती में किया जाता है. इसका ब्लेड चौड़ा होता है तथा जिस पर मध्यम लंबाई का हैंडल लगा होता है. बेलचे का ब्लेड आमतौर पर लोहे की चादर या कठोर प्लास्टिक का बना होता है वहीं इसका हैंडल लकड़ी का होता है.

फोर्क हो ऑ
फोर्क हो एक प्रकार की कुदाली ही होती है, लेकिन इसका ब्लेड भोजन करने वाले कांटे (फोर्क ) जैसा होता है. यह छोटे-बड़े अलग-अलग आकार में बाजार में मिलती है. मिट्टी को खोदने, जमीन या गमलों से खरपतवार निकालने, खाद मिलाने तथा मिट्टी को समतल करने में इसका इस्तेमाल किया जाता है.

लंबे हाथ वाला फावड़ा/ कुदाली
जमीन में बागवानी के दौरान फावडे़ का इस्तेमाल किया जाता है. इसका इस्तेमाल विशेष तौर पर बीजों की रोपाई, क्यारियां बनाने, नाली बनाने, बीज बोने के लिए बनाए गए गड्ढों को ढकने तथा मिट्टी भरने और जंगली घास को काटने या हटाने के लिए किया जाता है.

आधुनिक दराती, कतरनी/ कैंची (लैपर्स)
बागवानी में इस्तेमाल में आने वाली इस प्रकार की कैंची के हत्थे अपेक्षाकृत बड़े होते हैं साथ ही उसके ब्लेड भी लंबे होते हैं. इस कैंची से पेड़ या पौधों की टहनियों और छोटी शाखाओं को काटा जाता है. इसके अलावा पेड़ों की छंटाई तथा उन्हें अलग-अलग प्रकार के आकार देने में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन सामान्य कैंची की तरह इसका इस्तेमाल सिर्फ एक हाथ से संभव नहीं है इसे चलाने के लिए दोनों हाथों का इस्तेमाल करना पड़ता है.

पढ़ें: गमला सही होगा तो ज्यादा पनपेगा पौधा

गार्डनिंग नाइफ
यह एक छोटा सा चाकू होता है, जिसका उपयोग अक्सर फूलों, फलों और टहनियों को काटने और पौधों की छटाईं में किया जाता है.

छोटी कैंची
गमले हो या फिर जमीन में लगी बड़ी बागवानी, सभी को निरंतर रखरखाव की जरूरत होती है. इसलिए उनके निरंतर कटाई-छटाई भी जरूरी होती है. ऐसे में छोटी कैंची जिसे गार्डनिंग प्लास के नाम से भी जाना जाता है काफी काम आती है. पौधों को आकार देना, उनकी कटाई-छटाई, उनके खराब हिस्सों व पत्तियों को बाहर निकालने में इसका उपयोग किया जाता है.

हजारा (पानी देने वाली बाल्टी/वॉटरिंग केन)
हजारा या जिसे अंग्रेजी में वाटरिंग केन भी कहा जाता है, पौधों को पानी देने के काम आता है. इसका आकार बाल्टी जैसा होता है, लेकिन इसमें एक नली निकली होती है जिसके मुहाने पर छेद वाली कटोरी लगी होती है. जिससे पानी फव्वारे के रूप में पौधे के सभी हिस्सों तक पहुंच जाए. इसके अतिरिक्त बगीचे में पौधों में पानी देने के लिए गार्डन वॉटर होज (पाइप) का इस्तेमाल किया जाता है.

कैसे करें औजारों की सफाई
लगभग 20 सालों से माली का कार्य कर रहे भोपाल के सुखदेव सिंह बताते हैं कि बागवानी में इस्तेमाल में आने वाले सभी औजारों की सही तरह से देखभाल बहुत जरूरी होती हा वरना उनमें जंग लग जाता है. इन औजारों को इस्तेमाल के बाद लोहे की जाली या झाबे से अच्छी तरह से साफ करना चाहिए, जिससे उन पर मिट्टी न लगी रह जाए. यदि संभव हो तो किसी भी घरेलू ब्लीच के घोल से भी इन्हें साफ किए जा सकता है. ऐसा करने से औजारों पर जंग लगने का खतरा कम होता है.

