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इन प्रजातियों के विलुप्त होने का सबसे अधिक खतरा है

संयुक्त राष्ट्र अंतर सरकारी विज्ञान-नीति मंच द्वारा जैव विविधता (Biodiversity) और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं (Ecosystem Services) पर एक रिपोर्ट सामने आई है. जानिए क्या कहती है रिपोर्ट...

Biodiversity
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Published : Sep 12, 2021, 8:56 PM IST

हैदराबाद : संयुक्त राष्ट्र अंतर सरकारी विज्ञान-नीति मंच द्वारा जैव विविधता (Biodiversity) और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं (Ecosystem Services) पर एक रिपोर्ट सामने आई है.

संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट के अनुसार, सभी प्रजातियों की एक चौथाई संख्या के विलुप्त होने का खतरा है.

सबसे अधिक जोखिम वाली प्रजातियां उभयचर (amphibians) थीं, जिनमें से 41% को ज्यादा जोखिम में माना जाता है, इसके बाद शार्क और कोनिफ़र क्रमशः 37% और 34% जोखिम में माना जाता है.

इन प्रजातियों के विलुप्त होने का सबसे अधिक खतरा है
इन प्रजातियों के विलुप्त होने का सबसे अधिक खतरा है

इसमें कहा गया है कि मानव गतिविधि का पर्यावरण पर विनाशकारी प्रभाव पड़ रहा है, लेकिन इस प्रवृत्ति को रोकने और सुधार करने में देर नहीं हुई है.

पढ़ें :- जलवायु और जैव विविधता संकट से एक साथ निपटने के चार तरीके

जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं (आईपीबीईएस) पर संयुक्त राष्ट्र अंतर सरकारी विज्ञान-नीति मंच ने हाल ही में ग्रह की स्थिति की जांच की और यह पाया कि मानव गतिविधि का पर्यावरण पर विनाशकारी प्रभाव पड़ रहा है. भोजन और ऊर्जा के लिए अतृप्त मानव प्यास मुख्य रूप से दोषी है और इसने प्रकृति को उस दर से गिरा दिया है जो पहले कभी नहीं देखा गया था.

हैदराबाद : संयुक्त राष्ट्र अंतर सरकारी विज्ञान-नीति मंच द्वारा जैव विविधता (Biodiversity) और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं (Ecosystem Services) पर एक रिपोर्ट सामने आई है.

संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट के अनुसार, सभी प्रजातियों की एक चौथाई संख्या के विलुप्त होने का खतरा है.

सबसे अधिक जोखिम वाली प्रजातियां उभयचर (amphibians) थीं, जिनमें से 41% को ज्यादा जोखिम में माना जाता है, इसके बाद शार्क और कोनिफ़र क्रमशः 37% और 34% जोखिम में माना जाता है.

इन प्रजातियों के विलुप्त होने का सबसे अधिक खतरा है
इन प्रजातियों के विलुप्त होने का सबसे अधिक खतरा है

इसमें कहा गया है कि मानव गतिविधि का पर्यावरण पर विनाशकारी प्रभाव पड़ रहा है, लेकिन इस प्रवृत्ति को रोकने और सुधार करने में देर नहीं हुई है.

पढ़ें :- जलवायु और जैव विविधता संकट से एक साथ निपटने के चार तरीके

जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं (आईपीबीईएस) पर संयुक्त राष्ट्र अंतर सरकारी विज्ञान-नीति मंच ने हाल ही में ग्रह की स्थिति की जांच की और यह पाया कि मानव गतिविधि का पर्यावरण पर विनाशकारी प्रभाव पड़ रहा है. भोजन और ऊर्जा के लिए अतृप्त मानव प्यास मुख्य रूप से दोषी है और इसने प्रकृति को उस दर से गिरा दिया है जो पहले कभी नहीं देखा गया था.

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