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सुप्रीम कोर्ट ने दिव्यांग व्यक्तियों को पदोन्नति में आरक्षण के लिए निर्देश जारी करने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह दिव्यांग व्यक्तियों को पदोन्नति में आरक्षण के लिए जल्द से जल्द निर्देश जारी करे. आदेश में कहा गया था कि दिव्यांग व्यक्तियों को पदोन्नति में आरक्षण का अधिकार है.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Sep 29, 2021, 2:58 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2016 की धारा 34 के प्रावधानों के अनुसार दिव्यांग व्यक्तियों को पदोन्नति में आरक्षण के लिए जल्द से जल्द निर्देश जारी करे. कोर्ट ने निर्देश जारी करने के लिए केंद्र को चार महीने का समय दिया है.

कोर्ट ने आदेश केंद्र सरकार की ओर से दायर एक विविध आवेदन पर जारी किया, जिसमें सिद्धाराजू बनाम कर्नाटक राज्य के फैसले के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा गया था. आदेश में कहा गया था कि दिव्यांग व्यक्तियों को पदोन्नति में आरक्षण का अधिकार है.

कोर्ट ने कहा कि फैसले में कोई अस्पष्टता नहीं है और केंद्र को दिव्यांग व्यक्तियों के लिए पदोन्नति में आरक्षण लागू करने के लिए 2016 अधिनियम की धारा 34 के प्रावधान के तहत निर्देश जारी करने का निर्देश दिया.

जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने मंगलवार को केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल माधवी दीवान और प्रतिवादियों की ओर से पेश अधिवक्ता राजन मणि की दलीलें सुनीं.

पिछली सुनवाई में अदालत ने सीनियर एडवोकेट जयना कोठारी की दलीलें सुनी थीं. इस दौरान उन्होंने कहा था कि केंद्र स्पष्टीकरण की मांग की आड़ में निर्णय के प्रभाव को पूर्ववत करने की मांग कर रही है.

एडवोकेट राजन मणि ने बताया कि अधिनियम के लागू होने के 5 साल बाद भी दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 की धारा 34 के प्रावधान के तहत कोई निर्देश जारी नहीं किया गया है.

उन्होंने प्रस्तुत किया कि पीडब्ल्यूडी के लिए आरक्षण का कार्यान्वयन विलंबित किया जा रहा है क्योंकि अधिनियम की धारा 34 के तहत अपेक्षित कोई निर्देश जारी नहीं किया जा रहा है.

उन्होंने आगे तर्क दिया कि स्पष्टीकरण मांगने वाला वर्तमान विविध आवेदन निर्णय को कमजोर करने का एक और प्रयास है.

पढ़ें - कोई भी वरिष्ठ अधिवक्ता प्रत्यक्ष सुनवाई में उपस्थित नहीं होना चाहता: SC

जस्टिस नागेश्वर राव के सवाल का जवाब देते हुए एएसजी माधवी दीवान ने जवाब दिया कि केंद्र द्वारा पदोन्नति में आरक्षण प्रदान करने के लिए ऐसा कोई निर्देश जारी नहीं किया गया है.

उन्होंने प्रस्तुत किया कि हम स्पष्टीकरण मांग रहे हैं ताकि हमारे निर्देश कमजोर न हों. एएसजी ने आगे तर्क दिया कि पदोन्नति में आरक्षण के लाभ का विस्तार करने से पहले योग्यता, दक्षता और प्रतिनिधित्व की पर्याप्तता के सिद्धांतों को ध्यान में रखा जाना चाहिए. एएसजी ने पहले तर्क दिया था कि दिव्यांग व्यक्तियों के लिए पदोन्नति में आरक्षण के व्यापक आवेदन से कई व्यावहारिक समस्याएं पैदा होंगी.

सुनवाई के बा पीठ ने कहा कि उसे केंद्र द्वारा मांगे गए स्पष्टीकरण को जारी करने का कोई कारण नहीं मिला.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2016 की धारा 34 के प्रावधानों के अनुसार दिव्यांग व्यक्तियों को पदोन्नति में आरक्षण के लिए जल्द से जल्द निर्देश जारी करे. कोर्ट ने निर्देश जारी करने के लिए केंद्र को चार महीने का समय दिया है.

कोर्ट ने आदेश केंद्र सरकार की ओर से दायर एक विविध आवेदन पर जारी किया, जिसमें सिद्धाराजू बनाम कर्नाटक राज्य के फैसले के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा गया था. आदेश में कहा गया था कि दिव्यांग व्यक्तियों को पदोन्नति में आरक्षण का अधिकार है.

कोर्ट ने कहा कि फैसले में कोई अस्पष्टता नहीं है और केंद्र को दिव्यांग व्यक्तियों के लिए पदोन्नति में आरक्षण लागू करने के लिए 2016 अधिनियम की धारा 34 के प्रावधान के तहत निर्देश जारी करने का निर्देश दिया.

जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने मंगलवार को केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल माधवी दीवान और प्रतिवादियों की ओर से पेश अधिवक्ता राजन मणि की दलीलें सुनीं.

पिछली सुनवाई में अदालत ने सीनियर एडवोकेट जयना कोठारी की दलीलें सुनी थीं. इस दौरान उन्होंने कहा था कि केंद्र स्पष्टीकरण की मांग की आड़ में निर्णय के प्रभाव को पूर्ववत करने की मांग कर रही है.

एडवोकेट राजन मणि ने बताया कि अधिनियम के लागू होने के 5 साल बाद भी दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 की धारा 34 के प्रावधान के तहत कोई निर्देश जारी नहीं किया गया है.

उन्होंने प्रस्तुत किया कि पीडब्ल्यूडी के लिए आरक्षण का कार्यान्वयन विलंबित किया जा रहा है क्योंकि अधिनियम की धारा 34 के तहत अपेक्षित कोई निर्देश जारी नहीं किया जा रहा है.

उन्होंने आगे तर्क दिया कि स्पष्टीकरण मांगने वाला वर्तमान विविध आवेदन निर्णय को कमजोर करने का एक और प्रयास है.

पढ़ें - कोई भी वरिष्ठ अधिवक्ता प्रत्यक्ष सुनवाई में उपस्थित नहीं होना चाहता: SC

जस्टिस नागेश्वर राव के सवाल का जवाब देते हुए एएसजी माधवी दीवान ने जवाब दिया कि केंद्र द्वारा पदोन्नति में आरक्षण प्रदान करने के लिए ऐसा कोई निर्देश जारी नहीं किया गया है.

उन्होंने प्रस्तुत किया कि हम स्पष्टीकरण मांग रहे हैं ताकि हमारे निर्देश कमजोर न हों. एएसजी ने आगे तर्क दिया कि पदोन्नति में आरक्षण के लाभ का विस्तार करने से पहले योग्यता, दक्षता और प्रतिनिधित्व की पर्याप्तता के सिद्धांतों को ध्यान में रखा जाना चाहिए. एएसजी ने पहले तर्क दिया था कि दिव्यांग व्यक्तियों के लिए पदोन्नति में आरक्षण के व्यापक आवेदन से कई व्यावहारिक समस्याएं पैदा होंगी.

सुनवाई के बा पीठ ने कहा कि उसे केंद्र द्वारा मांगे गए स्पष्टीकरण को जारी करने का कोई कारण नहीं मिला.

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