इंफाल : मणिपुर का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, इस पर भाजपा के शीर्ष नेताओं की चुप्पी से अटकलें तेज हैं. राज्य में शासन करने के लिए संभावित मुख्यमंत्री के रूप में कई नाम चर्चा में हैं. हाल ही में हुए चुनाव में मणिपुर की 60 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा ने 32 सीटें हासिल की हैं. जबकि नवनिर्वाचित 60 विधायकों को भी एक प्रोटेम स्पीकर द्वारा पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई गई थी.
पार्टी के शीर्ष नेताओं ने अभी तक भाजपा विधायक दल के नेता के नाम का एलान नहीं किया है. विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने राज्यपाल ला गणेशन को अपना इस्तीफा सौंप दिया. राज्यपाल ने उन्हें कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में कार्य करने के लिए कहा है. भाजपा के सूत्रों ने शुरू में संकेत दिए थे कि राज्य में कोई बदलाव नहीं होगा. अब पार्टी के शीर्ष नेताओं की चुप्पी से राज्य के लोगों को अनुमान लगाने को मजबूर किया है.
कई नाम हैं चर्चा में
मौजूदा कार्यवाहक मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह निश्चित रूप से शीर्ष स्थान के प्रबल दावेदार हैं, वहीं कुछ अन्य नाम भी चर्चा में हैं. पूर्व मंत्री बिस्वजीत सिंह, भाजपा की मणिपुर अध्यक्ष अधिकारीमयुम शारदा देवी (Adhikarimayum Sharda Devi), पूर्व मंत्री गोविंददास कोंठौजम (Govindas Konthoujam), विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष युमनाम खेमचंद सिंह (Yumnam Khemchand Singh) के नाम भी शीर्ष सीट के लिए चर्चा में हैं.
बिस्वजीत सिंह 2017 से मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के मंत्रिमंडल में प्रभावशाली मंत्री रहे हैं. वह लोक निर्माण, बिजली, ग्रामीण विकास, कपड़ा, वाणिज्य और उद्योग आदि जैसे विभागों को संभाल रहे थे. शारदा देवी लंबे समय से भगवा पार्टी से जुड़ी हुई हैं. शारदा देवी 1995 में भाजपा में शामिल हुई थीं. वह मणिपुर में पार्टी की कोर कमेटी सदस्य रही हैं. पार्टी की राष्ट्रीय सचिव का पद संभाला और वह भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहीं.
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गोविंददास कोंथौजम बिष्णुपुर निर्वाचन क्षेत्र से सात बार विधायक रहे हैं. वह पहले मणिपुर में कांग्रेस पार्टी के प्रमुख भी रहे. गोविंददास कोंथौजम राज्य के एक जाने-माने राजनेता भी हैं जो कांग्रेस पार्टी के मुख्य सचेतक भी थे. वह मणिपुर विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे हैं. कांग्रेस से इस्तीफा देकर पिछले साल ही वह भाजपा में शामिल हुए थे.