धर्मशाला: हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा चाय को यूरोपीय संघ ने जीआई टैग प्रदान किया है. वहीं, कांगड़ा चाय को GI टैग मिलने से पूरे विश्व भर में पहचान मिलेगी. भारत में यूरोपियन यूनियन के डेलिगेशन ने अपने Twitter हैंडल पर इस बात की जानकारी दी है.
जीआई टैग आखिर होता क्या है? Geographical Indication Tag यानी वो भौगोलिक संकेत है जो किसी प्रोडक्ट की उत्पत्ति क्षेत्र को बताता है. यानी इस टैग के जरिए किसी प्रोडक्ट की पहचान उसके क्षेत्र से होती है, जहां उसका उत्पादन यानि प्रोडक्शन होता है.
इस GI टैग का फायदा क्या है? बता दें कि GI टैग एक ऐसी पहचान है जिसे मिलने से प्रोडक्ट की अहमियत और उससे जुड़े लोगों की आर्थिकी तो बढ़ती ही है, इसके अलावा उसके उस उत्पाद के असली या नकली प्रोडक्ट बनाने पर रोक लगती है. इसके अलावा उक्त प्रोडक्ट को कानूनी सुरक्षा के साथ-साथ उसके देश विदेश में निर्यात को भी बढ़ावा मिलता है.
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🇮🇳#Kangra #Tea gets 🇪🇺 #GI tag
— EU in India (@EU_in_India) March 29, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
EU & #India both lay strong emphasis on GI, attaching high importance to local food, maintaining local traditions and preserving and promoting rich cultural heritage. #EUIndiaEkSaath https://t.co/F0UnRTGSQq
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चलिए अब कांगड़ा चाय के बारे में विस्तार से जानते हैं: अपने कई गुणों के कारण बाजार में कांगड़ा चाय की खूब मांग है. कांगड़ा चाय को साल 2005 में भारत का GI टैग मिल चुका है. बता दें कि भौगोलिक संकेत यानी जीआई टैग किसी विशेष जगह में उत्पादित वस्तुओं की विशेषता को लेकर मिलता है. कांगड़ा चाय को GI का टैग साल 2005 में चंबा रुमाल, कुल्लू शॉल आदि के साथ मिल चुका है. चाय बोर्ड के साथ कांगड़ा के 39 व्यवसायी जुड़े हैं जो अपने प्रोडक्ट में 'कांगड़ा चाय' लिख सकते हैं. अन्य जगहों में उत्पादित टी को कांगड़ा चाय के रूप में बेचना क्राइम है.
कांगड़ा चाय पौधों की पत्तियों और कलियों से प्राप्त होती है. स्वाद और रंग के सटीक मिश्रण वाली कांगड़ा चाय के कई हेल्थ बेनिफिट हैं. कांगड़ा चाय का इतिहास 180 साल पुराना है. कांगड़ा की चाय दुनिया में सबसे स्वादिष्ट मानी जाती है. वहीं, कांगड़ा टी को देश के विभिन्न हिस्सों के साथ विदेशों में भी Health Drink के रूप में उपयोग किया जाता है. इसके साथ ही लोग इसके गुणों को लेकर लगातार प्रभावित हो रहे हैं. वहीं, High Blood Pressure समेत कई असाध्य बीमारियों में भी कांगड़ा चाय का इस्तेमाल बेहतर माना जा रहा है.
कौन से महीने में होता है चाय का तुड़ान: कांगड़ा टी का पहला तुड़ान अप्रैल महीने में होता है और यह तुड़ान अन्य चार तुड़ान से बेहतर माना गया है. गुणवत्ता, अनूठी सुगंध और स्वाद के लिए पहला तोड़ सबसे बेहतर है. स्वाद के मामले में दार्जिलिंग टी के मुकाबले थोड़ी हल्की होती है. कांगड़ा चाय थिक होती है. मतलब पीने में गाढ़ी होती है. जिला कांगड़ा में ग्रीन Tea व ब्लैक Tea प्रोडक्ट उपलब्ध हैं.
कृषि विभाग में तकनीकी अधिकारी चाय विभाग डॉक्टर सुनील पटियाल ने बताया कि प्रदेश में 2311 हेक्टयर भूमि चाय के तहत है. इसमें लगभग 5900 किसान-बागवान जुड़े हैं. 96 फीसदी किसानों के पास आधा हेक्टयर या उससे भी कम भूमि है. 2311 हेक्टयर क्षेत्र में से 47 फीसदी भूमि पर ही व्यावसायिक उत्पादन हो रहा है. उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश सरकार का प्रयास है कि अधिकाधिक चाय क्षेत्र को व्यवसायिक उत्पादन में लाया जाए, इसका उत्पादन और बिक्री बड़े स्तर पर होने के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी पहचान कायम रहे. कांगड़ा चाय के निर्यात को बढ़ावा देने के भी प्रयास किए जा रहे हैं.
कहां हो सकता है चाय उत्पादन: बता दें कि समुद्र तल से 900 से 1400 मीटर की ऊंचाई पर चाय उगाई जाती. चाय के लिए सालाना बारिश 270 से 350 सेंटीमीटर जरूरी होती है. जो कांगड़ा जिले में आसानी से पूरी हो जाती है. इसलिए कांगड़ा घाटी को अंग्रेजों ने चाय की खेती के लिए चुना था.
कांगड़ा चाय के स्वास्थ्य लाभ: इस चाय के समृद्ध इतिहास के अलावा, इसकी विशेषता का श्रेय इस चाय के साथ आने वाले लाभों में भी है. कांगड़ा ग्रीन टी ग्रीन टी के फायदों को बरकरार रखती है जो एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है. एंटीऑक्सीडेंट विभिन्न अनकहे तरीकों से स्वास्थ्य के लिए अच्छे हैं, यह सक्रिय रहने में मदद करता है और कई अन्य खतरनाक बीमारियों के लिए सतर्क रहता है. कांगड़ा ग्रीन टी दिल के रोगों को दूर करने में मदद करती है और Neural Activity को सही रखती है. अपने रंग और स्वाद के लिए प्रमुखता से जानी जाने वाली इस इम्यून बूस्टर चाय ने इम्यूनिटी बूस्टर गुणों वाली अन्य सभी चायों को पीछे छोड़ दिया है. यह शरीर के तापमान को कंट्रोल करता है और मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालता है.
कोविड को ठीक करने में भी लाभदायक होने का दावा: हाल ही में, कांगड़ा ग्रीन टी ने कुछ शोध पत्रों के जारी होने के बाद सभी का ध्यान आकर्षित किया है, जिसमें परिणाम यह निकला कि कांगड़ा ग्रीन टी इसमें ऐसे अर्क हैं जो वास्तविक दवाओं की तुलना में कोविड-19 को ठीक करने में अधिक सहायक हैं. लाभों को जोड़ते हुए, कैंसर की रोकथाम के लिए यह कितना अविश्वसनीय साबित होता है, यह अकथनीय है. विशेष कांगड़ा घाटी हरी चाय का सेवन करने से अन्य कैंसर की तुलना में स्तन कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर का खतरा कम हो गया लगता है.
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