वहीं कई बार किसी पौधे का निकला रस भी औजारों पर जंग लगने तथा उसकी धार कम होने का कारण बन जाता है. ऐसे में औजार पर रस लगने के बाद तत्काल उसे तारपीन के तेल से साफ किया जा सकता है. सुखदेव बताते हैं कि बागवानी में उपयोग में आने वाले सभी औजारों को उपयोग के बाद अच्छे से साफ धोकर, सूखे कपड़े से पोंछ कर तथा उन्हें सुखाकर किसी सूखे स्थान पर ही रखना चाहिए. इसके अलावा कुदाली, कैंची, चाकू, तथा प्रून्स की धार को थोड़े-थोड़े अंतराल के बाद तेज कराते रहना चाहिए.

पढ़ें: जरा सी देखभाल से लाएं मुरझाए पौधों में भी जान

बगवानों चाहे छोटी हो या बड़ी, उसे देखभाल की काफी जरूरत पड़ती है. पौधों के सही विकास के लिए उन्हें पानी व खाद देने के साथ ही तथा समय-समय पर उनकी कटाई, छटाई, गुड़ाई तथा निराई बहुत जरूरी होती है. इन सब के लिए विशेष औजारों का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन अधिकांश लोग इन औजारों के नाम, उनके उपयोग तथा उनके रख-रखाव के तरीकों से ज्यादा वाकिफ नही होते हैं. ETV भारत सुखीभवा आज अपने पाठकों के लिए लेकर आया है बागवानी में उपयोग में आने वाले औजारों तथा उनकी देखभाल से जुड़ी विशेष जानकारी.

बागवानी में काम आने वाले औजार इस प्रकार हैं.

करनी, खुरपी, कन्नी या ट्रोवेल
सामान्यतः खुरपी के नाम से प्रचलित यह औजार आमतौर पर खोदने और गड़ाई-निराई में इस्तेमाल में आती है. इसका उपयोग गमले में सजी बागवानी के साथ ही जमीन में होने वाली बागवानी में भी किया जाता है. जरूरत अनुसार बाजार में अलग-अलग प्रकार के ब्लेड और बड़े-छोटे आकार वाली खुरपी मौजूद है, जिनमें से कुछ संकरे ब्लेड , कुछ चपटे तथा कुछ नुकीले ब्लेड वाली होती है. मिट्टी खोदने के अलावा क्यारियां बनाने के लिए भी खुरपी काफी उपयोगी होती है

बेलचा/कुदाली
यह कंकड़, पत्थर, मिट्टी उठाने वाला औजार है, जोकि आकार में काफी बड़ा होता है. बेलचा का इस्तेमाल आमतौर पर बड़े क्षेत्र में जमीन में होने वाली बागवानी या खेती में किया जाता है. इसका ब्लेड चौड़ा होता है तथा जिस पर मध्यम लंबाई का हैंडल लगा होता है. बेलचे का ब्लेड आमतौर पर लोहे की चादर या कठोर प्लास्टिक का बना होता है वहीं इसका हैंडल लकड़ी का होता है.

फोर्क हो ऑ
फोर्क हो एक प्रकार की कुदाली ही होती है, लेकिन इसका ब्लेड भोजन करने वाले कांटे (फोर्क ) जैसा होता है. यह छोटे-बड़े अलग-अलग आकार में बाजार में मिलती है. मिट्टी को खोदने, जमीन या गमलों से खरपतवार निकालने, खाद मिलाने तथा मिट्टी को समतल करने में इसका इस्तेमाल किया जाता है.

लंबे हाथ वाला फावड़ा/ कुदाली
जमीन में बागवानी के दौरान फावडे़ का इस्तेमाल किया जाता है. इसका इस्तेमाल विशेष तौर पर बीजों की रोपाई, क्यारियां बनाने, नाली बनाने, बीज बोने के लिए बनाए गए गड्ढों को ढकने तथा मिट्टी भरने और जंगली घास को काटने या हटाने के लिए किया जाता है.

आधुनिक दराती, कतरनी/ कैंची (लैपर्स)
बागवानी में इस्तेमाल में आने वाली इस प्रकार की कैंची के हत्थे अपेक्षाकृत बड़े होते हैं साथ ही उसके ब्लेड भी लंबे होते हैं. इस कैंची से पेड़ या पौधों की टहनियों और छोटी शाखाओं को काटा जाता है. इसके अलावा पेड़ों की छंटाई तथा उन्हें अलग-अलग प्रकार के आकार देने में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन सामान्य कैंची की तरह इसका इस्तेमाल सिर्फ एक हाथ से संभव नहीं है इसे चलाने के लिए दोनों हाथों का इस्तेमाल करना पड़ता है.

पढ़ें: गमला सही होगा तो ज्यादा पनपेगा पौधा

गार्डनिंग नाइफ
यह एक छोटा सा चाकू होता है, जिसका उपयोग अक्सर फूलों, फलों और टहनियों को काटने और पौधों की छटाईं में किया जाता है.

छोटी कैंची
गमले हो या फिर जमीन में लगी बड़ी बागवानी, सभी को निरंतर रखरखाव की जरूरत होती है. इसलिए उनके निरंतर कटाई-छटाई भी जरूरी होती है. ऐसे में छोटी कैंची जिसे गार्डनिंग प्लास के नाम से भी जाना जाता है काफी काम आती है. पौधों को आकार देना, उनकी कटाई-छटाई, उनके खराब हिस्सों व पत्तियों को बाहर निकालने में इसका उपयोग किया जाता है.

हजारा (पानी देने वाली बाल्टी/वॉटरिंग केन)
हजारा या जिसे अंग्रेजी में वाटरिंग केन भी कहा जाता है, पौधों को पानी देने के काम आता है. इसका आकार बाल्टी जैसा होता है, लेकिन इसमें एक नली निकली होती है जिसके मुहाने पर छेद वाली कटोरी लगी होती है. जिससे पानी फव्वारे के रूप में पौधे के सभी हिस्सों तक पहुंच जाए. इसके अतिरिक्त बगीचे में पौधों में पानी देने के लिए गार्डन वॉटर होज (पाइप) का इस्तेमाल किया जाता है.

कैसे करें औजारों की सफाई
लगभग 20 सालों से माली का कार्य कर रहे भोपाल के सुखदेव सिंह बताते हैं कि बागवानी में इस्तेमाल में आने वाले सभी औजारों की सही तरह से देखभाल बहुत जरूरी होती हा वरना उनमें जंग लग जाता है. इन औजारों को इस्तेमाल के बाद लोहे की जाली या झाबे से अच्छी तरह से साफ करना चाहिए, जिससे उन पर मिट्टी न लगी रह जाए. यदि संभव हो तो किसी भी घरेलू ब्लीच के घोल से भी इन्हें साफ किए जा सकता है. ऐसा करने से औजारों पर जंग लगने का खतरा कम होता है.

वहीं कई बार किसी पौधे का निकला रस भी औजारों पर जंग लगने तथा उसकी धार कम होने का कारण बन जाता है. ऐसे में औजार पर रस लगने के बाद तत्काल उसे तारपीन के तेल से साफ किया जा सकता है. सुखदेव बताते हैं कि बागवानी में उपयोग में आने वाले सभी औजारों को उपयोग के बाद अच्छे से साफ धोकर, सूखे कपड़े से पोंछ कर तथा उन्हें सुखाकर किसी सूखे स्थान पर ही रखना चाहिए. इसके अलावा कुदाली, कैंची, चाकू, तथा प्रून्स की धार को थोड़े-थोड़े अंतराल के बाद तेज कराते रहना चाहिए.

पढ़ें: जरा सी देखभाल से लाएं मुरझाए पौधों में भी जान

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